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मेन्‍यू

चंगाई की प्रार्थना: परमेश्वर पर भरोसा करने के द्वारा कैंसर पर काबू पाना

जून 2016 में, गर्मी का मौसम था। बाहर एक व्यस्त दिन बिताने के बाद, झोंगक्सिन शाम को घर आयी और स्नान करने के लिए सीधे स्नानघर में चली गई। अप्रत्याशित रूप से, उसने पाया कि उसके बाएं स्तन में सोयाबीन के आकार की गांठ थी, जिस पर दबाव डालने पर उसे कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा था। झोंगक्सिन ने सोचा कि यह बस आंतरिक गर्मी के कारण होने वाली सूजन थी जो दवा लेने के बाद ठीक हो जाएगी।

लेकिन, बदकिस्मती ने चुपके से आकर उसे घेर लिया...

उस दिन, खिड़की के बाहर, ज़ोरों की हवा चल रही थी। तूफान का अंदेशा देते हुए हवा ज़मीन पर पड़े मलबे को भंवर में उड़ा लिए जा रही थी। झोंगक्सिन ने अपने कपड़े बदलते हुए, अनजाने में अपने बाएं स्तन की जाँच की। एकाएक उसे पता चला कि वह कठोर गांठ बड़ी हो गई थी और उसमें सुई चुभने जैसा दर्द हो रहा था। वह अचानक घबरा गई, "मैंने इतनी दवाएँ ली हैं, कोई दवा असर क्यों नहीं कर रही? गांठ सिकुड़ नहीं रही है, बल्कि ये तो और बढ़ गयी है। हाल ही में, मुझे रात में पसीना आने लगा है और कमज़ोरी और थकान भी महसूस हो रही है। ये सब क्या हो रहा है?" जब झोंगक्सिन के पति को इसके बारे में पता चला, तो वह उसे जांच के लिए फौरन अस्पताल ले गया।

जब डॉक्टर को झोंगक्सिन की स्थिति को समझ आयी, तो उन्होंने आश्चर्य से कहा, "आपको अपनी इस स्थिति के बारे में बहुत पहले से पता था, तो आपने तुरंत इसकी जाँच क्यों नहीं करवायी?" झोंगक्सिन ने घबरा कर कहा, "मुझे समझ नहीं आया कि मैं सच में बीमार हूँ या नहीं, तो मैं पहले दवा ले कर देखना चाहती थी..." डॉक्टर झोंगक्सिन को तस्वीर निकलवाने के लिए ले गये, काम हो जाने के बाद वो दरवाज़े के बाहर ही एक कुर्सी पर बैठ गयी, जबकि उसका पति अंदर डॉक्टर से बात कर रहा था। काफी समय बीत जाने के बाद भी वो बाहर नहीं आया। कुर्सी पर बैठी झोंगक्सिन को लगा जैसे वह नुकीली सुइयों पर बैठी थी, वह अपने दिल को शांत नहीं कर पा रही थी। उसे संदेह था कि उसकी हालत बहुत गंभीर थी, नहीं तो उसका पति इतने लंबे समय तक कमरे में नहीं रहता। वह लम्बी साँस भरकर सोचने लगी, "अगर मैं वास्तव में ठीक नहीं हो सकती हूँ, तो मुझे क्या करना चाहिए? हमारे परिवार के पास तो पैसे भी नहीं हैं..." इसी क्षण झोंगक्सिन को याद आया कि वह एक ईसाई है और अभी भी वह परमेश्वर पर भरोसा कर सकती थी। इसलिए अपने दिल में उसने परमेश्वर को पुकारा और इन परिस्थितियों का सामना करने के लिए उनपर भरोसा करने की अपनी इच्छा जतायी। प्रार्थना करने के बाद, झोंगक्सिन को लगा कि परमेश्वर उसका साथ देंगे, और इस तरह धीरे-धीरे उसके दिल की बेचैनी शांत हो गयी।

चंगाई की प्रार्थना

तब, उसने दरवाजा खोला और डॉक्टर से पूछा, "मुझे क्या बीमारी है? कृपया मुझे स्पष्ट बताएं।" डॉक्टर को झिझकते हुए देख, झोंगक्सिन ने शांत भाव से कहा, "कृपया चिंता न करें, मुझे बताइए बात क्या है, मैं खुद को संभाल लूंगी।" डॉक्टर ने एक क्षण के लिए सोचा, फिर स्पष्ट रूप से उससे कहा, "आपको तेज़ी से फैलने वाला स्तन कैंसर है, और यह पहले ही मध्य-अंतिम चरण में पहुंच चुका है।" "कैंसर" शब्द से झोंगक्सिन का रोम-रोम सिहर उठा। बड़ी देर तक उसने कुछ नहीं कहा, बस मन में सोचती रही, "ये कैसे मुमकिन है? मैं तो बस अपने तीसवें साल में हूँ मुझे ये बीमारी कैसे हो सकती है?… " उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सब सच है। वो बहुत परेशान और बेबस महसूस कर रही थी।

