क्या वे लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं जिनके पाप तो क्षमा कर दिए गये हैं लेकिन जो अभी भी अक्सर पाप करते हैं?
लियू शिन और यांग यू, नियत समय पर पुनर्मिलन समारोह में भाग लेने के लिए चेन ली के घर पहुँच गये। रास्ते में, लियू शिन ने खुद पर विचार किया: "इस अवधि में, मैं हमेशा पाप करने और फिर उसे स्वीकारने की स्थिति में जीती रही हूँ और प्रभु की अपेक्षाओं के अनुसार नहीं जी पा रही हूँ। अगर यह जारी रहता है, तो क्या मैं स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाऊँगी?" हाल ही में, कुछ भाई-बहन पैसे बनाने में लीन थे और लियू शिन को उन्हें बैठकों की याद दिलानी पड़ती थी। इसलिए उसके मन में उनके विरुद्ध एक पूर्वाग्रह और आलोचनात्मक दृष्टिकोण था। फिर जब उसने सोचा कि बाइबल क्या कहती है, "सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)। "पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (1 पतरस 1:16)। तो उसने दोष की भावना को महसूस किया। उसने मन में सोचा, "मैं कई सालों से परमेश्वर में विश्वास करती हूँ, लेकिन मैं अभी भी हर दिन पाप करने और हर रात उसे स्वीकारने की स्थिति में रह रही हूँ। मैं भाई-बहनों के साथ प्यार, सहिष्णुता, धैर्य या समझ के साथ व्यवहार नही कर पाती हूँ। यदि ऐसे ही चलता रहा, तो मैं प्रभु का चेहरा देखने के योग्य कैसे हो सकती हूँ?" लियू शिन सोच में डूबी थी कि यांग यू ने कहा, "हम बहुत समय से एक साथ इकट्ठा नहीं हुए हैं। पता नहीं वू यू के पास आने का समय होगा या नहीं।" लियू शिन ने अपना सिर हिलाया और कहा, "हाँ। हम सहपाठियों में, परमेश्वर में उसकी आस्था के लिए एक ठोस आधार है, और वह कलीसिया में एक प्रचारक भी है। उसे बाइबल की शुद्ध समझ है और वह अपने प्रचार में शुद्ध ज्ञान का संचार करने में सक्षम है। मुझे भी पता नहीं है कि वह वहाँ होगी या नहीं। मुझे उससे एक सवाल करना है।" यांग यू ने कहा, "कोई बात नहीं, वहाँ जाकर पता चल जायेगा।" इसलिए वे और तेज़ी से चेन ली के घर की ओर बढ़ने लगे।
जब वे पहुंचे, तो लियू शिन ने वू यू को सोफे पर बैठे देखा। उन्होंने हाथ हिलाकर एक दूसरे का अभिवादन किया। लियू शिन ने कहा, "वू यू, मैं हाल ही में एक बात को लेकर उलझन में हूँ। मैं तुमसे मिलने के इस अवसर का उपयोग जवाब पाने के लिए करना चाहूँगी।" वू यू ने मुस्कुराते हुए कहा, "प्रभु का धन्यवाद! मुझे मदद करके बहुत ख़ुशी होगी। अगर तुम्हारा कोई सवाल है, तो बेझिझक पूछो। हम एक साथ संवाद और साझा कर सकते हैं।" लियू शिन ने अपना सिर झुकाया, एक पल के लिए रुकी और फिर कहा, "हम बहुत वर्षों से प्रभु में विश्वास करते रहे हैं, हम लालसा करते रहे हैं कि प्रभु वापसी आकर हमें स्वर्ग के राज्य में ले जायें। बाइबल कहती है: 'सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा' (इब्रानियों 12:14)। 'पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ' (1 पतरस 1:16)। इन दो पदों से, हम देख सकते हैं कि परमेश्वर चाहते हैं कि हम पवित्रता प्राप्त करें और केवल जो पवित्रता प्राप्त कर चुके हैं, वे ही प्रभु को देख सकते हैं। लेकिन अभी तो हम लगातार पाप करते हैं, पाप में रहते हैं, और प्रभु की अपेक्षाओं के अनुसार कार्य नहीं कर पाते। खासकर जब मैं प्रभु यीशु के इन वचनों को पढ़ती हूँ: 'मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है' (यूहन्ना 8:34-35)। तो मेरा दिल दर्द से भर जाता है। इन दिनों भाई-बहन बैठकों में शामिल नहीं होना चाहते हैं। हालाँकि मैंने उनकी मदद करने और उनका समर्थन करने की कोशिश की है, लेकिन वे हमेशा की तरह ही हैं। इसलिए मेरे मन में उनके बारे में एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण है, मैं उन्हें नीची दृष्टि से देखती हूँ, उनकी मदद करने और उन्हें समर्थन देने के लिए तैयार नहीं होती। मुझे भाई-बहनों के प्रति कोई सहिष्णुता या समझ नहीं है, और न ही मैं प्रभु के प्रेम को जी सकती हूँ। इस तरह के काम करते हुए, क्या प्रभु के आने पर मुझे स्वर्ग के राज्य में आरोहित किया जा सकता है?"
