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Christian Song | राज्य गान (III) लोगों आनंद मनाओ! | Life in the Kingdom Is an Incomparable Joy

1,812 21/05/2020

इस खूबसूरत पल में, इस रोमांचक समय में,

ऊपर आकाश में और आकाश के नीचे सब स्तुति करते हैं।

इसके लिए कौन उल्लसित न होगा? इसके लिए कौन उल्लसित न होगा?

इसके लिए कौन आनंदित न होगा?

इस अवसर पर कौन खुशी के आँसू न बहाएगा?

अब यह वही आकाश नहीं है, अब यह राज्य का आकाश है।

अब यह वही पृथ्वी नहीं है, बल्कि अब यह पवित्र पृथ्वी है।

घनघोर वर्षा के बाद, मलिन जीर्ण विश्व पूरी तरह से बदल गया है।

घनघोर वर्षा के बाद, मलिन जीर्ण विश्व पूरी तरह से बदल गया है।

पर्वत बदल रहे हैं ... जलस्रोत बदल रहे हैं ...

इन्सान भी बदल रहे हैं ... हर चीज बदल रही है ...

शांत पर्वतो! परमेश्वर के लिए नृत्य करो!

स्थिर जलस्रोतो! स्वतंत्र रूप से प्रवाहमान रहो!

उनींदे मनुष्यो! उठो और अपने लक्ष्य में जुट जाओ!

उठो और अपने लक्ष्य में जुट जाओ!

परमेश्वर आ गया है ... और परमेश्वर का ही आधिपत्य है ...

परमेश्वर आ गया है ... और परमेश्वर का ही आधिपत्य है ...

सब लोग अपनी आँखों से परमेश्वर का चेहरा देखेंगे,

सब लोग अपने कानों से परमेश्वर की आवाज सुनेंगे,

स्वयं राज्य में जीवन का अनुभव करेंगे...

इतना मधुर ... इतना सुंदर ...

इतना मधुर ... इतना सुंदर ...

अविस्मरणीय ... अविस्मरणीय ...

परमेश्वर के क्रोध की ज्वाला में, बड़ा लाल अजगर संघर्षरत है;

परमेश्वर के प्रतापी निर्णय में, दुर्जन अपना वास्तविक रूप दिखाते हैं;

परमेश्वर के कड़े शब्दों में, परमेश्वर के कड़े शब्दों में

सभी शर्म महसूस करते हैं, अपना चेहरा दिखाने का साहस नहीं करते।

अतीत याद करता हूं, वे कैसे परमेश्वर का उपहास करते थे,

हमेशा दिखावा करते थे, हमेशा परमेश्वर का विरोध करते थे।

आज, कौन न रोएगा?

कौन मलाल न करेगा? कौन मलाल न करेगा?

पूरा ब्रह्मांड जगत आँसुओं में डूबा है ...

आनन्द-ध्वनि से भरा है ... हँसी से भरा है ...

अतुलनीय आनन्द ... अतुलनीय आनन्द ...

हल्की बारिश गुनगुनाए ... भारी बर्फ फड़फड़ाए ...

लोगों में गम और खुशी दोनों हैं ...

कुछ हँस रहे हैं … कुछ सुबक रहे हैं … और कुछ जश्न मना रहे हैं …

जैसे कि लोग भूल गए हैं ... कि यह घनघोर बादल और वर्षा वसंत है,

खिलते हुए फूलों की ग्रीष्म ऋतु, भरपूर फसल की एक शरद ऋतु,

बर्फ और तुषार की ठिठुरती सर्दी, नहीं जानता कोई ...

आकाश में बादलों का बहाव, पृथ्वी पर उफनते समुद्र।

पुत्र अपनी बाहें लहराते हैं… लोग नृत्य में अपने पैर थिरकते हैं …

स्वर्गदूत लगे हैं अपने काम में … स्वर्गदूत संचालन कर रहे हैं …

धरती पर लोगों में हलचल है, धरती पर हर चीज़ द्विगुणित हो रही है।

धरती पर लोगों में हलचल है, धरती पर हर चीज़ द्विगुणित हो रही है।

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