ईश्वर ने मानव को बनाने के बाद,
आत्माएँ उसने उन्हें दे दिये,
और कहा कि अगर वे न पुकारें उसे,
तो वे होंगे उसके आत्मा से जुदा,
और "स्वर्ग का प्रसारण"
पृथ्वी को प्राप्त न हो सकेगा।
मानवजाति के पुकारने से,
ईश्वर देता है जो उन्हें ज़रूरत है।
पहले तो वह उनमें निवास नहीं करता है,
पर देता है मदद क्योंकि वे पुकारते हैं।
आंतरिक शक्ति से वे पाते हैं मजबूती
और शैतान जुर्रत नहीं करता यहाँ खेलने की अपनी इच्छानुसार।
जब ईश्वर मानव की आत्मा में नहीं होता है,
एक ख़ाली स्थान खुल जाता है।
शैतान प्रवेश करने का मौक़ा लेता है।
पर जब वे ईश्वर से दिल से संपर्क करते हैं,
शैतान डर जाता है और बचकर भागने लगता है।
मानवजाति के पुकारने से,
ईश्वर देता है जो उन्हें ज़रूरत है।
पहले तो वह उनमें निवास नहीं करता है,
पर देता है मदद क्योंकि वे पुकारते हैं।
आंतरिक शक्ति से वे पाते हैं मजबूती
और शैतान जुर्रत नहीं करता यहाँ खेलने की अपनी इच्छानुसार।
यदि मानव पवित्रात्मा से जुड़ा रहे,
शैतान दख़्ल की जुर्रत नहीं कर सकता।
बिन शैतान की दख़्ल अंदाज़ी के
लोग जी सकते हैं सामान्य जीवन,
और ईश्वर उनके भीतर कार्य कर सकता है
बिन किसी रुकावट के।
इस तरह, जो ईश्वर करना चाहता है
मानव द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
मानवजाति के पुकारने से,
ईश्वर देता है जो उन्हें ज़रूरत है।
पहले तो वह उनमें निवास नहीं करता है,
पर देता है मदद क्योंकि वे पुकारते हैं।
आंतरिक शक्ति से वे पाते हैं मजबूती
और शैतान जुर्रत नहीं करता यहाँ खेलने की,
खेलने की अपनी इच्छानुसार।