वू यू बोलने ही वाली थी जब उसके बगल में बैठी यांग यू ने कहा, "हमने कई सालों से प्रभु पर विश्वास किया है। हर कोई जानता है कि प्रभु यीशु ने हमारे पापों के लिए खुद का बलिदान दिया और हमें बचाया है। भले ही हम अभी भी अक्सर पाप करते हैं, लेकिन जब तक हम प्रभु के सामने पापस्वीकार और पश्चाताप करते हैं, तब तक वो हमारे सभी पापों को क्षमा कर देंगे। जैसा कि बाइबल कहती है: 'अत: अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं' (रोमियों 8:1)। परमेश्वर हमें पापी के रूप में नहीं देखते हैं, क्योंकि प्रभु प्रेमपूर्ण और दयालु हैं, वे हमें कभी नहीं छोड़ेंगे। इसलिए जब प्रभु लौटेंगे तो हमें निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में ले जाया जाएगा।" उनके विचारों को सुनने के बाद, हर कोई उलझन में पड़ गया। सभी ने महसूस किया कि लियू शिन और यांग यू, दोनों ने जो कहा वो उचित था। लेकिन वे स्पष्ट नहीं थे कि इस तरह पाप करते रहने और स्वीकारते रहने से वे भविष्य में स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं या नहीं। तब उन्होंने अपनी नज़रें वू यू की ओर घुमाईं और उससे उत्तर पाने की आशा की। चेन ली ने सभी के कप में थोड़ा पानी डाला और सुनने के लिए वहां बैठ गयी।
वू यू ने सबकी ओर देखा, अपना प्याला नीचे रखा और मुस्कराते हुए कहा, "प्रभु का धन्यवाद! पहले, मैं भी ऐसा ही सोचती थी। मैं सोचती थी कि जब से प्रभु यीशु हमारे लिए क्रूस पर चढ़े हैं, व्यक्तिगत रूप से हमारे पापों को उठाया है, हमें पाप से छुटकारा दिलाया और हमारे पापों को क्षमा कर दिया है, तो हम अब पाप से संबंधित नहीं हैं। जब तक हम पश्चाताप करते हैं और प्रभु के सामने स्वीकार करते हैं, वह निश्चित रूप से हमारे पापों को क्षमा करेंगे। और जब वह हमें प्राप्त करने के लिए वापस आयेंगे, तब हम उनके साथ स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे। बाद में, सभाओं में भाग लेने और एक बहन के साथ परमेश्वर के वचनों पर संगति करने के बाद मुझे समझ में आया: भले ही प्रभु यीशु ने हमारे पापों को क्षमा कर दिया है, फिर भी हमारे भीतर पापी प्रकृति बनी हुई है, और हम अभी भी अक्सर पाप कर सकते हैं और परमेश्वर का विरोध कर सकते हैं। हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह से अयोग्य हैं। बाइबल कहती है: "पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (1 पतरस 1:16)। परमेश्वर के वचन हमें स्पष्ट रूप से बताते हैं कि केवल पवित्रता प्राप्त करके ही हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं और प्रभु का चेहरा देखने के योग्य हो सकते हैं।
