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परमेश्वर के दैनिक वचन

परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 35

परमेश्वर पृथ्वी पर मुख्य रूप से अपने वचनों को कहने के लिए आया है; और तुम जिसके साथ संलग्न होते हो, वह परमेश्वर का वचन है, वह परमेश्वर का वचन है, तुम जो देखते हैं, वह परमेश्वर का वचन है, तुम जिसे सुनते...

परमेश्वर के दैनिक वचन : मंज़िलें और परिणाम | अंश 594

आरंभ में परमेश्वर विश्राम में था। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था और परमेश्वर ने तब तक किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया था। उसने अपने प्रबंधन का कार्य केवल तब आरंभ किया, जब मानवता...

परमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 416

अपने प्रतिदिन के जीवन में तुम प्रार्थना पर बिलकुल ध्यान नहीं देते। लोगों ने प्रार्थना को सदैव नजरअंदाज किया है। प्रार्थनाएँ लापरवाही से की जाती थीं, जिसमें इंसान परमेश्वर के सामने बस खानापूर्ति करता थ...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 115

योना 3 तब यहोवा का यह वचन दूसरी बार योना के पास पहुँचा: "उठकर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और जो बात मैं तुझ से कहूँगा, उसका उस में प्रचार कर।" तब योना यहोवा के वचन के अनुसार नीनवे को गया। नीनवे एक बहुत ब...

परमेश्वर के दैनिक वचन : मंज़िलें और परिणाम | अंश 587

दुनिया के विशाल विस्तार में अनगिनत परिवर्तन हो चुके हैं, बार-बार गाद भरने से महासागर मैदानों में बदल रहे हैं, खेत बाढ़ से महासागरों में बदल रहे हैं। सिवाय उसके जो ब्रह्मांड में सभी चीज़ों पर शासन करता ...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 71

परमेश्वर की छह-हज़ार-वर्षीय प्रबंधन योजना समाप्त हो रही है, और राज्य का द्वार उन सभी लोगों के लिए पहले से ही खोल दिया गया है, जो उसका प्रकटन चाहते हैं। प्रिय भाइयो और बहनो, तुम लोग किस चीज़ की प्रतीक्ष...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 263

जब सबसे पहले मनुष्य को सामाजिक विज्ञान मिला, तब से मनुष्य का मन विज्ञान और ज्ञान में व्यस्त था। फिर विज्ञान और ज्ञान मानवजाति के शासन के लिए उपकरण बन गए, और अब मनुष्य के पास परमेश्वर की आराधना करने के...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 70

कई हज़ारों सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को एक सफेद बादल पर देखने की इच्छा की है जब वह व्यक्तिगत रूप से उन लोगों के बीच ...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 9

परमेश्वर विभिन्न परीक्षणों से जाँच करता है कि लोग परमेश्वर का भय मानते और बुराई से दूर रहते हैं या नहीं हर युग में, जब परमेश्वर संसार में कार्य करता है तब वह मनुष्य को कुछ वचन प्रदान करता है, और उन...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 39

परमेश्वर का स्वभाव कभी मनुष्य से छिपा नहीं रहा है—मनुष्य का हृदय परमेश्वर से भटक गया है सृजन के समय से ही, परमेश्वर का स्वभाव उसके कार्य के साथ क़दम से क़दम मिलाता रहा है। यह मनुष्य से कभी भी छिपा ...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 72

चाहे तुम अमेरिकी हो, ब्रिटिश या फिर किसी अन्य देश के, तुम्हें अपनी राष्ट्रीयता की सीमाओं से बाहर कदम रखना चाहिए, अपनी अस्मिता के पार जाना चाहिए, और परमेश्वर के कार्य को एक सृजित प्राणी के दृष्टिकोण से...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 75

फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया, क्या तुम लोग उसका कारण जानना चाहते हो? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे ज्यादा और क्या, उन्होंने केवल...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 262

मानवजाति का सदस्य और सच्चे ईसाई होने के नाते, अपने मन और शरीर को परमेश्वर के आदेश को पूरा करने के लिए समर्पित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी और दायित्व है, क्योंकि हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया ह...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 259

परमेश्वर ने इस संसार की रचना की और इसमें एक जीवित प्राणी, मनुष्य को लेकर आया, जिसे उसने जीवन प्रदान किया। इसके बाद, मनुष्य के माता-पिता और परिजन हुए, और वह अकेला नहीं रहा। जब से मनुष्य ने पहली बार इस ...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 258

जिस क्षण से तुम रोते हुए इस दुनिया में आते हो, तभी से तुम अपना कर्तव्य पूरा करना शुरू कर देते हो। परमेश्वर की योजना और उसके विधान में अपनी भूमिका निभाते हुए तुम अपनी जीवन-यात्रा शुरू करते हो। तुम्हारी...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 249

मेरी दया उन पर अभिव्यक्त होती है, जो मुझसे प्रेम करते हैं और स्वयं को नकारते हैं। इस बीच, दुष्टों को मिला दंड निश्चित रूप से मेरे धार्मिक स्वभाव का प्रमाण है, और उससे भी बढ़कर, मेरे क्रोध की गवाही है। ...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 38

  अंतिम दिनों के लोग परमेश्वर के क्रोध को केवल उसके वचनों में देखते हैं, और परमेश्वर के क्रोध को सचमुच में महसूस नहीं करते हैं कि उत्पत्ति के समय से लेकर आज तक, किसी भी समूह ने परमेश्वर के अनुग्रह य...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 128

केवल वही लोग सच्ची स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं जो सृजनकर्ता की संप्रभुता के प्रति समर्पण करते हैं क्योंकि लोग परमेश्वर के आयोजनों और परमेश्वर की संप्रभुता को नहीं पहचानते हैं, इसलिए वे हमेशा अवज...