ऑनलाइन बैठक

मेन्‍यू

परमेश्वर सभी चीजों की आपूर्ति करने और मानवजाति की उत्तरजीविता को बनाए रखने के लिए अपने सर्वशक्तिमान और बुद्धिमान तरीकों का उपयोग करता है

हमने अभी-अभी किस बारे में बात की? शुरूआत में, हमने मनुष्यजाति के रहने के पर्यावरण के बारे में और जो कुछ परमेश्वर ने किया, तैयार किया, और इस पर्यावरण के लिए वह निपटा उस बारे में, और साथ ही परमेश्वर के द्वारा मनुष्यजाति के लिए तैयार की गई सभी चीज़ों के बीच सम्बन्धों के बारे में और कैसे सभी चीज़ों के द्वारा मनुष्यजाति को नुकसान पहँचाने से रोकने के लिए परमेश्वर इन सम्बन्धों से निपटा उस बारे में बात की थी। परमेश्वर ने मनुष्यजाति के पर्यावरण पर उन विभिन्न तत्वों द्वारा उत्पन्न किए गए नकारात्मक प्रभावों का भी समाधान किया जो सभी चीज़ों के द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं, उसने सभी चीज़ों को उनकी कार्यशीलता को अधिकतम करने दिया, और मनुष्यजाति के लिए एक अनुकूल पर्यावरण, और सभी लाभदायक तत्व लाया ताकि वह ऐसे पर्यावरण के अनुरूप बनने तथा प्रजनन चक्र को और जीवन को सामान्य तरीके से निरंतर जारी रखने में सक्षम बन सके। अगली चीज़ मानव शरीर के लिए आवश्यक भोजन थी—दैनिक खाद्य और पेय पदार्थ। मनुष्यजाति के जीवित बचे रहने के लिए यह भी एक आवश्यक शर्त है। अर्थात्, मानव शरीर मात्र साँस ले कर, बस धूप या वायु के साथ, या मात्र उपयुक्त तापमानों के साथ ही जीवित नहीं रह सकता है। उन्हें अपना पेट भरने की भी आवश्यकता होती है। उनके पेट को भरने के लिए इन चीज़ों को भी पूरी तरह परमेश्वर के द्वारा मनुष्यजाति के लिए तैयार किया गया था—यह मनुष्यजाति के भोजन का स्रोत है। इन समृद्ध और भरपूर पैदावार—मनुष्यजाति के खाद्य एवं पेय पदार्थ के स्रोत—को देखने के पश्चात्, क्या तुम कह सकते हो कि परमेश्वर ही मनुष्यजाति और सभी चीज़ों के लिए आपूर्ति का स्रोत है? यदि जब उसने सभी चीज़ों का सृजन किया था तब परमेश्वर ने केवल पेड़ों एवं घास को या सिर्फ विभिन्न जीवित प्राणियों को ही बनाया होता, यदि उन विभिन्न जीवित प्राणी और पौधों में सभी पशुओं और भेड़ों के खाने के लिए होते, या ज़ेब्रा, हिरन एवं विभिन्न प्रकार के पशु होते, उदाहरण के लिए, सिंह, ज़िराफ़ तथा हिरन जैसी चीज़ों को खाते हैं, बाघ मेम्नों एंव सुअरों जैसी चीज़ों को खाते हैं—किन्तु मनुष्य के खाने के लिए एक भी उपयुक्त चीज़ नहीं होती, तो क्या उससे काम चलता? उससे काम नहीं चलता। मनुष्यजाति निरन्तर जीवित बचे रहने में समर्थ नहीं होती। क्या होता यदि मनुष्य केवल पेड़ों के पत्ते ही खाते? क्या उससे काम चलता? क्या मनुष्य उस घास को खा सकते थे जिसे भेड़ों के लिए बनाया गया है? यदि वे थोड़ी सी खाने की कोशिश करते तो ठीक रहता, किन्तु यदि वे लम्बे समय तक इसे खाते रहते, तो वे ज़्यादा समय तक ज़िन्दा नहीं रहते। और यहाँ कुछ चीज़ें भी हैं जो पशुओं के द्वारा खायी जा सकती हैं, परन्तु यदि मनुष्य उन्हें खाएँगे तो वे विषाक्त हो जाएँगी। ऐसी कुछ विषैली चीज़ें हैं जिन्हें पशु बिना प्रभावित हुए खा सकते हैं, परन्तु मनुष्य ऐसा नहीं कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने मनुष्यों का सृजन किया, इसलिए परमेश्वर मानव शरीर के सिद्धांतों और संरचना को और मनुष्यों को किस चीज़ की आवश्यकता है इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानता