एक बार परमेश्वर ने ऐसा कहा था: परमेश्वर जो कहता उसके मायने हैं,
होकर रहेगा,
कोई भी उसे बदल नहीं सकता, कोई भी उसे बदल नहीं सकता।
वचन चाहे पहले कहे हों या आगे कहे जायेंगे,
कोई अंतर नहीं है, वो पूरे होकर रहेंगे,
ताकि देख सके हर कोई
यह मेरे वचनों और कार्य के पीछे का सिद्धांत है।
हर चीज़ जगत की तय करता है परमेश्वर, परमेश्वर, परमेश्वर, परमेश्वर।
परमेश्वर के हाथों में क्या नहीं है?
जो कहता है परमेश्वर होता वही है, वो होकर रहेगा।
परमेश्वर की चाहत को कौन बदल सकता है?
क्या यह मेरे द्वारा पृथ्वी पर बनाई गई वाचा हो सकती है?
परमेश्वर की योजना को बढ़ने से कौन रोक सकता है?
हर समय परमेश्वर काम में लगा है। सबकुछ परमेश्वर के हाथ में है।
परमेश्वर सदा लगा है अपने प्रबंधन की योजना में।
बाधा भला डाल सकता है कौन?
बाधा भला डाल सकता है कौन?
क्या रचता नहीं प्रभु अब भी सभी कुछ?
चीज़ें जिस हालत में पहुंची हैं आज,
हैं अब भी प्रभु की नज़र और योजना में।
यह सब पहले ही तय कर दिया है प्रभु ने।
तुम लोगों में से कौन मेरी योजना के इस चरण की थाह पा सकता है?
प्रभु-जन सुनेंगे आवाज़ उसकी।
वे सब जिन्हें है सच्चा प्यार प्रभु से
वापस आयेंगे उस सिंहासन के आगे जहां वो विराजता!
वापस आयेंगे उस सिंहासन के आगे जहां वो विराजता!
वापस आयेंगे उस सिंहासन के आगे जहां वो विराजता!