यीशु मसीह की वापसी के बारे में 6 बाइबल भविष्यवाणियाँ पूरी हुई हैं
दो हज़ार साल पहले, प्रभु यीशु ने हमसे वायदा किया था : "देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ" (प्रकाशितवाक्य 22:12)। अब, उसकी वापसी के सभी प्रकार के संकेत नज़र आ चुके हैं और कई भाई-बहनों को पूर्वाभास हो चुके हैं कि अब प्रभु का दिन करीब है। क्या प्रभु पहले ही लौट चुके हैं? प्रभु का स्वागत करने के लिये हम कर सकते हैं? चलो इस पर बाइबिल में दी गई भविष्यवाणियों के आधार पर चर्चा करते हैं।
- त्वरित नेविगेशन मेन्यू
- 1. पहली बाइबल की भविष्यवाणी: भूकंप, बाढ़, महामारी और युद्ध
- 2. दूसरी बाइबल की भविष्यवाणी: आकाशीय विसंगतियों का प्रकटन
- 3. तीसरी बाइबल की भविष्यवाणी: कलीसिया सूने पड़े हैं और विश्वासियों का प्यार ठंडा पड़ गया है
- 4. चौथी बाइबल की भविष्यवाणी: नकली मसीहों का प्रकटन
- 5. पाँचवीं बाइबल की भविष्यवाणी: इस्राएल की पुनर्स्थापना
- 6. छठी बाइबल की भविष्यवाणी: पृथ्वी के कोने-कोने में सुसमाचार का प्रचार
- हमें प्रभु की वापसी का स्वागत किस प्रकार करना चाहिए?
1. पहली बाइबल की भविष्यवाणी: भूकंप, बाढ़, महामारी और युद्ध
मैथ्यू 24:6-8 का कहना है: "तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे, तो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।" हाल के वर्षों में युद्ध लगातार हो रहे हैं, अफग़ानिस्तान न में तालिबान के शासन का तख्ता पलट, भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद, इराक पर अमेरिका का हमला और इस्राएल तथा फलिस्तीन के बीच लगातार युद्ध के तनाव बने रहने जैसी घटनाएं हो रही हैं। महामारी, आगजनी, बाढ़ और भूकंप भी सभी जगह देखने में आ रहे हैं। विशेष रूप से "नोवल कोरोनावायरस" जिसकी शुरुआत 2019 में चीन के वुहान से हुई और फिर यह पूरे विश्व में फैल गया है। इसके अलावा, सितम्बर 2019 में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में बेहद भयंकर आग लगी, वहीं अपने ग्रह के दूसरे छोर पर, पूर्वी अफ्रीका में टिड्डियों का हमला हुआ जिसकी वजह से इस वक्त कई देश भुखमरी का सामना कर रहे हैं। जनवरी 2020 में, इंडोनेशिया में बाढ़ आयी और कनाडा के न्यूफाउंडलैन्ड में ऐसा तूफान आया जो कभी सदी में एक-आध बार ही आता है। तुर्की के इलाजि़ग, कैरिबियन के दक्षिण क्यूबा और अन्य जगहों पर भूकम्प आए हैं। इन संकेतों से देखा जा सकता है कि यह भविष्यवाणी पूरी हो चुकी है।
2. दूसरी बाइबल की भविष्यवाणी: आकाशीय विसंगतियों का प्रकटन
प्रकाशितवाक्य 6:12 कहता है, "जब उसने छठवीं मुहर खोली, तो मैं ने देखा कि एक बड़ा भूकम्प हुआ, और सूर्य कम्बल के समान काला और पूरा चंद्रमा लहू के समान हो गया।" योएल 2:30–31 कहता है, "मैं आकाश में और पृथ्वी पर चमत्कार, अर्थात् लहू और आग और धूएँ के खम्भे दिखाऊँगा। यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले सूर्य अन्धियारा होगा और चन्द्रमा रक्त सा हो जाएगा।" हाल के वर्षों में चांद के लाल हो जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं। उदाहरण के लिये 2014-2015 के बीच दो सालों में चांद के चार बार लाल हो जाने की घटनाओं की एक श्रृंखला-सी घटित हुई है और 31 जनवरी, 2018 में "सुपर ब्लू ब्लड मून" (विशाल नीला लाल चांद) निकला जो 150 वर्षों में एक बार ही निकलता है। फिर "सुपर ब्लड वुल्फ मून" जनवरी 2019 में दिखाई दिया। सूरज के काला होने की जिस घटना की भविष्यवाणी की गई थी, वह भी घटित हो गई और कई पूर्ण सूर्य ग्रहण हुए हैं जैसे उसी साल 26 दिसंबर 2019 को सिंगापुर में और 2 जुलाई को चिली में हुआ था। इन घटनाओं में भविष्यवाणी का पूरा होना साफ दिखाई देता है।
3. तीसरी बाइबल की भविष्यवाणी: कलीसिया सूने पड़े हैं और विश्वासियों का प्यार ठंडा पड़ गया है
