पवित्र आत्मा का कार्य दिन ब दिन बदलता है,
उच्च प्रकटीकरण के साथ कदम दर कदम ऊपर चढ़ता है।
ऐसे ही इंसान को पूर्ण करने के लिए परमेश्वर करता है काम।
इंसान अगर चल पाता नहीं इस गति से,
तो छूट सकता है वो पीछे।
एक आज्ञाकारी हृदय के बिना,
अंत तक अनुसरण कर सकता नहीं इंसान।
पुराना युग गुज़र गया है, आया है एक नया युग।
नए युग में, नया कार्य करना है ज़रूरी।
अंतिम युग में जब परमेश्वर करता है इंसान को पूर्ण
परमेश्वर पहले से ज़्यादा तेज़ी से करेगा नया काम।
इसलिए, अपने हृदय में आज्ञाकारिता के बिना,
परमेश्वर के पदचिह्नों का अनुसरण करना इंसान के लिए होगा मुश्किल।
परमेश्वर का कार्य बदल नहीं सकता, करता नहीं नियमों का पालन।
बल्कि, होता है उसका कार्य हमेशा ज़्यादा नया, ज़्यादा ऊँचा।
हर एक कदम के साथ होता है ज़्यादा व्यावहारिक,
इंसान की वास्तविक ज़रूरतों के और ज़्यादा अनुरूप।
जब इंसान इस प्रकार के काम का करता है अनुभव,
सिर्फ़ तब बदलता है उसका स्वभाव।
जीवन के बारे में इंसान का ज्ञान है बढ़ता,
इसलिए परमेश्वर अपना काम करता है और ऊंचा।
इसी तरह परमेश्वर बनाता है इंसान को पूर्ण और अपने उपयोग के लायक।
परमेश्वर का काम करता है युद्ध,
इंसान की अवधारणाओं को करता है सही,
ले जाता है उन्हें परमेश्वर का काम
अधिक ऊंची अधिक वास्तविक स्थिति तक,
जो है परमेश्वर पर विश्वास करने का उच्चतम आयाम
ताकि अंत में परमेश्वर की इच्छा हो सके पूरी।
अवज्ञाकारी होना है जिनकी प्रकृति, इच्छा से करते हैं विरोध,
वे छोड़ दिए जाएंगे पीछे, जब परमेश्वर का कार्य बढ़ेगा तेज़ी से।
जिनके हृदय में है आज्ञाकारिता, जो रहते हैं विनम्र,
पहुंच पाएंगे वे अंत तक, रास्ते के अंत तक।