सर्वशक्तिमान परमेश्वर! उसका गौरवशाली शरीर खुले रूप से प्रकट होता है, पवित्र आध्यात्मिक शरीर उदय होता है और वह स्वयं पूर्ण परमेश्वर है! दुनिया और देह दोनों बदल गए हैं और पहाड़ी पर उसका रूप-परिवर्तन परमेश्वर का व्यक्तित्व है। वह अपने सिर पर सुनहरा मुकुट पहने हुए है, उसके वस्त्र पूर्ण रूप से श्वेत हैं, छाती पर सोने की पटुका बाँधे हुए है और दुनिया की सभी चीज़ें उसकी चरण-पीठ हैं। उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान हैं, उसके मुख में तेज़ दोधारी तलवार है और वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिए हुए है। राज्य का मार्ग असीम उज्ज्वल है और उसकी महिमा उदित हो रही और चमक रही है; पर्वत आनंदित हैं और जल हास्य मग्न हैं, सूर्य, चंद्रमा और तारे सभी अपनी क्रमबद्ध व्यवस्था में घूमते हैं, और अद्वितीय, सच्चे परमेश्वर का स्वागत करते हैं, जिनकी विजयी वापसी उनके छह हज़ार वर्ष की प्रबंधन योजना को पूरा करती है। ख़ुशी से सब कूदते और नाचते हैं! जय हो! सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने गौरवशाली सिंहासन पर बैठा है! गाओ! सर्वशक्तिमान का विजयी ध्वज राजसी, भव्य सिय्योन की ऊंचाई पर लहराता है! सभी राष्ट्र उत्साहित हैं, सभी लोग गा रहे हैं, सिय्योन पर्वत प्रसन्नता से हँस रहा है, परमेश्वर की महिमा का उदय हुआ है! मैंने कभी सपनों में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी परमेश्वर का चेहरा देखूंगा, लेकिन आज मैंने इसे देखा है। हर दिन उसके साथ आमने-सामने, मैं अपना दिल खोलकर रखता हूं। खाने पीने का सभी कुछ, वह प्रचुरता से प्रदान करता है। जीवन, वचन, कार्य, सोच, विचार—उसका महिमामय प्रकाश इन सभी को उज्जवल करता है। वह रास्ते के हर कदम पर अगुवाई करता है, और यदि कोई दिल विद्रोह करता है तो उसका न्याय तुरंत होगा।
परमेश्वर के साथ मिलकर खाना, साथ रहना, साथ जीना, साथ होना, साथ चलना, साथ आनंद लेना, साथ-साथ महिमा और आशीष प्राप्त करना, परमेश्वर के साथ शासन साझा करना और राज्य में एक साथ होना—ओह कितना आनंददायक है! ओह कितना प्यारा है! हम हर दिन उसके साथ आमने-सामने होते हैं, हर दिन बोलते हैं, निरंतर वार्तालाप करते हैं, हर दिन नई प्रबुद्धता और नई अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं। हमारी आध्यात्मिक आंखें खुल गई हैं और हम सब कुछ देखते हैं, आत्मा के सभी रहस्य हमें प्रकट होते हैं। पवित्र जीवन कितना निश्चिंत है। तेज़ी से भागो और रुको मत, निरंतर आगे बढ़ो, आगे इससे भी अधिक अद्भुत एक जीवन है। केवल मीठे स्वाद से संतुष्ट न हो, बल्कि हमेशा परमेश्वर में प्रवेश करने का प्रयास करो। वह सर्वव्यापी और प्रचुर है, और उसके पास सभी प्रकार की चीज़ें हैं जिनकी हम में कमी है। सक्रियता से सहयोग करो, उसके अंदर प्रवेश करो और कुछ भी कभी भी पहले जैसा नहीं रहेगा। हमारे जीवन का उत्थान होगा और कोई भी व्यक्ति, मामला या बात हमें परेशान नहीं कर पाएगी।
उत्थान! उत्थान! सच्चा उत्थान! परमेश्वर का जीवन उत्थान भीतर है और सभी वस्तुएं वास्तव में शांत हो जाती हैं! हम दुनिया और सांसारिक चीज़ो से परे चले जाते हैं, पतियों या बच्चों से कोई मोह नहीं रहता। बीमारी और वातावरण के नियंत्रण के परे चले जाते हैं। शैतान हमें परेशान नहीं कर सकता है। सभी आपदाओं से हम ऊपर हो जाते हैं—यह परमेश्वर को शासन की अनुमति देना है! हम शैतान को अपने कदमों के तले कुचल देते हैं, कलीसिया के लिए गवाही देते हैं और पूरी तरह से शैतान के बदसूरत चेहरे को बेनकाब करते हैं। कलीसिया का निर्माण मसीह में है, गौरवशाली शरीर का उदय हुआ है—यह स्वर्गारोहण में जीना है!
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 15