इस क्षण उसने सोचा कि कैसे परमेश्वर का वचन कहता है: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर, समस्त पदार्थों का मुखिया, अपने सिंहासन से अपनी राजसी शक्ति का निर्वहन करता है। वह समस्त ब्रह्माण्ड और सब वस्तुओं पर राज और सम्पूर्ण पृथ्वी पर हमारा मार्गदर्शन करता है। हम हर क्षण उसके समीप होंगे, और एकांत में उसके सम्मुख आयेंगे, एक पल भी नहीं खोयेंगे और हर समय कुछ न कुछ सीखेंगे। हमारे इर्द-गिर्द के वातावरण से लेकर लोग, विभिन्न मामले और वस्तुएँ, सबकुछ उसके सिंहासन की अनुमति से अस्तित्व में हैं। किसी भी वजह से अपने दिल में शिकायतें मत पनपने दो, अन्यथा परमेश्वर तुम्हें अनुग्रह प्रदान नहीं करेगा। बीमारी का होना परमेश्वर का प्रेम ही है और निश्चित ही उसमें उसके नेक इरादे निहित होते हैं। हालाँकि, हो सकता है कि तुम्हारे शरीर को कुछ पीड़ा सहनी पड़े, लेकिन कोई भी शैतानी विचार मन में मत लाओ।" परमेश्वर के वचनों से झोंगक्सिन ने महसूस किया कि सब कुछ परमेश्वर के हाथों में है, उसका जीवन और मृत्यु भी उन्हीं के हाथों में है। यह बीमारी उसे परमेश्वर की अनुमति से हुई है, इसलिए उसे परमेश्वर की इच्छा को समझने, परमेश्वर पर भरोसा करने और उनसे आशा रखने का प्रयास करना चाहिए। परमेश्वर को न तो दोष देना चाहिए नगलत समझना चाहिए। यह समझ लेने के बाद झोंगक्सिन काफी शांत हो गयी और उसकी पीड़ा भी कम हो गयी।

चूँकि उसके स्तन में गांठ बहुत बड़ी थी, इसलिए सर्जरी करने से पहले कीमोथेरेपी की आवश्यकता थी। अपने कीमोथेरेपी उपचार के दौरान, झोंगक्सिन अक्सर अन्य रोगियों को कीमोथेरेपी प्रक्रिया के दौरान होने वाले दर्द का वर्णन करते हुए सुनती थी। कुछ लोगों ने इतना दर्द महसूस किया कि वे रो पड़े, कुछ अन्य लोग इसलिए अपना उपचार समाप्त नहीं कर पाए क्योंकि पीड़ा बहुत ज्यादा थी, और कुछ ऐसे भी थे जो इलाज के दौरान, कैंसर कोशिकाओं के फैल जाने से चल बसे। जब उसने ये बातें सुनीं, तो झोंगक्सिन चिंतित हुए बिना न रह पायी। वह पहले से ही बहुत छोटी और दुबली थी, और अगर इलाज वास्तव में वैसा ही था जैसा कि अन्य रोगी बता रहे थे, तो क्या वह इसे झेल पायेगी? झोंगक्सिन का दिल चिंता और भय से भर गया। लेकिन जब चिंता और डर ने उसे जकड़ लिया, तब उसने अय्यूब के अनुभव को याद किया। अय्यूब का धन उससे छीन लिया गया था, उसके बच्चों को उससे ले लिया गया था, और उसका शरीर फोड़े से भर गया था, लेकिन अपने दर्दनाक परीक्षण के दौरान, अय्यूब ने परमेश्वर को दोष नहीं दिया। उसे तब भी परमेश्वर पर भरोसा था और वह परमेश्वर के नाम की प्रशंसा करता था। उसे वह भी आज्ञा भी याद आयी जो परमेश्वर ने शैतान को तब दी थी जब उसने अय्यूब की परीक्षा लेनी चाही थी। यहोवा ने शैतान से कहा, "सुन, जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना" (अय्यूब 1:12)। परमेश्वर ने शैतान को अय्यूब के जीवन को नुकसान पहुँचाने की आज्ञा नहीं दी, और शैतान में परमेश्वर की अवज्ञा करने की हिम्मत नहीं थी। इससे उसने देखा कि मानव जीवन परमेश्वर के हाथों में है और परमेश्वर सभी चीजों का संचालन करता है। झोंगक्सिन ने सोचा, "मेरा जीवन मुझे परमेश्वर के द्वारा दिया गया था और यह परमेश्वर के हाथों में है, यह परमेश्वर पर निर्भर है कि मैं जीवित रहूँ या मरूं। इन परिस्थितियों में, मुझे अय्यूब के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए। चाहे मुझे किस तरह के दर्द का सामना करना पड़े, मुझे परमेश्वर पर विश्वास रखना होगा। मैं परमेश्वर को दोष नहीं दे सकती।" इस विचार ने झोंगक्सिन के भय को काफी कम कर दिया।