मैथ्यू 24:12 का कहना है, "अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा पड़ जाएगा।" पूरे धार्मिक संसार में निराशा फैल रही है। पादरियों और एल्डरों के उपदेश उबाऊ और घिसे-पिटे हो गए हैं और यह विश्वासियों को कुछ दे पाने में असमर्थ हैं। कलीसियाओं में ओहदा पाने की लड़ाई में कुछ पादरी अपने गिरोह बनाकर गुटबाज़ी कर रहे हैं, वहीं कुछ ने फैक्ट्रियां लगा कर धर्मनिर्पेक्षता के मार्ग पर विश्वासियों की अगुआई करने के लिए व्यवसाय करना शुरू कर दिया है; जबकि विश्वासियों में संसार से खुद को काटने में आम तौर पर आत्मविश्वास की कमी और अनिच्छा देखने में आ रही है और वे उबाऊ बंधनों में जी रहे हैं। कुछ कलीसिया बाहर से चहल-पहल से भरे हुए और जीवन्त दिखाई देते हैं, लेकिन कई लोग कलीसिया को व्यापार के स्थान की तरह उपयोग करते हुए यहां केवल अपने संपर्क बढ़ाने और सामान बेचने आते हैं। आज की कलीसिया और व्यवस्था के युग के समापन के समय के मन्दिर में फर्क रह गया है? इन चीज़ों में प्रभु के लौटने की भविष्यवाणी एकदम से पूर्ण होती नज़र आ रही है।
4. चौथी बाइबल की भविष्यवाणी: नकली मसीहों का प्रकटन
मैथ्यू 24:4-5 का कहना है : "यीशु ने उनको उत्तर दिया, 'सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए, क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, "मैं मसीह हूँ", और बहुतों को भरमाएँगे।'" प्रभु की भविष्यवाणी में हम देख सकते हैं कि जब प्रभु आएगा, तो नकली मसीह पैदा होंगे और लोगों को धोखा देंगे। हाल के वर्षों में, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान में नकली मसीह पैदा हुए हैं और उन्होंने लोगों को धोखा दिया है। इन नकली मसीहों में मसीह का सार नहीं है और न ही वे सत्य की घोषणा कर सकते हैं, इसके बावजूद वे मसीह होने का दावा करते हैं। यहाँ भी इस भविष्यवाणी का साकार होना स्पष्ट है।
5. पाँचवीं बाइबल की भविष्यवाणी: इस्राएल की पुनर्स्थापना
मैथ्यू 24:32-33 का कहना है, "अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो: जब उसकी डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो कि ग्रीष्म काल निकट है। इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वह निकट है, वरन् द्वार ही पर है।" प्रभु में विश्वास करने वाले कई लोगों का यह मानना है कि अंजीर की नाजुक टहनियों और पत्तों के मायने हैं इस्राएल की पुनर्स्थापना। जब इस्राएल की पुनर्स्थापना हो जाएगी तो प्रभु की वापसी का दिन करीब होगा और 14 मई, 1948 को इस्राएल की पुनर्स्थापना हो गई थी। स्पष्ट है कि प्रभु की वापसी की यह भविष्यवाणी पूरी तरह साकार हो चुकी है।
6. छठी बाइबल की भविष्यवाणी: पृथ्वी के कोने-कोने में सुसमाचार का प्रचार
मैथ्यू 24:32-33 का कहना है, "और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।" मरकुस 16:15 में, पुनर्जीवन के बाद प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा, "तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो।" यीशु के पुनर्जीवन और स्वर्गारोहण के बाद, पवित्र आत्मा ने प्रभु यीशु को देखने के लिये प्रभु यीशु का अनुसरण करने वालों की अगुआई शुरू कर दी। आज पूरे विश्व में ईसाई फैले हुए हैं और कई लोकतांत्रिक देशों ने ईसाई धर्म को राज्य धर्म की तरह अपना लिया है। यहां तक कि चीन में भी जहां सत्तासीन पार्टी नास्तिक है, वहां भी हज़ारों-लाखों लोगों ने प्रभु यीशु के सुसमाचार को अपनाया है, तो इस प्रकार देखा जा सकता है कि प्रभु यीशु के जरिये मानवजाति के छुटकारे का सुसमाचार पूरे संसार में फैल गया है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रभु की वापसी की भविष्यवाणी पूरी हो चुकी है।
हमें प्रभु की वापसी का स्वागत किस प्रकार करना चाहिए?