है। परमेश्वर इसकी बनावट और इसके तत्वों के बारे में, और इसे किस चीज़ की आवश्यकता है, और साथ ही मानव शरीर के भीतरी अंग किस प्रकार कार्य करते हैं, वे कैसे अवशोषित करते है, निकालते हैं और चयापचय करते हैं, इस बारे में पूर्णतः स्पष्ट है। लोग इस पर स्पष्ट नहीं हैं और कई बार आँख बंदकर खाते और अनुपूरक लेते हैं। वे अत्यधिक अनूपूरक लेते हैं और अंत में असन्तुलन उत्पन्न करते हैं। यदि तुम सामान्य रूप से इन चीज़ों को खाते और इनका आनंद लेते हो जिन्हें परमेश्वर ने तुम्हारे लिए तैयार किया है, तो तुम्हारे साथ कुछ ग़लत नहीं होगा। भले ही कभी-कभी तुम ख़राब मनोदशा में होते हो और तुम्हें रक्त की गतिहीनता होती है, फिर भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। तुम्हें बस एक खास प्रकार के पौधे को खाने की आवश्यकता है और रक्त की गतिहीनता ठीक हो जाएगी। परमेश्वर ने इन सभी चीज़ों को तैयार किया है। इसलिए, परमेश्वर की नज़रों में, मनुष्यजाति किसी भी अन्य जीवधारी से कहीं ऊँची है। परमेश्वर ने सभी प्रकार के पौधों के लिए जीवित रहने के पर्यावरण तैयार किए हैं और सभी प्रकार के पशुओं के लिए भोजन एवं जीवित रहने के पर्यावरण तैयार किए हैं, किन्तु केवल मनुष्यजाति की अपेक्षाएँ ही उनके स्वयं के रहने के पर्यावरण के प्रति बहुत अधिक कठोर हैं और उपेक्षा किए जाने में सबसे अधिक असहनीय हैं। अन्यथा, मनुष्यजाति निरन्तर विकसित होने और प्रजनन करने और सामान्य रूप से जीने में समर्थ नहीं होती। परमेश्वर अपने हृदय में इसे अच्छी तरह से जानता है। जब परमेश्वर ने इस चीज़ को किया, तब उसने किसी भी अन्य चीज़ की अपेक्षा इस पर अधिक ध्यान दिया था। शायद तुम अपने जीवन में कुछ मामूली चीज़ों के, जिन्हें तुम देख सकते हो और उनका आनंद उठा सकते हो, महत्व को महसूस नहीं कर पा रहे, या कोई ऐसी चीज़, जिसे तुम अपने जीवन में देख सकते हो और जिसका आनंद उठा सकते हो और जो तुम्हारे पास जन्म से है, लेकिन परमेश्वर ने बहुत पहले से या गुप्त रूप से तुम्हारे लिए तैयारी कर रखी है। परमेश्वर ने उन सभी नकारात्मक कारकों को अधिकतम संभव सीमा तक हटा दिया है और उनका समाधान कर दिया है जो मनुष्यजाति के लिए प्रतिकूल हैं और मानव शरीर को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इससे क्या स्पष्ट होता है? क्या इससे मनुष्यजाति के प्रति परमेश्वर का रवैया स्पष्ट होता है जब उसने इस बार उनका सृजन किया था? यह रवैया क्‍या था? परमेश्वर का रवैया सख्‍़त और गम्भीर था, और उसने परमेश्वर के अलावा किन्हीं भी कारकों या स्थितियों या शत्रुओं के बल के किसी हस्तक्षेप को सहन नहीं किया था। इससे, तुम जब उसने मनुष्यजाति का सृजन किया था तब और इस बार मनुष्यजाति के उसके प्रबन्धन में परमेश्वर के रवैये को देख सकते हो। परमेश्वर का रवैया क्या है? रहने और जीवित बचे रहने के पर्यावरण से जिसका मनुष्यजाति आनन्द उठाती है और साथ ही उनके दैनिक खाद्य और पेय पदार्थ और दैनिक आवश्यकताओं के माध्यम से, हम मनुष्यजाति के प्रति उत्तरदायित्व की परमेश्वर के रवैये को जो उसके पास तब से है जबसे उसने उनका सृजन किया था, और साथ ही इस बार मनुष्यजाति को बचाने के परमेश्वर के दृढ़ निश्चय को देख सकते हैं। क्या हम इन चीज़ों के माध्यम से परमेश्वर की प्रमाणिकता को देख सकते हैं? क्या हम परमेश्वर की