एक दिन तुम्हें लगेगा, परमेश्वर पहेली नहीं है,
वो कभी छुपा नहीं है,
ना कभी तुमसे अपना चेहरा छुपाया है,
वो तुमसे बिल्कुल दूर नहीं है।
तुम जिसके लिये दिन-रात तरसते हो,
मगर अपने जज़्बात से उस तक, पहुंच नहीं सकते हो, वो अब ऐसा नहीं है।
वो असल में तुम्हारी हिफ़ाज़त में आस-पास है,
वो जीवन दे रहा है,
तुम्हारी नियति को नियंत्रित कर रहा है।
ना तो वो बादलों में छिपा है,
ना वहां है जहां दूर ज़मीं-आसमां मिलते हैं।
वो ठीक तुम्हारी बग़ल में है, तुम्हारी हर चीज़ पर राज कर रहा है।
वो सबकुछ है तुम्हारा, बस वही है तुम्हारा।
ऐसा परमेश्वर तुम्हें उसे पूजने, चाहने,
नज़दीक आने, करीब से थामने देता है,
जिसे तुम्हें खो देने का भय है,
तुम नहीं चाहोगे कि उससे मुंह फेरो,
नाफ़र्मानी करो, उससे बचो या दूर जाओ।
तुम बस उसकी परवाह करना चाहते हो, हुक्म मानना चाहते हो,
वो जो कुछ देता है, उसका प्रतिदान देना चाहते हो,
उसके प्रभुत्व को समर्पित होना चाहते हो।
उसकी रहनुमाई, पोषण, देखभाल
और हिफ़ाज़त को अब, नकारते नहीं हो।
उसकी सत्ता का, व्यवस्था का, अब विरोध नहीं करते हो।
तुम सिर्फ़ उसके पीछे चलना चाहते हो, उसके साथ रहना चाहते हो,
तुम उसे सिर्फ़ अपना एकमात्र जीवन मानना चाहते हो,
अपना एकमात्र प्रभु और परमेश्वर मानना चाहते हो।