परमेश्वर के पदचिह्नों की तलाश में,
तुम लोगों ने उन वचनों की उपेक्षा कर दी है कि
परमेश्वर सत्य, मार्ग और जीवन है।
बहुत से लोग, सत्य को प्राप्त करके भी यह नहीं मानते हैं
कि उन्हें परमेश्वर के पदचिह्न मिल गए हैं,
और वे परमेश्वर के प्रकटन को तो और भी कम स्वीकार करते हैं।
कितनी गंभीर ग़लती है!
परमेश्वर के प्रकटन का मनुष्य की धारणाओं के साथ समन्वय नहीं किया जा सकता है,
परमेश्वर मनुष्य के आदेश पर तो बिल्कुल प्रकट नहीं हो सकता।
परमेश्वर जब अपना कार्य करता है,
तो वह अपनी पसंद और अपनी योजनाएँ बनाता है;
इसके अलावा, उसके अपने उद्देश्य और अपने तरीके हैं।
चूँकि हम परमेश्वर के पदचिह्नों की खोज कर रहे हैं,
इसलिए यह हमें परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर के वचनों,
क्योंकि जहाँ कहीं भी परमेश्वर के द्वारा बोले गए नए वचन हैं,
वहाँ परमेश्वर की वाणी है और जहाँ कहीं भी परमेश्वर के पदचिह्न हैं,
वहाँ परमेश्वर के कर्म हैं।
जहाँ कहीं भी परमेश्वर की अभिव्यक्ति है,
वहाँ परमेश्वर प्रकट होता है,
और जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है,
वहाँ सत्य, मार्ग और जीवन विद्यमान होता है।
वह जो भी कार्य करता है,
उसे उसके बारे में मनुष्य से चर्चा करने या उसकी सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है,
वह अपने कार्य के बारे में किसी भी व्यक्ति को सूचित तो बिल्कुल नहीं करता।
परमेश्वर के इस स्वभाव को हर व्यक्ति को पहचानना चाहिए।
यदि तुम लोग परमेश्वर के प्रकटन को देखने,
परमेश्वर के पदचिह्नों का अनुसरण करने की इच्छा रखते हो,
तो तुम लोगों को सबसे पहले अपनी धारणाओं को त्याग देना चाहिए।
तुम लोगों को यह माँग करनी ही नहीं चाहिए कि परमेश्वर ऐसा या वैसा करे,
तुम्हें उसे अपनी सीमाओं और अपनी अवधारणाओं तक सीमित नहीं करना चाहिए।
इसके बजाय, तुम्हें पूछना चाहिए कि तुम लोगों को
परमेश्वर के पदचिह्नों की तलाश कैसे करनी है,
तुम्हें परमेश्वर के प्रकटन को कैसे स्वीकार करना है,
और तुम्हें परमेश्वर के नए कार्य के प्रति कैसे समर्पण करना है;
चूँकि मनुष्य सत्य नहीं है,
और सत्य को धारण नहीं करता है,
इसलिए उसे खोजना, स्वीकार करना,
और आज्ञापालन करना चाहिए।
चूँकि हम परमेश्वर के पदचिह्नों की खोज कर रहे हैं,
इसलिए यह हमें परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर के वचनों,
क्योंकि जहाँ कहीं भी परमेश्वर के द्वारा बोले गए नए वचन हैं,
वहाँ परमेश्वर की वाणी है और जहाँ कहीं भी
परमेश्वर के पदचिह्न हैं,
वहाँ परमेश्वर के कर्म हैं।
जहाँ कहीं भी परमेश्वर की अभिव्यक्ति है,
वहाँ परमेश्वर प्रकट होता है,
और जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है,
वहाँ सत्य, मार्ग और जीवन विद्यमान होता है।