शैतान एक बार फिर से अय्यूब की परीक्षा लेता है (अय्यूब के सम्पूर्ण शरीर में फोड़े निकल आते हैं)
क. परमेश्वर के द्वारा कहे गए वचन
(अय्यूब 2:3) यहोवा ने शैतान से पूछा, "क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है कि पृथ्वी पर उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है? यद्यपि तू ने मुझे बिना कारण उसका सत्यानाश करने को उभारा, तौभी वह अब तक अपनी खराई पर बना है।"
(अय्यूब 2:6) यहोवा ने शैतान से कहा, "सुन, वह तेरे हाथ में है, केवल उसका प्राण छोड़ देना।"
ख. शैतान के द्वारा कहे गए वचन
(अय्यूब 2:4-5) शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, "खाल के बदले खाल; परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है। इसलिये केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियाँ और मांस छू, तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा।"
अत्याधिक पीड़ा के मध्य, अय्यूब ने सचमुच में मानवजाति के लिए परमेश्वर की देखरेख का एहसास किया
शैतान से यहोवा परमेश्वर के प्रश्न के बाद, शैतान रहस्यमयी रूप से खुश था। यह इसलिए था क्योंकि शैतान जानता था कि उसे एक बार फिर से उस पुरुष पर आक्रमण करने की अनुमति दी जाएगी जो परमेश्वर की दृष्टि में सिद्ध था—यह शैतान के लिए एक दुर्लभ अवसर था। शैतान अय्यूब के अंगीकार को पूरी तरह से खत्म करने के लिए, और उससे परमेश्वर के विश्वास का त्याग करवाने के लिए इस अवसर का उपयोग करना चाहता था, जिससे वह आगे से परमेश्वर का भय न माने या यहोवा के नाम को धन्य न कहे। यह शैतान को एक अवसर देगा: किसी भी स्थान या समय पर, वह अय्यूब को अपनी आज्ञा के अधीन एक खिलौना बनाने योग्य हो जाएगा। शैतान ने किसी नामो निशान के बिना अपनी बुरी युक्तियों को छिपा रखा था, परन्तु वह अपने दुष्ट स्वभाव को रोक कर नहीं रख सकता था। इस सच्चाई का संकेत यहोवा परमेश्वर के वचनों के प्रति उसके उत्तर में मिल सकता है, जैसा पवित्र शास्त्र में दर्ज है: शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, "खाल के बदले खाल; परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है। इसलिये केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियाँ और मांस छू, तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा" (अय्यूब 2:4-5)। परमेश्वर एवं शैतान के मध्य इस वार्तालाप से शैतान की दुर्भावना का ठोस ज्ञान एवं एहसास हासिल न कर पाना असम्भव है। शैतान की इन भ्रामक बातों को सुनने के बाद, वे सभी जो सत्य से प्रेम करते हैं और बुराई से घृणा करते हैं उनमें निःसन्देह शैतान की नीचता एवं निर्लज्जता के विषय में अत्याधिक नफरत होगी, वे शैतान की भ्रांतियों के द्वारा त्रस्त एवं घृणा महसूस करेंगे, और ठीक उसी समय, वे अय्यूब के लिए गम्भीर प्रार्थनाएं एवं सच्ची कामना करेंगे, यह प्रार्थना करते हुए कि यह खरा व्यक्ति सिद्धता को प्राप्त कर सके, यह इच्छा करते हुए कि यह पुरुष जो परमेश्वर का भय मानता और बुराई से दूर रहता है वह सदा सर्वदा शैतान की परीक्षाओं पर विजय पाएगा, और ज्योति में जीवन बिताएगा, और परमेश्वर की आशीषों एवं मार्गदर्शन के मध्य जीवन बिताएगा; वे यह भी इच्छा करते हैं कि अय्यूब की धार्मिकता के कार्य सदा सर्वदा उन लोगों को प्रेरणा दे सकें और उनको प्रोत्साहित कर सकें जो परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने के मार्ग का अनुसरण करते हैं। हालाँकि शैतान के दुर्भावनापूर्ण इरादे को इस घोषणा में देखा जा सकता है, फिर भी परमेश्वर शैतान की "विनती" से प्रसन्नतापूर्वक सहमत हो गया था—परन्तु उसकी भी एक शर्त है: "सुन, वह तेरे हाथ में है, केवल उसका प्राण छोड़ देना" (अय्यूब 2:6)। क्योंकि, इस समय, शैतान ने अय्यूब की हड्डियों एवं शरीर पर अपना हाथ बढ़ाने की मांग की थी, परमेश्वर ने कहा, "केवल उसका प्राण छोड़ देना।" इन शब्दों का अर्थ है कि उसने अय्यूब के शरीर को शैतान को दे दिया, परन्तु उसके जीवन को बचाए रखा। शैतान अय्यूब का जीवन नहीं ले सकता था, परन्तु इसके अलावा शैतान अय्यूब के विरुद्ध किसी भी तरीके या हथकण्डे को उपयोग में ला सकता था।