सुबह के समय अस्पताल कोई शांत जगह नहीं होती। कई लोग पंजीकरण के लिए लाइन में लगे थे, और नर्स अपने-अपने स्थान पर दवा वितरण में व्यस्त थीं। 8 बजे, झोंगक्सिन के कीमोथेरेपी के इंजेक्शन का समय था। कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने वाली दवा ने जब झोंगक्सिन के शरीर में प्रवेश किया, तो धीरे-धीरे उसे असहजता, पीड़ा और सूजन होने लगी और उसके सिर में असहनीय दर्द होने लगा। इंजेक्शन के बाद, झोंगक्सिन को लगा जैसे कि उसके पूरे बदन में सुइयां चुभ रही हों, वह सो नहीं पा रही थी, उसमें हिलने की भी ताकत नहीं थी। अपने दर्द में, उसने सोचा, "अगर यह सिर्फ शुरुआत है, तो मैं इस तरह की यातना बर्दाश्त नहीं कर सकती। ऐसे सात उपचार होने अभी बाकी हैं। मुझे क्या करना चाहिए?" इस अनुभव के दर्द से उसे लगने लगा कि इससे तो मृत्यु भी बेहतर होगी। झोंगक्सिन केवल अपने दिल में प्रार्थना कर सकती थी, "हे परमेश्वर, मैं वास्तव में कीमोथेरेपी के दर्द से जीत नहीं सकती। मेरे मन में मरने का भी विचार आया था। परमेश्वर, मैं आपसे मदद माँगती हूँ। मुझमें विश्वास भरें और कष्ट से होने वाली पीड़ा को दूर करने के लिए मेरा मार्गदर्शन करें। मैं आप पर भरोसा करना चाहती हूँ और आपसे आशा रखना चाहती हूँ ..." परमेश्वर की दया के कारण, झोंगक्सिन को प्रार्थना किये हुए बहुत देर नहीं हुई थी की वह सो गयी और उसे कोई दर्द महसूस नहीं हुआ। इसके बाद से, झोंगक्सिन प्रत्येक कीमोथेरेपी के पहले और बाद में परमेश्वर से प्रार्थना ज़रूर करती थी और ऐसा करने से वह न केवल अपने कीमोथेरेपी उपचार को पूरा करने में सक्षम हुई, बल्कि वास्तव में उसने अग्रिम में अपने आठों कीमोथेरेपी कोर्स को पूरा किया।

अप्रैल 2017 में एक दिन, जबकि अभी भी हवा में ठंड बरकरार थी, डॉक्टर ने झोंगक्सिन को ओपरेशन के पहले की प्रक्रियाओं के बारे में समझाया और स्वीकृति दस्तावेजों पर उसके हस्ताक्षर ले लिए। डॉक्टर के ऑफिस से बाहर आने पर वह थोड़ा घबराई और डरी हुई थी। आखिरकार, यह पहली बार था कि उसका इतना बड़ा ऑपरेशन होने वाला था, और उसे नहीं पता था कि इसका नतीजा क्या होगा। इसके अलावा, डॉक्टर ने कहा था कि कैंसर के ऊतक (टिशू) को निकाल देने के बाद भी एक संभावना थी कि कुछ कोशिकाएं उसके शरीर में रह जायें, जो उसके शरीर के दूसरे हिस्से में जड़ जमा लेने के बाद आसानी से बढ़ना शुरू कर सकती हैं, जिससे उसे और अधिक डर लग रहा था। ऑपरेशन शुरू होने का इंतजार करते हुए, वह परेशान और बेचैन हो गई। इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, उसने जल्दी से परमेश्वर से प्रार्थना की, "परमेश्वर, आधे घंटे में मेरा ऑपरेशन होगा, और मैं अभी भी भयभीत और घबरायी हुई हूँ। हे परमेश्वर, मैं आपसे मेरे दिल को शांत रखने की प्रार्थना करती हूँ।" प्रार्थना करने के बाद, उसने परमेश्वर के वचन के बारे में सोचा, जहां यह कहा गया है: "विश्वास एक ही लट्ठे से बने पुल की तरह है: जो लोग घृणास्पद ढंग से जीवन से चिपके रहते हैं उन्हें इसे पार करने में परेशानी होगी, परन्तु जो आत्म बलिदान करने को तैयार रहते हैं, वे बिना किसी फ़िक्र के, मज़बूती से कदम रखते हुए उसे पार कर सकते हैं। अगर मनुष्य कायरता और भय के विचार रखते हैं तो ऐसा इसलिए है कि शैतान ने उन्हें मूर्ख बनाया है क्योंकि उसे इस बात का डर है कि हम विश्वास का पुल पार कर परमेश्वर में प्रवेश कर जायेंगे।"