अद्भुतता को देख सकते हैं? क्या हम परमेश्वर की अगाधता को देख सकते हैं? क्या हम परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता को देख सकते हैं? परमेश्वर संपूर्ण, मनुष्यजाति को आपूर्ति करने के लिए, और साथ ही सभी चीज़ों की आपूर्ति करने के लिए केवल अपने सर्वशक्तिमान और विवेकी मार्गों का उपयोग करता है। जिसके बारे में बोलते हुए, मेरे इतना कुछ कहने के बाद, क्या तुम लोग यह कह सकते हो कि परमेश्वर सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है? (हाँ।) यह निश्चित है। क्या तुम्हें कोई संदेह हैं? (नहीं।) परमेश्वर के द्वारा सभी चीज़ों की आपूर्ति यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि वह सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है, क्योंकि वह उस आपूर्ति का स्रोत है, जिसने सभी चीज़ों को अस्तित्व में बने रहने, जीवित रहने, प्रजनन करने और जारी रहने में सक्षम किया है, और स्वयं परमेश्वर के अलावा और कोई स्रोत नहीं है। परमेश्वर सभी चीज़ों की सभी आवश्यकताओं की और मनुष्यजाति की भी सभी आवश्यकताओं की आपूर्ति करता है, चाहे वे लोगों की सर्वाधिक बुनियादी पर्यावरणीय आवश्यकताएँ हों, उनके दैनिक जीवन की आवश्यकताएँ हों, या सत्य संबंधी आवश्यकताएँ हों, जिसकी वह लोगों की आत्माओं के लिए आपूर्ति करता है। सभी दृष्टिकोणों से, जब परमेश्वर की पहचान और मनुष्यजाति के लिए उसकी हैसियत की बात आती है, तो केवल स्वयं परमेश्वर ही सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है। क्या यह सही है? (हाँ।) अर्थात, परमेश्वर इस भौतिक संसार का शासक, स्वामी और आपूर्तिकर्ता है जिसे लोग अपनी आँखों से देख सकते हैं और महसूस कर सकते हैं। मनुष्यजाति के लिए, क्या यह परमेश्वर की पहचान नहीं है? यह पूरी तरह सत्य है। इसलिए जब तुम आकाश में पक्षियों को उड़ते हुए देखते हो, तो तुम्हें जानना चाहिए कि परमेश्वर ने उन चीज़ों को बनाया जो उड़ सकती हैं। परन्तु ऐसी जीवित चीज़ें हैं जो पानी में तैर सकती हैं, और वे भिन्न-भिन्न तरीकों से भी जीवित रह कर बची रहती हैं। पेड़ और पौधे जो मिट्टी में रहते हैं वे बसंत ऋतु में अंकुरित होते हैं और उनमें फल लगते हैं और शरद ऋतु में पत्ते झाड़ देते हैं, और पतझड़ की ऋतु में अपनी पत्तियों को छोड़ देते हैं, और शीत ऋतु तक सभी पत्तियाँ गिर जाती हैं और वे शीत ऋतु से गुज़रते हैं। यह उनके जीवित बचे रहने का तरीका है। परमेश्वर ने सभी चीज़ों का सृजन किया, जिनमें से हर एक विभिन्न रूपों और विभिन्न तरीकों के माध्यम से जीता है और अपनी सामर्थ्य और जीवन के रूप को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करता है। चाहे कोई सी भी पद्धति क्यों न हो, यह सब परमेश्वर के शासन के अधीन है। जीवन के सभी रूपों और जीवित प्राणियों के ऊपर परमेश्वर के शासन का क्या उद्देश्य है? क्या यह मनुष्यजाति के जीवित बचे रहने के वास्ते है? (हाँ।) वह मनुष्यजाति के जीवित बचे रहने के वास्ते जीवन की सभी व्यवस्थाओं को नियन्त्रित करता है। यह दिखाता है कि परमेश्वर के लिए बस मनुष्यजाति का जीवित बचे रहना कितना महत्वपूर्ण है।