ऊपर दिए गए तथ्यों से हम देख सकते हैं कि प्रभु की वापसी के छह संकेत पहले ही दिखाई दे चुके हैं। अब प्रभु की वापसी का स्वागत करने का यह महत्वपूर्ण समय है। हमें ऐसा करना चाहिए ताकि हम प्रभु की वापसी का स्वागत कर सकें? प्रभु यीशु ने इस सवाल का जवाब हमें बहुत पहले ही दे दिया था।
जॉन 16:12-13, प्रभु यीशु ने कहा था, "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।" प्रकाशितवाक्य 3:20 में कहा गया है, "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ।" प्रकाशितवाक्य के अध्याय 2 और 3 में भी कई भविष्यवाणियां हैं: "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।" जैसा कि तुम इन पदों में देख सकते हो कि जब प्रभु की वापसी होगी तो वह कथन जारी करेगा और वे सारे सत्य जिन्हें हम पहले नहीं समझे थे, उन्हें बोलते हुए वह कलीसिया से बातें करेगा। जो लोग परमेश्वर की वाणी को सुनकर उसकी आवाज़ को पहचानेंगे, उसे स्वीकार करेंगे तथा उसके प्रति समर्पित होंगे, वे उसका स्वागत कर पाएँगे और मेमने की दावत में शरीक होंगे; वहीं दूसरी ओर परमेश्वर को नहीं पहचानने वाले निश्चित तौर पर परमेश्वर की भेड़ें नहीं होंगे, परमेश्वर उनकी पोल खोल देगा और उन्हें हटा देगा। इस तरह यह साफ हो गया है कि जब हम प्रभु के आने का इंतज़ार करें, तो यह जरूरी है कि हम कलीसिया को दिये पवित्र आत्मा के वचनों की खोज करें और परमेश्वर की वाणी सुनना सीखें। जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कहना है : "चूँकि हम परमेश्वर के पदचिह्नों की खोज कर रहे हैं, इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम परमेश्वर की इच्छा, उसके वचन और कथनों की खोज करें—क्योंकि जहाँ कहीं भी परमेश्वर द्वारा बोले गए नए वचन हैं, वहाँ परमेश्वर की वाणी है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर के पदचिह्न हैं, वहाँ परमेश्वर के कर्म हैं। जहाँ कहीं भी परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वहाँ परमेश्वर प्रकट होता है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य, मार्ग और जीवन विद्यमान होता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है')।
यह सुन कर कुछ लोग पूछ सकते हैं : "तो हमें परमेश्वर की वाणी की खोज करने के लिए कहां जाना चाहिए? " मैथ्यू 25:6 में, प्रभु यीशु का कहना है, "आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।'" चूँकि प्रभु अपनी भेड़ों को अपने कथन और वचन से बुलाता है तो ऐसे कुछ लोग जरूर होंगे जो प्रभु की वाणी पहले सुनेंगे और मेमने की राह पर चलेंगे और फिर सभी ओर आवाज़ लगाएंगे, "दूल्हा आ गया है", जो कि प्रभु की वापसी का समाचार है और प्रभु के दूसरी बार आने के शब्द हैं ताकि सभी लोगों को परमेश्वर की वाणी सुनने का मौका मिले। इसलिये ऐसा कहा जाता है कि हम मेमने की राह पर चल पाएंगे या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या हमारे अंदर वह दिल है जो उसे खोजने के लिये ललायित रहता है और हम परेश्वर की वाणी पहचान सकते हैं। उसी तरह जैसे जब प्रभु यीशु पहली बार प्रकट हुआ और उसने काम करना शुरू किया, तो पतरस, मरियम और अन्य लोगों ने उसके काम और वचन से पहचाना कि प्रभु यीशु मसीहा है और उन लोगों ने उसका अनुसरण किया और वे लोग उसके सुसमाचार की गवाही देने लगे। जो लोग प्रभु यीशु के काम और वचन सुनते हैं और परमेश्वर की वाणी को पहचानते हैं, वे बुद्धिमान कुंवारियां