"हम सभी जानते हैं कि यहोवा ने अनुग्रह के युग में, लोगों को यह बताने के लिए व्यवस्था और आज्ञाएँ जारी कीं कि कैसे परमेश्वर की आराधना करनी है और कैसे पृथ्वी पर जीना है। उस समय, जो कोई भी यहोवा द्वारा जारी की गयी व्यवस्थाओं और आज्ञाओं को तोड़ता था, उसे दोषी ठहरा कर व्यवस्था द्वारा मौत के घाट उतार दिया जाता था। लेकिन परमेश्वर कृपालु हैं। वह लोगों को व्यवस्था के तहत मरते हुए नहीं देख सकते थे, इसलिए परमेश्वर अनुग्रह के युग की शुरुआत करने के लिए व्यक्तिगत रूप से देह बन गये और छुटकारे का कार्य किया। उन्होंने खुद को मानवजाति के लिए क्रूस पर अर्पित किया, व्यवस्था की अधीनता से उन्हें छुड़ाया और शैतान के प्रभुत्व से बचाया। तब तक, जब तक हम प्रार्थना करते हैं, प्रभु को स्वीकार करते हैं और पश्चाताप करते हैं, तब तक हमें हमारे पापों के लिए क्षमा दी जाएगी और हम दोषी नहीं ठहराए जायेंगे या व्यवस्था द्वारा मौत के घाट नहीं उतारे जायेंगे। अर्थात, परमेश्वर मानवजाति के लिए क्रूस पर ठोंके गये और मानवजाति के सभी पापों को वहन किया। परमेश्वर अब हम मनुष्यों को पापी नहीं मानते हैं और परमेश्वर के उद्धार के कारण हमें हमारे पापों से छुटकारा मिला है। इसलिए, हम सीधे प्रभु से प्रार्थना कर सकते हैं और उनकी कृपा का आनंद ले सकते हैं और अब शैतान हम पर दोषी नहीं लगाता है। यह हमारे पापों के क्षमा किए जाने का वास्तविक अर्थ है। भले ही प्रभु यीशु मनुष्य की पापबलि बन गए और हमने पाप की क्षमा पा ली है, लेकिन पाप करने और परमेश्वर का विरोध करने की हमारी प्रकृति का समाधान नहीं किया गया है। हम अभी भी स्वार्थ, नीचता, अहंकार, आत्म-महत्व जैसे भ्रष्ट स्वभावों को प्रकट कर सकते हैं, और उन चीजों को कर सकते हैं जो परमेश्वर का विरोध करते हैं, जिससे परमेश्वर को घृणा और नफ़रत महसूस होती है। हमारे जैसे लोग जो इस तरह की अपवित्रता और भ्रष्टाचार से भरे हैं, वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य कैसे हो सकते हैं? इसके बारे में, आइए परमेश्वर के वचनों पर ध्यान दें।" लियू शिन और अन्य ने आपस में सहमति में सिर हिलाया। इसके साथ, वू यू ने अपने झोले से परमेश्वर के वचन की एक पुस्तक निकाली। उसने इसे लियू शिन को सौंप दिया और कहा, "लियू शिन, कृपया इसे पढ़ो।"
लियू शिन ने किताब लेकर पढ़ा: "तुम लोगों जैसा पापी, जिसे परमेश्वर के द्वारा अभी-अभी छुड़ाया गया है, और जो परिवर्तित नहीं किया गया है, या सिद्ध नहीं बनाया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो कि अभी भी पुराने अहम् वाले हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और कि परमेश्वर द्वारा उद्धार की वजह से तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुम्हें बदला नहीं गया तो तुम संत जैसे कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता से घिरे हुए हो, स्वार्थी और कुटिल हो, मगर तब भी तुम यीशु के साथ अवतरण चाहते हो—क्या तुम इतने भाग्यशाली हो सकते हो? तुम परमेश्वर पर अपने विश्वास में एक कदम चूक गए हो: तुम्हें मात्र छुटकारा दिया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के हृदय के अनुसार होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें परिवर्तित और शुद्ध करने का कार्य करना होगा; यदि तुम्हें सिर्फ छुटकारा दिया जाता है, तो तुम पवित्रता को प्राप्त करने में असमर्थ होंगे। इस तरह से तुम परमेश्वर के आशीषों में साझेदारी के अयोग्य होंगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंधन करने के परमेश्वर के कार्य के एक कदम का सुअवसर खो दिया है, जो कि परिवर्तित करने और सिद्ध बनाने का मुख्य कदम है। और इसलिए तुम, एक पापी जिसे अभी-अभी छुटकारा दिया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हो।"
