दुनिया के विशाल विस्तार में, अनगिनत परिवर्तन हो चुके हैं,
बार-बार महासागर गाद भरने से मैदानों बदल रहे हैं,
खेत बाढ़ से महासागरों में बदल रहे हैं।
सिवाय उसके जो ब्रह्मांड में सभी चीजों पर शासन करता है,
कोई भी इस मानव जाति की अगुआई और मार्गदर्शन करने में समर्थ नहीं है।
इस मानवजाति के लिए श्रम करने या
उसके लिए तैयारी करने वाला कोई भी शक्तिशाली नहीं है,
और ऐसा तो कोई है ही नहीं जो इस मानवजाति को प्रकाश की मंजिल की ओर ले जा सके
और इसे सांसारिक अन्यायों से मुक्त कर सके।
परमेश्वर मनुष्यजाति के भविष्य पर विलाप करता है, मनुष्यजाति के पतन पर शोक करता है,
और उसे पीड़ा होती है कि मनुष्यजाति, कदम-दर-कदम,
क्षय की ओर और ऐसे मार्ग की ओर आगे बढ़ रही है जहाँ से वापसी नहीं है।
ऐसी मनुष्यजाति जिसने परमेश्वर का हृदय तोड़ दिया है
और बुराई की तलाश करने के लिए उसका त्याग कर दिया है :
क्या किसी ने कभी उस दिशा पर विचार किया है जिसमें ऐसी मनुष्यजाति जा सकती है?
ठीक इसी कारण से है कोई भी परमेश्वर के कोप को महसूस नहीं करता है,
कोई भी परमेश्वर को खुश करने के तरीके को नहीं खोजता है
या परमेश्वर के करीब आने की कोशिश नहीं करता है,
और इससे भी अधिक, कोई भी परमेश्वर के दुःख और दर्द को समझने की कोशिश नहीं करता है।
परमेश्वर की वाणी सुनने के बाद भी,
मनुष्य अपने रास्ते पर चलता रहता है, परमेश्वर से दूर जाने,
परमेश्वर के अनुग्रह और देखभाल को अनदेखा करने और उसके सत्य से दूर रहने,
अपने आप को परमेश्वर के दुश्मन, शैतान, को बेचना पसंद करने में लगा रहता है।
और किसने इस बात पर कोई विचार किया है—
क्या मनुष्य को इस बात के लिये दुराग्रही बने रहना चाहिये—
कि परमेश्वर इस मानवजाति की ओर कैसे कार्य करेगा
जिसने उसे पीछे एक नज़र डाले बिना खारिज कर दिया?
कोई नहीं जानता कि परमेश्वर के बार-बार याद दिलाने और प्रोत्साहनों का कारण यह है कि
वह अपने हाथों में एक अभूतपूर्व आपदा रखता है जिसे उसने तैयार किया है,
वह अपने हाथों में एक अभूतपूर्व आपदा रखता है जिसे उसने तैयार किया है,
एक ऐसी आपदा जो मनुष्य की देह और आत्मा के लिए असहनीय होगी।
यह आपदा केवल देह का नहीं बल्कि आत्मा का भी दण्ड है।
तुम्हें यह जानने की आवश्यकता है : जब परमेश्वर की योजना निष्फल होती है
और जब उसके अनुस्मारकों और प्रोत्साहनों को कोई उत्तर नहीं मिलता है,
तो वह किस प्रकार के क्रोध को छोड़ेगा?
तो वह किस प्रकार के क्रोध को छोड़ेगा?
यह ऐसा होगा जिसे अब से पहले
किसी सृजित प्राणी द्वारा अनुभव नहीं किया या नहीं सुना गया है।
और इसलिए मैं कहता हूँ, यह आपदा बेमिसाल है और कभी भी दोहराई नहीं जाएगी।
ऐसा इसलिए है क्योंकि यह केवल इस एक बार मनुष्यजाति का सृजन करने
और केवल इस एक बार मनुष्यजाति को बचाने के लिए परमेश्वर की योजना है।
यह पहली और अंतिम बार है।
इसलिए, इस बार जिस श्रमसाध्य इरादों और उत्साहपूर्ण प्रत्याशा से
परमेश्वर इंसान को बचाता है,
उसे कोई समझ नहीं सकता।
इस बार जिस श्रमसाध्य इरादों और उत्साहपूर्ण प्रत्याशा से
परमेश्वर इंसान को बचाता है,
उसे कोई समझ नहीं सकता।