मनुष्यजाति का सामान्य रूप से जीवित रहना और प्रजनन करने के योग्य होना परमेश्वर के लिए सर्वाधिक महत्व का है। इसलिए, परमेश्वर मनुष्यजाति और सभी चीज़ों को निरंतर आपूर्ति करता है। वह भिन्न-भिन्न तरीकों से, और सभी चीज़ों के जीवित बचा रहना बनाए रखने की परिस्थितियों के अन्तर्गत सभी चीज़ों की आपूर्ति करता है, वह मानवजाति के सामान्य अस्तित्व को बनाए रखने के लिए मनुष्यजाति को निरंतर आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है। ये वे दो पहलू हैं जिसके विषय में आज हम संवाद कर रहे हैं। ये दो पहलू कौन से हैं? (बृहद् दृष्टिकोण से, परमेश्वर ने मनुष्यजाति के लिए रहने के पर्यावरण का सृजन किया। यह पहला पहलू है। साथ ही, परमेश्वर ने इन भौतिक चीज़ों का सृजन किया जिसकी मनुष्यजाति को आवश्यकता है और जिन्हें वह देख और छू सकता है।) हमने इन दो पहलुओं के माध्यम से अपने मुख्य विषय पर संवाद किया है। हमारा मुख्य विषय क्या है? (परमेश्वर सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है।) अब तुम्हें कुछ-कुछ समझ आ जाना चाहिए कि क्यों मैंने इस विषय के अन्तर्गत ऐसी विषय-वस्तु का संवाद किया। क्या मुख्य विषय से असंबंधित कोई चर्चा हुई है? कोई नहीं, सही है? कदाचित् इन चीज़ों को सुनने के बाद, तुम लोगों में से कुछ थोड़ी समझ प्राप्त करते हो और यह महसूस करते हैं कि ये वचन बहुत महत्वपूर्ण हैं, किन्तु शायद अन्य लोगों को थोड़ी सी शाब्दिक समझ ही मिले और वे महसूस करें कि इन वचनों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस बात की परवाह किए बिना कि अभी तुम लोग इसे किस तरह से समझते हो, अपने अनुभव के क्रम के दौरान एक दिन आएगा जब तुम लोगों की समझ एक निश्चित स्थिति तक पहुँच जाएगी, अर्थात्, जब परमेश्वर के कार्यकलापों की और स्वयं परमेश्वर की तुम लोगों की समझ एक निश्चित स्थिति तक पहुँच जाएगी, तब तुम लोग परमेश्वर के कार्यकलापों की एक गहरी और सच्ची गवाही देने के लिए अपने व्यावहारिक वचनों का उपयोग करोगे।

मुझे लगता है कि तुम लोगों की समझ अभी भी बहुत सरल और शाब्दिक है, किन्तु क्या तुम लोग, मुझे इन दो पहलुओं पर संवाद करते हुए सुनने के बाद, कम से कम यह पहचान सकते हो कि मनुष्यजाति को आपूर्ति करने के लिए परमेश्वर किन पद्धतियों का उपयोग करता है या परमेश्वर मनुष्यजाति को किन चीज़ों की आपूर्ति करता है? क्या तुम लोगों के पास कोई बुनियादी विचार और साथ ही कोई बुनियादी समझ है? (हाँ।) लेकिन क्या ये दोनों पहलू जिन पर मैंने संवाद किया था बाइबल से सम्बन्धित हैं? (नहीं।) क्या वे राज्य के युग में परमेश्वर के न्याय और उसकी ताड़ना से सम्बन्धित हैं? (नहीं।) तो मैंने क्यों इन दोनों पहलुओं पर संवाद किया? क्या यह इसलिए है क्योंकि लोगों को परमेश्वर को जानने के लिए इन्हें अवश्य समझना चाहिए? (हाँ।) इन्हें जानना बहुत आवश्यक है और इन्हें समझना भी बहुत ही आवश्यक है। केवल बाइबल तक ही सीमित मत रहो, और परमेश्वर के बारे में सबकुछ समझने के लिए केवल मनुष्य के परमेश्वर के न्याय और उसकी ताड़ना तक ही सीमित मत रहो। मेरे ऐसा कहने के पीछे क्या उद्देश्य है? यह लोगों को इस बात को जानने देने के लिए है कि परमेश्वर मात्र उसके चुने हुए लोगों का ही परमेश्वर नहीं है। तुम वर्तमान में परमेश्वर का अनुसरण करते हो, और वह तुम्हारा परमेश्वर है, किन्तु परमेश्वर का अनुसरण करने वाले लोगों से बाहर के लोगों के लिए, क्या परमेश्वर उनका परमेश्वर है? क्या परमेश्वर अपने अनुयाइयों को छोड़ अन्य लोगों का भी परमेश्वर है? क्या परमेश्वर सभी चीज़ों का