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और अधिक सुसमाचार सच्चाईयाँ

परमेश्वर द्वारा सभी प्रकार की आपदाओं को बरसाने का अर्थ

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: आज, मैं न केवल बड़े लाल अजगर के राष्ट्र के ऊपर उतर रहा हूँ, बल्कि मैं अपना चेहरा समूचे ब्रह्माण्ड की ओर भी मोड़ रहा हूँ, जिसने समूचे सर्वोच्च आसमान में कंपकंपाहट उत्पन्न क...

अनुग्रह के युग के प्रायश्चित के मार्ग और अंत के दिनों के अनंत जीवन के मार्ग के बीच के अंतर

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: अनुग्रह के युग में पश्चात्ताप के सुसमाचार का उपदेश दिया गया और कहा गया कि यदि मनुष्य विश्वास करेगा, तो उसे बचाया जाएगा। आज, उद्धार की जगह सिर्फ विजय और पूर्णता की ही बात ...

पवित्र आत्मा के और दुष्ट आत्माओं के कार्य के बीच विभेदन

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: परमेश्वर अपने कार्य को दोहराता नहीं है, वह ऐसा कार्य नहीं करता जो वास्तविक न हो, वह मनुष्य से अत्यधिक अपेक्षाएँ नहीं रखता, और वह ऐसा कार्य नहीं करता जो मनुष्यों की समझ से...

बाइबल केवल परमेश्वर के दो चरणों के कार्य का अभिलेख है, जो व्यवस्था का युग और अनुग्रह का युग हैं; वह परमेश्वर के संपूर्ण कार्य का अभिलेख नहीं है

संदर्भ के लिए बाइबल के पद: "और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं" (यूहन्ना 21:25)। "मुझे तुम से...

बाइबल को मानने और उसकी आराधना करने वाले लोग अनंत जीवन पाने में असफल क्यों रहेंगे

संदर्भ के लिए बाइबल के पद: "तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नह...

सर्वशक्तिमान परमेश्वर और प्रभु यीशु दोनों एक ही परमेश्वर के देहधारण हैं

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: मनुष्यों के बीच, मैं वह पवित्रात्मा था जिसे वे देख नहीं सकते थे, वह पवित्रात्मा जिसके सम्पर्क में वे कभी भी नहीं आ सकते थे। पृथ्वी पर मेरे कार्य के तीन चरणों (संसार का सृ...

मानवजाति के प्रबंधन के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों का उद्देश्य

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: मेरी संपूर्ण प्रबंधन योजना, छह-हज़ार-वर्षीय प्रबंधन योजना, के तीन चरण या तीन युग हैं : आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों का...

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक का उद्देश्य और अर्थ

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और अर्थ परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: यहोवा ने जो कार्य इस्राएलियों पर किया, उसने मानव-जाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किय...

परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों के बीच संबंध

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: यहोवा के कार्य से लेकर यीशु के कार्य तक, और यीशु के कार्य से लेकर इस वर्तमान चरण तक, ये तीन चरण परमेश्वर के प्रबंधन के पूर्ण विस्तार को एक सतत सूत्र में पिरोते हैं, और वे...

परमेश्वर का तीन चरणों का कार्य कैसे क्रमशः गहन होता जाता है, ताकि लोगों को बचाकर उन्हें पूर्ण किया जा सके?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: परमेश्वर का संपूर्ण प्रबंधन तीन चरणों में विभाजित है, और प्रत्येक चरण में मनुष्य से यथोचित अपेक्षाएँ की जाती हैं। इसके अतिरिक्त, जैसे-जैसे युग बीतते और आगे बढ़ते जाते हैं, प...

परमेश्वर का नाम बदल सकता है, लेकिन उसका सार कभी नहीं बदलता

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: हर बार जब परमेश्वर पृथ्वी पर आता है, तो वह अपना नाम, अपना लिंग, अपनी छवि और अपना कार्य बदल देता है; वह अपने कार्य को दोहराता नहीं है। वह ऐसा परमेश्वर है, जो हमेशा नया रहत...