बाइबल में हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का अभिलेख नहीं है। बाइबल बस परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरण दर्ज करती है, जिनमें से एक भाग नबियों की भविष्यवाणियों का अभिलेख है, और दूसरा भाग युगों-युगों में परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किए गए लोगों द्वारा लिखे गए अनुभवों और ज्ञान का अभिलेख है। मनुष्य के अनुभव उसके मतों और ज्ञान से दूषित हैं, जो एक अपरिहार्य चीज़ है। बाइबल की कई पुस्तकों में मनुष्य की धारणाएँ, पूर्वाग्रह और बेतुकी समझ शामिल हैं। बेशक, अधिकतर वचन पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता और रोशनी का परिणाम हैं और वे सही समझ हैं—फिर भी अभी यह नहीं कहा जा सकता कि वे पूरी तरह से सत्य की सटीक अभिव्यक्ति हैं। कुछ चीज़ों पर उनके विचार व्यक्तिगत अनुभव से प्राप्त ज्ञान या पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता से बढ़कर कुछ नहीं हैं। नबियों के पूर्वकथन परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से निर्देशित किए गए थे : यशायाह, दानिय्येल, एज्रा, यिर्मयाह और यहेजकेल जैसों की भविष्यवाणियाँ पवित्र आत्मा के सीधे निर्देशन से आई थीं; ये लोग द्रष्टा थे, उन्होंने भविष्यवाणी के आत्मा को प्राप्त किया था, और वे सभी पुराने नियम के नबी थे। व्यवस्था के युग के दौरान इन लोगों ने, जिन्होंने यहोवा की अभिप्रेरणाओं को प्राप्त किया था, अनेक भविष्यवाणियाँ की थीं, जिन्हें सीधे यहोवा के द्वारा निर्देशित किया गया था। और यहोवा ने उनमें कार्य क्यों किया था? क्योंकि इस्राएल के लोग परमेश्वर के चुने हुए लोग थे, और नबियों का कार्य उनके बीच में किया जाना था; इसी कारण से नबी ऐसे प्रकाशन प्राप्त करने में समर्थ थे। वास्तव में, वे स्वयं भी परमेश्वर से प्राप्त प्रकाशनों को समझ नहीं पाए थे। पवित्र आत्मा ने उनके मुँह के जरिये वे वचन कहे थे, ताकि भविष्य के लोग उन चीज़ों को समझ पाएँ, और देख सकें कि वे वास्तव में परमेश्वर के आत्मा, अर्थात् पवित्र आत्मा के कार्य थे, और मनुष्य की ओर से नहीं आए थे, और उन्हें पवित्र आत्मा के कार्य की पुष्टि प्रदान की जा सके। अनुग्रह के युग के दौरान, यीशु ने उनके बदले स्वयं यह सब कार्य किया, इसलिए लोगों ने आगे भविष्यवाणी नहीं की। तो क्या यीशु एक नबी था? निस्संदेह यीशु एक नबी था, लेकिन वह प्रेरितों का काम करने में भी सक्षम था—वह भविष्यवाणी करने और पूरे देश के लोगों के बीच प्रचार करने और सिखाने दोनों का काम कर सकता था। फिर भी उसने जो कार्य किया और जिस पहचान का उसने प्रतिनिधित्व किया, वे एकसमान नहीं थे। वह सारी मानवजाति को छुड़ाने, मनुष्य को उसके पापों से छुड़ाने के लिए आया था; वह एक नबी और प्रेरित था, किंतु इस सबसे बढ़कर वह मसीह था। एक नबी भविष्यवाणी कर सकता है, परंतु यह नहीं कहा जा सकता कि वह मसीह है। उस समय यीशु ने अनेक भविष्यवाणियाँ कीं और इसलिए यह कहा जा सकता है कि वह एक नबी था, किंतु यह नहीं कहा जा सकता कि वह नबी था और इसलिए वह मसीह नहीं था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कार्य का एक चरण पूरा करने में उसने स्वयं परमेश्वर का प्रतिनिधित्व किया, और उसकी पहचान यशायाह की पहचान से अलग थी : वह छुटकारे का कार्य पूरा करने आया था, और उसने मनुष्य के जीवन के लिए पोषण भी प्रदान किया, और परमेश्वर का आत्मा सीधे उसके ऊपर आया था। जो कार्य उसने किया था, उसमें परमेश्वर के आत्मा की कोई अभिप्रेरणा या यहोवा का कोई निर्देश नहीं था। इसके बजाय, आत्मा ने सीधे तौर पर काम किया—जो यह साबित करने के लिए काफी है कि यीशु नबी के समान नहीं था। जो कार्य उसने किया, वह छुटकारे का कार्य था, भविष्यवाणी करना दूसरे स्थान पर आता था। वह एक नबी और प्रेरित था, पर उससे भी बढ़कर वह एक उद्धारक था। भविष्यवक्ता इस बीच केवल भविष्यवाणी कर सकते थे, और कोई अन्य काम करने के दौरान वे परमेश्वर के आत्मा का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ थे। चूँकि यीशु ने ऐसा बहुत-सा काम किया, जो मनुष्य द्वारा कभी नहीं किया गया था, और उसने मनुष्य को छुटकारा दिलाने का काम किया, अत: वह यशायाह जैसों से भिन्न था।
— 'वचन देह में प्रकट होता है' से उद्धृत