परमेश्वर है? (हाँ।) तो क्या परमेश्वर केवल उन्हीं लोगों पर अपना कार्य और अपने क्रियाकलापों को करता है जो उसका अनुसरण करते हैं? (नहीं।) उसका उद्देश्य क्या है? लघुतम स्तर पर, उसके कार्य का दायरा पूरी मनुष्यजाति और सभी चीज़ों को घेरता है। उच्चतम स्तर पर, यह समस्त ब्रह्माण्ड को घेरता है जिसे लोग नहीं देख सकते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि परमेश्वर सम्पूर्ण मनुष्यजाति के बीच में अपना कार्य करता है और अपनी कार्यकलापों को कार्यान्वित करता है। यह लोगों को स्वयं परमेश्वर के बारे में जानने देने के लिए पर्याप्त है। यदि तुम परमेश्वर को जानना चाहते हो और सचमुच में उसे जानते और समझते हो, तो परमेश्वर के कार्य की केवल तीन अवस्थाओं तक ही सीमित मत रहो, और मात्र उस कार्य की कहानियों तक ही सीमित मत रहो जिसे परमेश्वर ने एक बार किया था। यदि तुम उसे उस तरह से जानने की कोशिश करते हो, तो तुम परमेश्वर को एक निश्चित सीमा तक सीमित कर रहे हो। तुम परमेश्वर को अत्यंत महत्वहीन के रूप में देख रहे हो। ऐसा करना लोगों को कैसे प्रभावित करता है? तुम कभी भी परमेश्वर की अद्भुतता और उसकी सर्वोच्चता को नहीं जान पाओगे, और तुम कभी भी परमेश्वर की सामर्थ्य और सर्वशक्तिमत्ता और उसके अधिकार के दायरे को नहीं जान पाओगे। ऐसी समझ इस सत्य को स्वीकार करने की तुम्हारी योग्यता को कि परमेश्वर सभी चीज़ों का शासक है, और साथ ही परमेश्वर की सच्ची पहचान एवं हैसियत के बारे में तुम्हारे ज्ञान को प्रभावित करेगी। दूसरे शब्दों में, यदि परमेश्वर के बारे में तुम्हारी समझ का दायरा सीमित है, तो जो तुम प्राप्त कर सकते हो वह भी सीमित होता है। इसीलिए तुम्हें अवश्य दायरे को बढ़ाना और अपने क्षितिज़ को खोलना चाहिए। चाहे यह परमेश्वर के कार्य, परमेश्वर के प्रबन्धन और परमेश्वर के शासन का, या परमेश्वर के द्वारा शासित और प्रबंधित सभी चीज़ों का दायरा हो, तुम्हें इसे पूरी तरह जानना चाहिए और उसमें परमेश्वर के कार्यकलापों को जानना चाहिए। समझ के ऐसे मार्ग के माध्यम से, तुम अचेतन रूप में महसूस करोगे कि परमेश्वर उनके बीच सभी चीज़ों पर शासन कर रहा है, उनका प्रबन्धन कर रहा है और उनकी आपूर्ति कर रहा है। इसके साथ-साथ, तुम सच में महसूस करोगे कि तुम सभी चीज़ों के एक भाग हो और सभी चीज़ों के एक सदस्य हो। चूँकि परमेश्वर सभी चीज़ों की आपूर्ति करता है, इसलिए तुम भी परमेश्वर के शासन और आपूर्ति को स्वीकार करते हो। यह एक तथ्य है जिससे कोई इनकार नहीं कर सकता है। सभी चीज़ें अपने स्वयं के नियमों के अधीन हैं, जो परमेश्वर के शासन के अधीन है, और सभी चीज़ों के पास जीवित बचे रहने के अपने स्वयं के नियम हैं, जो परमेश्वर के शासन के भी अधीन है, जबकि मनुष्यजाति का भाग्य और जो उनकी आवश्यकता है वे भी परमेश्वर के शासन और उसकी आपूर्ति से नज़दीकी से संबंधित हैं। इसीलिए, परमेश्वर के प्रभुत्व और शासन के अधीन, मनुष्यजाति और सभी चीज़ें परस्पर संबंधित हैं, एक दूसरे पर निर्भर हैं, और परस्पर गुंथे हुए हैं। यह सभी चीज़ों के सृजन का परमेश्वर का प्रयोजन और मूल्य है।

परमेश्वर का वचन” खंड अंत के दिनों में सभी मनुष्यों के लिए परमेश्वर के वचन को साझा करता है, जिससे ईसाईयों को परमेश्वर के बारे में अधिक जानने में मदद मिलती है।

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