परमेश्वर के वचन हैं, कभी न बदलने वाले सत्य। प्रभु दाता हैं जीवन के,
बस वो ही रहनुमा हैं इन्सां के।
उनके सार तय करते हैं प्रभु के वचनों की कीमत और माने,
ना कि इंसान उन्हें माने या ना माने।
अगर ना भी समझे कोई इन्सां, अहमियत उन वचनों की,
इंसान के लिए उनकी कीमत और मदद अपार है।
जो करते हैं ख़िलाफ़त और अपमान वचनों का,
उनके लिये परमेश्वर बस इतना कहते हैं:
वक्त और सच्चाइयां परमेश्वर की गवाह होंगी,
जो दिखलाएंगे वचन उनके हैं सत्य, राह और जीवन;
दिखलाएंगे कहा जो भी प्रभु ने सत्य है,
इसे ही इंसां को संजो लेना और मान लेना चाहिए।
प्रभु को मानते हैं जो, प्रभु चाहते हैं वो जानें:
वो इंसां जो ना स्वीकारें वचन उनके या अपने कामों के ज़रिये ना करें उन्हें पूरा,
जो इन्सां ख़ोज ना पाये कोई मकसद,
या हो नाकाम पाने में उद्धार उनके वचनों में,
यही वो लोग हैं सारे, निंदा हुई जिनकी परमेश्वर के वचनों में। परमेश्वर की मुक्ति से वो रह गये वंचित।
उनके लिये प्रभु का दण्ड कभी ज़्यादा दूर ना होगा।
वक्त और सच्चाइयां परमेश्वर की गवाह होंगी,
जो दिखलाएंगे वचन उनके हैं सत्य, राह और जीवन;
वक्त और सच्चाइयां परमेश्वर की गवाह होंगी,
जो दिखलाएंगे वचन उनके हैं सत्य, राह और जीवन;
जो दिखलाएंगे वचन उनके हैं सत्य, राह और जीवन।