कश्ती सा मैं था, भटका समन्दर में।
चुन कर मुझे, तूने राह दी तेरे शरण की।
तेरे परिवार में स्नेह से मुझे शांति मिली।
तू दे आशीष और दे वचन न्याय के।
फिर भी हूँ असमर्थ तेरी दया संजोने में।
अक्सर किया है विद्रोह, दुखाया तेरा दिल।
अनदेखा कर मेरे पापों को मुझे मोक्ष की ओर बढ़ाता।
जाऊँ मै दूर तो ख़तरों से खींच लाता।
करूँ विद्रोह, तो तू छुपे, तम मुझे जकड़ ले।
मैं वापस आऊँ, तू करुणा दे मुझे, हँस के पकड़ ले।
जब शैतान मारे मुझे, तू भर दे ज़ख़्म दिल के मेरे।
हर परीक्षा में तू साथ हो मेरे।
जल्द सुबह आएगी, और फिर से चमकेगा नीला गगन,
जब तुम मेरे साथ हो।
जल्द सुबह आएगी, और फिर से चमकेगा नीला गगन,
जब तुम मेरे साथ हो।
तू मेरा जीवन, तू मेरा प्रभु।
साथी तू मेरा, हमेशा रहे साए सा।
इन्सां तू बनना सिखाता है, और देता है जीवन और सच।
तेरे ही साथ भव्यता से भरे मेरा जीवन।
चाहत न कोई रखूं, तेरे नियम से ही चलूँ।
बनूं सच्चा सृजन, लौटूं तेरी ओर।
तेरे वजूद में जी कर, तुझ से कहता हूँ, तेरी सुनता हूँ।
अकेला तुझको छोड़ूंगा न मैं अब।
तेरे साथ में, तूफां का डर नहीं।
जब ढँके रात मुझे, अकेला मै अब नहीं।
जो तू है मेरे पास, ख़तरा हो या मुश्किल, मैं लड़ूं।
तेरे साथ में, सफ़र होंगे आसान।
मुश्किल भरे रास्ते जो मिलते हैं सफ़र में,
ले जाते हैं ओर सुंदर बसन्त की।
जल्द सुबह आएगी, और फिर से चमकेगा नीला गगन,
जब तुम मेरे साथ हो।
तेरे साथ में, तूफां का डर नहीं।
जब ढँके रात मुझे, अकेला मै अब नहीं।
जो तू है मेरे पास, ख़तरा हो या मुश्किल, मैं लड़ूं।
तेरे साथ में, सफ़र होंगे आसान।
मुश्किल भरे रास्ते जो मिलते हैं सफ़र में,
ले जाते हैं ओर सुंदर बसन्त की।
जल्द सुबह आएगी, और फिर से चमकेगा नीला गगन।
मैं तेरे संग हूँ।