एक नए युग का सूत्रपात करने के खास उद्देश्य से परमेश्वर देह बनता है,
जब वह नए युग का सूत्रपात करेगा,
तो वह उसके साथ-साथ ही पूर्व युग का समापन भी करेगा।
हर बार वह देहधारी बन करे कार्य,
नया शुरू होता युद्ध।
बिन ईश्वर के नए कार्य के, पुराना अंत न हो।
और यह सत्य कि पुराना कार्य अभी ख़त्म नहीं हुआ,
दर्शाता है कि शैतान से युद्ध अब तक पूरा न हुआ।
आदि और अंत परमेश्वर ही है।
वह स्वयं ही है जो अपने कार्य को चलाता है
और इसलिए वह स्वयं ही वो होना चाहिए जो पहले के युग का समापन करता है।
यही प्रमाण है कि वह शैतान को पराजित करता है
और संसार को जीत लेता है।
बोये वही, वही काटे।
आदि और अंत परमेश्वर ही है।
जब स्वयं परमेश्वर आये और नया कार्य करे,
तब मानव शैतान के नियंत्रण से आज़ाद होगा।
यदि ईश्वर न आता करने कार्य, न होती नई शुरुआत और नई ज़िन्दगी।
जीता पुराने युग में मानव प्रभाव में शैतान के।
हर युग जिसकी अगुवाई करे ईश्वर, हो मानव का एक भाग आज़ाद।
उनको बढ़ाये ईश्वर का कार्य नए युग की ओर।
उसकी जीत उन सबकी है जो उसका अनुसरण करते हैं।
आदि और अंत परमेश्वर ही है।
वह स्वयं ही है जो अपने कार्य को चलाता है
और इसलिए वह स्वयं ही वो होना चाहिए जो पहले के युग का समापन करता है।
यही प्रमाण है कि वह शैतान को पराजित करता है
और संसार को जीत लेता है।
बोये वही, वही काटे।
आदि और अंत परमेश्वर ही है।
और इस प्रकार परमेश्वर के कार्य के साथ-साथ मनुष्य एक नए युग की ओर आगे बढ़ता है।
परमेश्वर की विजय उन सबकी विजय है जो उसका अनुसरण करते हैं।
आदि और अंत परमेश्वर ही है।
वह स्वयं ही है जो अपने कार्य को चलाता है
और इसलिए वह स्वयं ही वो होना चाहिए जो पहले के युग का समापन करता है।
यही प्रमाण है कि वह शैतान को पराजित करता है
और संसार को जीत लेता है।
बोये वही, वही काटे।
आदि और अंत परमेश्वर ही है।