01किस तरह के लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं?

बहुत से लोगों को लगता है कि प्रभु में विश्वास करके और अपने पापों की माफ़ी पाकर, वे पहले ही अनुग्रह के माध्यम से बचाये जा चुके हैं। उन्हें लगता है कि प्रभु के लिए कड़ी मेहनत करने, त्याग करने और खुद को खपाने से, भले ही वे पाप के बंधनों से मुक्त नहीं हुए हों, मगर जब प्रभु आयेगा तो उन्हें स्वर्ग के राज्य में आरोहित किया जाएगा। लेकिन क्या यह बात सच है? परमेश्वर कहते हैं, "इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:45)। परमेश्वर धार्मिक और पवित्र है, तो वह ऐसे लोगों को अपने राज्य में कैसे प्रवेश करने दे सकता है जो लगातार पाप कर रहे हैं? किस तरह के लोग वास्तव में स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं?

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"क्योंकि सच्‍चाई की पहिचान प्राप्‍त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं। हाँ, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा" (इब्रानियों 10:26-27)।
"मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)।
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?' तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ'"(मत्ती 7:21-23)।
"क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ; इस कारण अपने को शुद्ध करके पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैव्यव्यवस्था 11:44)।
"मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे" (मत्ती 18:3)।
"ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्‍वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4)।
"धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:14)।

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02स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का एकमात्र मार्ग

प्रभु यीशु के छुटकारे का कार्य केवल लोगों के पापों को क्षमा करता है, लेकिन इससे मनुष्य के भ्रष्ट स्वभावों का समाधान नहीं हुआ। मनुष्य की पापी प्रकृति आज भी गहराई तक समायी हुई है, बार-बार प्रार्थना करने और प्रभु के सामने अपने पापों को स्वीकार करने और प्रभु की सेवा में कड़ी मेहनत करने के बावजूद, हम पाप के बंधनों को तोड़ने में असमर्थ हैं, हम शुद्ध होने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में असमर्थ हैं। तो, अंत के दिनों में जब प्रभु वापस लौटेगा, तब वह मनुष्य की पापी प्रकृति और भ्रष्ट स्वाभावों को पूरी तरह से ठीक करने के लिए सत्य व्यक्त करेगा और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य करेगा, ताकि लोग पाप को छोड़ सकें और शुद्ध हो सकें। साफ़ तौर पर, परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करना और इसका अनुभव करना ही पूर्ण उद्धार और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पाने का एकमात्र मार्ग है।

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"जिनकी रक्षा परमेश्‍वर की सामर्थ्य से विश्‍वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आनेवाले समय में प्रगट होनेवाली है, की जाती है" (1 पतरस 1:5)।
"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।
"सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है" (यूहन्ना 17:17)।
"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।
"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)।
"फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। उसने बड़े शब्द से कहा, 'परमेश्‍वर से डरो, और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है; और उसका भजन करो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए'" (प्रकाशितवाक्य 14:6-7)।
"हे दानिय्येल, चला जा; क्योंकि ये बातें अन्तसमय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है। बहुत से लोग तो अपने अपने को निर्मल और उजले करेंगे, और स्वच्छ हो जाएँगे; परन्तु दुष्‍ट लोग दुष्‍टता ही करते रहेंगे; और दुष्‍टों में से कोई ये बातें न समझेगा; परन्तु जो बुद्धिमान हैं वे ही समझेंगे" (दानिय्येल 12:9-10)।
"यहोवा की यह भी वाणी है, कि इस देश के सारे निवासियों की दो तिहाई मार डाली जाएगी, और बची हुई तिहाई उस में बनी रहेगी। उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उनके विषय में कहूँगा, 'ये मेरी प्रजा हैं,' और वे मेरे विषय में कहेंगे, 'यहोवा हमारा परमेश्‍वर है'" ( जकर्याह 13:8-9)।
"'जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है, वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है; वह पवित्र बना रहे।''देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है'" (प्रकाशितवाक्य 22:11-12)।

03स्वर्ग के राज्य की ख़ूबसूरती

अंत के दिनों का मसीह सत्य व्यक्त करता है, न्याय का कार्य करता है और विजेताओं का एक समूह बनाता है, जिसके बाद वह अच्छाई को पुरस्कार देने और बुराई को दंड देने के लिए हर तरह की आपदाएं बरसाएगा। वे सभी लोग जो परमेश्वर द्वारा शुद्ध और पूर्ण किये जा चुके हैं, जो आपदाओं के बीच उसके द्वारा बचाये और सुरक्षित किये जा चुके हैं, वे ही उसके राज्य में प्रवेश करेंगे। वे सभी परमेश्वर के वादे और आशीष पाने वाले लोग हैं। इस प्रकार, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक की यह भविष्यवाणी पूरी तरह पूरी हो गयी है: "देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य 21:3-4)।

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"उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्‍वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन् वह उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा" (दानिय्येल 2:44)।
"जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया, और वह युगानुयुग राज्य करेगा" (प्रकाशितवाक्य 11:15)।
"देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य 21:3-4)।
"फिर उसने मुझे बिल्‍लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की नदी दिखाई, जो परमेश्‍वर और मेम्ने के सिंहासन से निकलकर उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। नदी के इस पार और उस पार जीवन का वृक्ष था; उसमें बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस वृक्ष के पत्तों से जाति-जाति के लोग चंगे होते थे। फिर स्राप न होगा, और परमेश्‍वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा और उसके दास उसकी सेवा करेंगे। वे उसका मुँह देखेंगे, और उसका नाम उनके माथों पर लिखा हुआ होगा। फिर रात न होगी, और उन्हें दीपक और सूर्य के उजियाले की अवश्यकता न होगी, क्योंकि प्रभु परमेश्‍वर उन्हें उजियाला देगा, और वे युगानुयुग राज्य करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:1-5)।

स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कैसे करें