लियू शिन ने जब परमेश्वर के वचनों को पढ़ना समाप्त कर लिया, तो वू यू संगति की, "परमेश्वर के वचनों से, हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि प्रभु यीशु मनुष्य की पापबलि हैं, उन्होंने हमारे पापों को क्षमा कर दिया है, लेकिन हमारी पापी प्रकृति अभी भी बनी हुई है और यह शुद्ध नहीं हुई है। इसलिए, हमें अभी भी परमेश्वर से आवश्यकता है कि वह हमारी शैतानी प्रकृति और उनका विरोध करने वाले स्वभाव को शुद्ध करने और बदलने के लिए शुद्धिकरण-कार्य का एक चरण करें। केवल इस प्रकार हम उनके अनुरूप बन सकते हैं और उनका चेहरा देखने के योग्य हो सकते हैं। यदि हमारे भ्रष्ट स्वभाव का समाधान नहीं किया गया, तो हम परमेश्वर का विरोध करने वाले काम करते रहेंगे। उदाहरण के लिए, प्रभु पर विश्वास करने के बाद भी, खोखले गौरव का पीछा करने के कारण, हम हमेशा झूठ बोलते हैं, धोखा देते हैं और एक ईमानदार व्यक्ति होने के लिए उनके वचनों को व्यवहार में नहीं ला पाते हैं। हमारे उपदेशों और संगति में, हम अभी भी अपने आप को ऊपर उठाते हैं और हमने जो कुछ झेला है उसकी गवाही देते हैं। जब हम अपने भाई-बहनों के साथ जुड़ते हैं, तो हमारे घमंडी स्वभाव के कारण, हम अक्सर उन्हें नीची नज़र से देखते हैं और कभी-कभी नीचा दिखाने के रवैये के साथ उनकी आलोचना भी करते हैं; हम सारा भ्रष्टाचार और कुरूपता प्रकट करते हैं—हमारे दिल में परमेश्वर नहीं है, हम दूसरों के प्रति घृणा दिखाते हैं। जब प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से या किसी ऐसी चीज़ से हमारा सामना होता है जो हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है, तब भी हम परमेश्वर को गलत समझेंगे, शिकायत करेंगे और उनके साथ विश्वासघात भी करेंगे। यदि हम इन व्यवहारों को नहीं बदलते हैं, तो हम परमेश्वर के स्वभाव का अपमान करेंगे। यह स्पष्ट है कि यदि हम परमेश्वर का विरोध करने के अपनी प्रकृति से निपट नहीं पाते हैं, यदि हमारे शैतानी स्वभाव को शुद्ध नहीं किया जाता है, तो हमारे लिए स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने की कोई संभावना नहीं होगी। जो कुछ हमने पूर्व में कहा था वह सब हमारी धारणाओं और कल्पनाओं से आता है और परमेश्वर के अनुरूप नहीं है, जैसे कि अगर हम पाप करते हैं, तो जब तक हम प्रभु के सामने पापस्वीकार और पश्चाताप करते हैं, वह हमें क्षमा कर देंगे और अपनी वापसी पर हमें स्वर्ग के राज्य में ले जायेंगे; प्रभु प्रेम हैं, इसलिए वह हमें कभी नहीं छोड़ेंगे; इत्यादि। बाइबल कहती है: 'क्योंकि सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं' (इब्रानियों 10:26)। इससे हम परमेश्वर के धर्मी स्वभाव और पवित्र सार को देख सकते हैं। यदि हम हमेशा पाप करने, उसे स्वीकारने के दुष्चक्र में रहते हैं और अपने भ्रष्ट स्वभाव का समाधान नहीं करते हैं, तो अंत में परमेश्वर हमसे घृणा करेंगे और हमें हटा देंगे, हम कभी प्रभु यीशु की स्वीकृति प्राप्त नहीं करेंगे, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने की रो बात ही दूर है। जैसा कि प्रकाशितवाक्य 21:27 कहता है: 'परन्तु उसमें कोई अपवित्र वस्तु, या घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़नेवाला किसी रीति से प्रवेश न करेगा।'"
