सत्य मार्ग खोजने का क्या है सबसे बुनियादी सिद्धांत?
देखो पवित्रात्मा काम करता है या नहीं, सत्य व्यक्त होता है या नहीं,
देखो किसके लिये गवाही दी है, और तुमने इससे क्या पाया है।
परमेश्वर में विश्वास के मायने पवित्रात्मा में विश्वास है।
देहधारी परमेश्वर में आस्था उस सच में आस्था है कि
वो पवित्रात्मा का साकार रूप है,
परमेश्वर के आत्मा ने देह धारण किया है,
परमेश्वर वचन है, जो अब देह बन गया है।
देख लो इस मार्ग में सत्य है या नहीं।
सत्य जो आम इंसान का जीवन स्वभाव है,
सहज बोध है, अंतर्ज्ञान है, बुद्धि है, इंसान होने का बुनियादी ज्ञान है।
सत्य जो सृजन के समय इंसान के लिये, परमेश्वर की कामना थी।
मार्ग ले जाता है क्या, सामान्य जीवन की तरफ?
क्या इसका सत्य चाहता है इंसान, सहज मानवता जिए?
क्या ये अमल के लायक है, वक्त के हिसाब से है?
गर सत्य है इस राह में तो, अनुभव सच्चा होगा इंसान का,
इंसानियत और बोध उसका पूर्ण होगा,
आत्मिक और देह जीवन तरतीब में होगा,
भावनाएं और ज़्यादा सहज होंगी।
है एक नियम और, जो सत्य-मार्ग बतलाएगा,
इस राह की मदद से क्या परमेश्वर को,
इंसान ज़्यादा जान पाएगा?
सत्य वो है जो इंसान के दिल में परमेश्वर के प्यार को जगाए,
सत्य वो है जो इंसान को परमेश्वर के नज़दीक लाए।
सत्य सच्चाई लाए, जीवन की आपूर्ति लाए।
खोजो इन सिद्धांतों को, फिर खोजो सच्ची राह को,
खोजो सच्ची राह को, खोजो सच्ची राह को।