परमेश्वर के वचनों ने झोंगक्सिन को समझाया कि उसके इन आशंकाओं और चिंताओं को महसूस करने का कारण यह है कि परमेश्वर में उसका विश्वास अभी भी बहुत कम है, कि वह अभी भी शैतान द्वारा खिलवाड़ किये जाने की स्थिति में रह रही थी, उसने खुद को पूरी तरह से परमेश्वर को नहीं सौंपा था। वह जानती थी कि अब उसे अपने दिल को शांत करके अपनी सर्जरी परमेश्वर के हाथों में सौंप देनी है, क्योंकि उसका मानना था कि यह सफल हो या न हो, परमेश्वर ने उचित व्यवस्था कर दी है। तो, झोंगक्सिन ने परमेश्वर से प्रार्थना की और कहा, "हे परमेश्वर, मेरा जीवन आपके हाथों में है, आप मेरा सहारा हैं। मैं इन परिस्थितियों का अनुभव करने के लिए आप पर भरोसा करने का विश्वास माँगती हूँ।" प्रार्थना करने के बाद, झोंगक्सिन का दिल शांत हो गया। कुछ देर बाद ही, चिकित्सा कर्मचारियों ने उसे ऑपरेशन कक्ष में जाने के लिए कहा। जब झोंगक्सिन ऑपरेशन के टेबल पर लेटी थी, वह बेहद शांत थी, और उसे अब घबराहट या डर महसूस नहीं हो रहा था। बेहोशी की दवा दिए जाने के बाद, वह धीरे-धीरे होश खो बैठी। जब वह उठी तो शाम के 6 बज चुके थे।

झोंगक्सिन की सर्जरी सफल और बिना जटिलता के हो गई थी। हटाए गए 16 लिम्फ नोड्स में से, 15 अच्छे थे, केवल एक फैल गया था। उपस्थित चिकित्सक ने कहा कि कोई गंभीर समस्या नहीं है, और रेडियोथेरेपी के एक कोर्स के साथ, स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। अगस्त में, रेडियोथेरेपी का कोर्स पूरा करने के बाद, झोंगक्सिन ने आखिरकार उपचार की इस लंबी अवधि को समाप्त कर लिया। वह बहुत खुश और उत्साहित थी, और जीवन में एक नया मौका दिए जाने की खुशी महसूस कर रही थी।

एक-एक करके, झोंगक्सिन ने अतीत के अपने अनुभवों को याद किया। उसने वास्तव में देखा कि परमेश्वर सब कुछ का संचालन करता है, और लोगों का जीवन और उनकी मृत्यु परमेश्वर के हाथों में है। चूंकि वह कैंसर के सामने असहाय थी, इसलिए परमेश्वर के वचनों ने उसे शक्ति का एक अंतहीन स्रोत दिया, उसे उसके दर्द और नकारात्मकता से बाहर निकाला, और उसे उसके कैंसर को हराने का रास्ता दिखाया। इस तरह की परिस्थितियों का सामना करने के बाद, झोंगक्सिन का परमेश्वर के प्रति विश्वास और प्रेम बढ़ गया, और उसने अपने दिल की गहराई से यह भी माना कि चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ आएं, उनमें परमेश्वर के अच्छे इरादे निहित होते हैं, और वे हमारे आध्यात्मिक जीवन में परिपक्व होने में हमारी मदद करने के लिए हैं। केवल परमेश्वर की व्यवस्थाओं पर विश्वास करने और उनका पालन करने और सत्य की खोज करने से हम परमेश्वर के कार्यों को देख सकते हैं, और इससे परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को और परमेश्वर की अपनी समझ को निरंतर वृद्धि करते हुए महसूस कर सकते हैं।

एक नए दिन, सूरज पूर्व से उग आया, गर्म धूप झोंगक्सिन के चेहरे पर चमक रही थी, और वह मुस्कुराते हुए खुद को आईने में देख रही थी। अपने सिर पर फिर से बाल उगते देख झोंगक्सिन ने खुद से कहा, "मैं अपना जीवन नए सिरे से शुरू करना चाहती हूँ और परमेश्वर के प्यार को चुकाने की पूरी कोशिश करना चाहती हूँ!"

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