वू यू की विस्तृत संगति ने उस सवाल को अच्छी तरह से हल कर दिया था जिसने लियू शिन को उलझा रखा था। उसने कहा, "प्रभु का धन्यवाद! अब, मैं समझ गयी हूँ कि भले ही प्रभु यीशु ने हमारे पापों के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया, हमारे पापों को क्षमा कर दिया, हमें शैतान के प्रभुत्व से बचा लिया, लेकिन हमारे पापों की जड़ का अभी तक समाधान नहीं हुआ है। हमारी प्रकृति अभी भी हमें पाप करने और परमेश्वर का विरोध करने के लिए निर्देशित करेगी। अगर हम अपने भ्रष्ट स्वभावों को नहीं सुलझाते हैं, तो हम निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में नहीं पहुँच सकते हैं।" यह सुनकर, यांग यू ने अपना सिर खुजलाया और थोड़ी शर्मिंदगी के साथ कहा, "आह! मैंने सोचा था कि भले ही हम हर दिन पाप करते हैं, लेकिन जब तक हम प्रभु के सामने पश्चाताप करते हैं, हमें उनके द्वारा क्षमा कर दिया जाएगा। पर, वू यू की संगति सुनने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मेरा दृष्टिकोण गलत है।"
वू यू ने चारों ओर नज़रें दौड़ाईं और कहा, "प्रभु का धन्यवाद! चूंकि हममें अभी भी भ्रष्ट स्वभाव है इसलिए हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश के अयोग्य हैं। लेकिन जब प्रभु अंत के दिनों में लौटेंगे, तो वे हमें शुद्ध करने और हमारी भ्रष्टता को बदलने के लिए सत्य अभिव्यक्त करेंगे। शायद आप लोगों को बाइबल के ये पद याद हों: 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। 'जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा' (यूहन्ना 12:48)। 'क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए' (1 पतरस 4:17); 'वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा' (इब्रानियों 9:28)। इन पदों से हम देख सकते हैं कि जब प्रभु अंत के दिनों में आएंगे तो वे न्याय व ताड़ना के कार्य का चरण करेंगे। परमेश्वर की न्याय और शुद्धता का अनुभव लेने के बाद जब हमारे भ्रष्ट स्वभाव दूर हो जाते हैं, तब ही हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं।"
लियू शिन ने खुश होकर कहा, "प्रभु का धन्यवाद! आपकी संगति बाइबल के अनुसार है। इस तरह हमारे पास स्वर्गराज्य में प्रवेश करने का पथ होगा। वू यू, क्या मैं आपकी किताब पढ़ सकती हूँ?"
"हाँ, हाँ, क्यों नहीं!" यह कहते हुए, उसने लियू शिन को परमेश्वर के वचनों की किताब दे दी। यांग यू और अन्य सहपाठी भी किताब पढ़ने के लिए उत्सुकतापूर्वक करीब आ गए।
यदि आप स्वर्ग के राज्य के भेद के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो हमारे “स्वर्ग के राज्य का रहस्य” पृष्ठ पर या नीचे दी गई सामग्री का अवलोकन करें।