परमेश्वर की अनुमति को प्राप्त करने के बाद, शैतान तेज़ी से अय्यूब के पास पहुंचा और उसकी चमड़ी को पीड़ा पहुंचाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, उसके पूरे शरीर पर पीड़ा दायक फोड़े निकल आए, और अय्यूब ने अपनी चमड़ी में अत्याधिक पीड़ा महसूस की। अय्यूब ने यहोवा परमेश्वर की अद्भुतता एवं पवित्रता की प्रशंसा की, जिसने शैतान को उसकी ढीठाई में और भी अधिक स्तब्ध कर दिया। क्योंकि उसने मनुष्य को पीड़ा पहुंचाने का आनन्द लिया था, शैतान ने अपना हाथ बढ़ाया और अय्यूब के मांस को उधेड़ दिया, जिससे उसके घाव पकने लगे। अय्यूब ने तुरन्त ही अपने शरीर में पीड़ा एवं कष्ट का ऐसा एहसास किया जिसकी तुलना नहीं की जा सकती थी, और वह अपने हाथों से सिर से लेकर पांव को दबाने के सिवाय और कोई मदद नहीं कर सकता था, मानो यह शारीर की इस पीड़ा से उसकी आत्मा में हुए इस आघात से उसे राहत पहुंचाएगा। उसने महसूस किया कि परमेश्वर उसकी बगल में खड़े होकर सब कुछ देख रहा था, और उसने अपने आपको मज़बूत बनाने के लिए भरसक कोशिश की। उसने एक बार फिर से भूमि पर घुटने टेका, और कहा: तू मनुष्य के हृदय के भीतर झांकता है, तू उसकी दुर्दशा को देखता है; क्यों उसकी कमज़ोरी तुझे चिंतित करती है? परमेश्वर यहोवा के नाम की स्तुति हो। शैतान ने अय्यूब के असहनीय दर्द को देखा, परन्तु उसने अय्यूब को यहोवा परमेश्वर के नाम को त्यागते हुए नहीं देखा था। इस प्रकार उसने अय्यूब की हड्डियों में पीड़ा पहुंचाने के लिए तुरन्त ही अपना हाथ बढाया, और वह उसके अंग अंग को तोड़ने के लिए बेताब था। एक मिसाल के तौर पर, अय्यूब ने अभूतपूर्व पीड़ा का एहसास किया था; यह मानो ऐसा था कि उसके मांस को चीरकर हड्डियों से बाहर निकाल दिया गया था, और मानो उसकी हड्डियों को थोड़ा थोड़ा करके कुचला जा रहा था। इस भयंकर पीड़ा ने उसे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि मर जाना इससे बेहतर होता। उसकी सहनशक्ति अपनी चरम सीमा तक पहुंच गई थी। वह चिल्लाना चाहता था, वह उस दर्द को कम करने के लिए अपने शरीर की चमड़ी को चीर देना चाहता था—फिर भी उसने अपनी चीख को दबा कर रखा, और अपने शारीर की चमड़ी को नहीं चीरा, क्योंकि वह शैतान को अपनी कमज़ोरी नहीं दिखाना चाहता था। और इस प्रकार उसने एक बार फिर से घुटने टेके, परन्तु इस बार उसने यहोवा परमेश्वर की उपस्थिति को महसूस नहीं किया। वह जानता था कि वह अकसर उसके सामने, और उसके पीछे, और उसके दोनों तरफ रहता था। फिर भी उसकी पीड़ा के दौरान, परमेश्वर ने कभी अवलोकन नहीं किया; उसने अपना चेहरा ढँक लिया और छिप गया था, क्योंकि मनुष्य के विषय में उसकी सृष्टि का अर्थ मनुष्य को पीड़ा पहुंचाना नहीं था। इस समय, अय्यूब विलाप कर रहा था, और अपनी दैहिक पीड़ा को सहने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहा था, फिर भी वह परमेश्वर को धन्यवाद देने से अपने आपको और रोक नहीं सकता था: मनुष्य पहले प्रहार में ही गिर जाता है, वह कमज़ोर एवं निर्बल है, वह युवा एवं अज्ञानी है—तू उसके प्रति इतने चिंतित एवं कोमल होने की इच्छा क्यों करता है? तू मुझे मारता है, फिर भी ऐसा करने से तुझे भी तकलीफ होती है। मनुष्य में ऐसा क्या है जो वह तेरी देखभाल एवं चिंता के लायक है। अय्यूब की प्रार्थनाएं परमेश्वर के कानों तक पहुंची, और परमेश्वर खामोश था, केवल चुपचाप देख रहा था। पुस्तक में हर एक चाल को चलने के बाद कोई फायदा नहीं हुआ, शैतान चुपचाप चला गया, फिर भी अय्यूब के विषय में परमेश्वर की परीक्षाएं समाप्त नहीं हुईं। क्योंकि परमेश्वर की वह सामर्थ जो अय्यूब में प्रकट हुई थी उसे सार्वजनिक नहीं किया गया था, अय्यूब की कहानी शैतान के पीछे हटने के साथ समाप्त नहीं हुई थी। जैसे ही अन्य पात्रों ने प्रवेश किया, और भी अधिक शानदार दृश्यों का आना अभी बाकी था।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II