परमेश्वर की ज्योति में लोग फिर से ज्योति देखते हैं।
परमेश्वर के वचनों में, लोगों को खुशी देने वाली चीज़ें मिलती हैं।
परमेश्वर का आगमन पूर्व से हुआ है और वहीं परमेश्वर की उत्पत्ति हुई है।
जब परमेश्वर की महिमा चमकती है, तो सभी राष्ट्र प्रकाशित हो उठते हैं,
सभी कुछ रोशनी में आ जाता है, कुछ अंधकार में नहीं रहता।
राज्य में, परमेश्वर के साथ उसके लोगों का जीवन
इतना प्रसन्न रहता है कि जिसकी तुलना नहीं की जा सकती।
लोगों के धन्य जीवन के लिये जल-स्रोत नृत्य करते हैं,
पर्वत लोगों के साथ परमेश्वर क बहुलता का आनंद लेते हैं।
परमेश्वर के राज्य में सभी लोग प्रयासरत हैं, श्रम कर रहे हैं,
अपनी निष्ठा दिखा रहे हैं।
राज्य में, न तो अब कोई विद्रोह है, न कोई विरोध;
स्वर्ग और पृथ्वी एक-दूसरे पर आश्रित हैं,
मानव और परमेश्वर में निकटता है, गहन भाव हैं,
जीवन के परम सुख में, साथ-साथ प्रवृत्त हैं...
इस समय,
परमेश्वर औपचारिक रूप से स्वर्गिक जीवन का आरंभ करता है।
अब शैतान का कोई दख़ल नहीं है,
और लोग शांत-भाव में प्रवेश कर रहे हैं।
पूरे विश्व में, परमेश्वर के चुने हुए लोग उसकी महिमा में रह रहे हैं,
उन पर अतुल्य आशीष है, लोगों के मध्य जी रहे लोगों की तरह नहीं,
बल्कि परमेश्वर के संग रह रहे लोगों के समान है।
सभी ने शैतान की भ्रष्टता की अनुभूति की है,
जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का स्वाद लिया है।
अब जबकि वे परमेश्वर की ज्योति में रह रहे हैं, तो वे आनंद कैसे न मनाएं?
कोई इस ख़ूबसूरत पल को यों ही कैसे त्याग दे और हाथ से निकल जाने दे?
लोगों! अब परमेश्वर के लिए अपने हृदय के गीत गाओ और नृत्य करो!
अब अपने निष्कपट हृदय को उठाओ और परमेश्वर को भेंट करो!
अब परमेश्वर के लिए नगाड़े बजाओ!
परमेश्वर ने पूरे विश्व को आनंद से जगमगा दिया है!
परमेश्वर ने लोगों को अपने महिमामय मुख-मंडल के दर्शन कराए हैं!
वह गर्जन करेगा! परमेश्वर विश्व को श्रेष्ठता की ओर ले जाएगा!
पहले से ही लोगों पर परमेश्वर का आधिपत्य है!
लोगों ने परमेश्वर को गौरवान्वित किया है!
परमेश्वर नीले आकाश की ओर मुड़ता है
और लोग परमेश्वर के साथ-साथ आते हैं। परमेश्वर लोगों के साथ चलता है
और परमेश्वर के लोग उसे घेर लेते हैं! लोगों के दिल आनंदित हैं,
उनके गीत गगन भेदते हुए विश्व में हलचल मचाते हैं!
विश्व अब धुंध से नहीं ढका है;
अब न कहीं कीचड़ है, न मल का कोई ढेर है।
विश्व के पवित्र लोगों!
परमेश्वर की निगरानी में तुम्हारी सच्ची मुखाकृति प्रकट हुई है।
तुम मलिनता से ढके इंसान नहीं हो,
बल्कि हरिताश्म की तरह निर्मल संत हो,
सभी परमेश्वर के परम प्रिय हो, परमेश्वर के परम आनंद हो!
सभी चीज़ें फिर से सजीव हो रही हैं!
सभी संत वापिस आकर परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं,
उसके आत्मीय आलिंगन में प्रवेश कर रहे हैं,
न अब रुदन कर रहे हैं, न अब व्याकुल हैं,
परमेश्वर को समर्पित हो रहे हैं, परमेश्वर के घर लौट रहे हैं,
परमेश्वर के घर लौट रहे हैं,
और अपनी मातृभूमि में परमेश्वर को असीम प्रेम करते रहेंगे!
जैसे हैं, वैसे ही! जैसे हैं, वैसे ही!
कहां है दु:ख! कहां हैं आंसू! कहां है देह!
अब पृथ्वी नहीं है; स्वर्ग है सदैव के लिये।
परमेश्वर सभी के लिये अवतरित होता है,
और सभी जन परमेश्वर की स्तुति करते हैं।
ये जीवन, ये सौंदर्य, अनंतकाल से और अनंतकाल तक,
अपरिवर्तनीय रहेगा।
राज्य में यही जीवन है। राज्य में यही जीवन है।
राज्य में यही जीवन है।