01अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने सत्य व्यक्त किये हैं और पुस्तक के रहस्यों को खोल दिया है

प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी के अनुसार जो पुस्तक सात मुहरों द्वारा कसकर बंद है, वह प्रभु के सभी विश्वासियों के लिए एक महान रहस्य है और उसे सिर्फ़ मेमना ही खोल सकता है। प्रभु यीशु अब देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आया है—सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने सात मुहरों को और पुस्तक को खोल दिया है, वह इंसान को शुद्ध करके पूरी तरह से बचाने के लिए आवश्यक सभी सत्य व्यक्त करता है ताकि हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें। इनमें से ज़्यादातर सत्य सिर्फ़ एक किताब में मिलेंगे जिसका नाम है—वचन देह में प्रकट होता है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"फिर मैं ने एक और शक्‍तिशाली स्वर्गदूत को बादल ओढ़े हुए स्वर्ग से उतरते देखा। उसके सिर पर मेघधनुष था। उसका मुँह सूर्य के समान और उसके पाँव आग के खंभे के समान थे। उसके हाथ में एक छोटी सी खुली हुई पुस्तक थी। उसने अपना दाहिना पाँव समुद्र पर और बायाँ पृथ्वी पर रखा, और ऐसे बड़े शब्द से चिल्‍लाया, जैसा सिंह गरजता है; और जब वह चिल्‍लाया तो गर्जन के सात शब्द सुनाई दिए। जब सातों गर्जन के शब्द सुनाई दे चुके, तो मैं लिखने पर था, पर मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, 'जो बातें गर्जन के उन सात शब्दों से सुनी हैं उन्हें गुप्‍त रख, और मत लिख'" (प्रकाशितवाक्य 10:1-4)।

"जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी । फिर मैं ने एक बलवन्त स्वर्गदूत को देखा जो ऊँचे शब्द से यह प्रचार करता था, 'इस पुस्तक के खोलने और उसकी मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?' परन्तु न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्तक को खोलने या उस पर दृष्‍टि डालने के योग्य निकला। तब मैं फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि उस पुस्तक के खोलने या उस पर दृष्‍टि डालने के योग्य कोई न मिला। इस पर उन प्राचीनों में से एक ने मुझ से कहा, 'मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है'" (प्रकाशितवाक्य 5:1-5)।

02कैसे निश्चित करें कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन उसी पुस्तक में हैं जिसे खोला गया है

अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य व्यक्त करता है और परमेश्वर की 6,000 वर्षीय प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों को प्रकट करता है। वह प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर, परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य कर रहा है, जिसका मकसद हमारी पापी प्रकृति की जड़ और हमारे भ्रष्ट स्वभाव को हमेशा के लिए दूर करना और हमें पूरी तरह शैतान के प्रभाव से निकालकर राज्य में ले जाना है। परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना से गुज़रकर, परमेश्वर के चुने हुए लोगों का भ्रष्ट स्वभाव धीरे-धीरे बदल जाता है। उनमें परमेश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा और समर्पण का भाव विकसित होता है, फिर चाहे वे किसी भी तरह की मुश्किल या उत्पीड़न का सामना करें, वे परमेश्वर का अनुसरण करने और उसकी गवाही देने में पूरी दृढ़ता और तत्परता दिखाते हैं। यही लक्ष्य सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन इंसान में हासिल करते हैं। यह स्पष्ट है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन वही पुस्तक है जिसकी भविष्यवाणी प्रकाशितवाक्य में की गई है।

क.सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सत्य परमेश्वर की प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों को प्रकट करते हैं

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।

ख.सर्वशक्तिमान परमेश्वर इंसान का न्याय करने और उसे ताड़ना देने के लिए, इंसान को पूरी तरह से भ्रष्टता से बचाकर शुद्ध करने के लिए सत्य व्यक्त करता है

संदर्भ के लिए बाइबल के पद

"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।

"जिस शब्द को मैं ने स्वर्ग से बोलते सुना था, वह फिर मेरे साथ बातें करने लगा, 'जा, जो स्वर्गदूत समुद्र और पृथ्वी पर खड़ा है, उसके हाथ में की खुली हुई पुस्तक ले ले।' मैं ने स्वर्गदूत के पास जाकर कहा, 'यह छोटी पुस्तक मुझे दे।' उसने मुझ से कहा, 'ले, इसे खा ले; यह तेरा पेट कड़वा तो करेगी, पर तेरे मुँह में मधु सी मीठी लगेगी।' अत: मैं वह छोटी पुस्तक उस स्वर्गदूत के हाथ से लेकर खा गया। वह मेरे मुँह में मधु सी मीठी तो लगी, पर जब मैं उसे खा गया, तो मेरा पेट कड़वा हो गया" (प्रकाशितवाक्य 10:8-10)।

"हे दानिय्येल, चला जा; क्योंकि ये बातें अन्तसमय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है। बहुत से लोग तो अपने अपने को निर्मल और उजले करेंगे, और स्वच्छ हो जाएँगे; परन्तु दुष्‍ट लोग दुष्‍टता ही करते रहेंगे; और दुष्‍टों में से कोई ये बातें न समझेगा; परन्तु जो बुद्धिमान हैं वे ही समझेंगे" (दानिय्येल 12:9-10)।

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प्रकाशितवाक्य में जिस पुस्तक के बारे में भविष्यवाणी की गई है, उसे खोल दिया गया है