हैं, जबकि जो याजक, शास्त्री और फरीसी सत्य से प्रेम नहीं करते थे, उन्होंने प्रभु यीशु का अधिकार और शक्ति सुनी, फिर भी उन्होंने उसकी जाँच-पड़ताल नहीं की। बल्कि वे लोग यह सोचकर अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहे कि "जो मसीहा नहीं कहलाता, वह परमेश्वर नहीं हो सकता" और वे मसीहा के प्रकट होने का इंतज़ार करते रहे। यहां तक कि उन्होंने प्रभु यीशु के काम की निन्दा की, उसे बदनाम किया और अंत में परमेश्वर के उद्धार से हाथ धो बैठे। ऐसे यहूदी विश्वासी भी हैं जिन्होंने फरीसी का अनुसरण किया और प्रभु यीशु के काम और वचन में परमेश्वर की वाणी को नहीं पहचाना, जिन्होंने याजकों, शास्त्री और फरीसियों का अंधानुकरण किया और प्रभु के उद्धार को नकार दिया। ऐसे लोग मूर्ख कुँवारियाँ बन जाते हैं जिन्हें प्रभु द्वारा त्याग दिया जाता है। कुछ लोग पूछ सकते हैं : "फिर किस प्रकार परमेश्वर की वाणी पहचानी जा सकती है?" सही मायने में यह इतना मुश्किल नहीं है। परमेश्वर के कथन और वचन निश्चित ही मनुष्य नहीं बोल सकते। ये अवश्य अधिकारपूर्ण और सामर्थ्यवान होंगे। ये स्वर्ग के राज्य के रहस्यों को खोलने और मनुष्य की भ्रष्टता को उजागर करने जैसे काम करेंगे। ये सारे वचन सत्य हैं और ये सभी मनुष्य की जिन्दगी हो सकते हैं। दिल और आत्मा वाला कोई भी इंसान जब परमेश्वर के वचन सुनेगा, तो वह उसे महसूस करेगा और उसका दिल इस बात की पुष्टि करेगा कि सृष्टिकर्ता हम इंसानों के लिये अपने कथन बोल रहा है और उन्हें प्रकट कर रहा है। परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की वाणी सुनती हैं। अगर हमें पक्का यकीन हो जाता है कि ये परमेश्वर के वचन ही हैं तो हमें उन्हें अपना लेना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए फिर भले वे हमारी धारणाओं से मेल खाते हों या न खाते हों। केवल इसी तरह हम प्रभु की वापसी का स्वागत कर सकते हैं।
दुनियाभर में आज केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ही प्रमाणित करती है कि प्रभु यानी देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर, पहले ही वापस आ चुका है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर लाखों वचन व्यक्त कर चुका है और ये वचन सभी देशों और हर क्षेत्र के लोगों की खातिर जाँच-पड़ताल के लिए इंटरनेट पर प्रकाशित किए जा चुके हैं। एक-एक कर के सत्य के लिये लालायित हर एक राष्ट्र के लोग परमेश्वर की वाणी सुनने और प्रभु का स्वागत करने की आस में आते हैं। जैसा कि बाइबिल में कहा गया है, "देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।" यदि हम केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ज्यादा से ज्यादा पढ़ेंगे और सुन कर यह पता लगाएंगे कि ये परमेश्वर के वचन हैं, तब हम यह तय कर पाएँगे कि प्रभु लौट आए हैं । जैसा कि प्रभु यीशु ने जॉन 10:27 में कहा है: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं।" मुझे विश्वास है कि अगर हमारा मन विनीत भाव से खोज करेगा, तो हम परमेश्वर की वाणी पहचान कर प्रभु की वापसी का स्वागत कर सकते हैं।
- संपादक की टिप्पणी
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यह लेख पढ़कर, हम अब यह समझ गये हैं कि यीशु मसीह की वापसी से संबंधित सभी भविष्यवाणियाँ पूरी हो चुकी हैं। तो हमें प्रभु की वापसी का स्वागत कैसे करना चाहिए?
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