कुछ लोग मानते हैं कि प्रभु यीशु के पुनर्जीवित हो कर स्वर्ग में आरोहित होने के बाद, पिन्तेकुस्त के दिन मनुष्य पर कार्य करने के लिए पवित्र आत्मा नीचे आया। उसने पाप, धार्मिकता और न्याय के संसार की कटु आलोचना की। जब हम पवित्र आत्मा के कार्य को ग्रहण कर अपने पापों के लिए प्रभु के समक्ष पश्चाताप करते हैं, तब हम प्रभु के न्याय का अनुभव करते हैं। पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र आत्मा द्वारा किया गया कार्य परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य होना चाहिए। क्या इसको ग्रहण करने की हमारी विधि सही है? प्रभु यीशु के कार्य और परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय कार्य में क्या अंतर है?
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