नए नियम में मत्ती का सुसमाचार यीशु की वंशावली दर्ज करता है। प्रारंभ में वह कहता है कि यीशु दाऊद और अब्राहम का वंशज और यूसुफ का पुत्र था; आगे वह कहता है कि वह पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आया था, और कुँआरी से जन्मा था—जिसका अर्थ है कि वह यूसुफ का पुत्र या अब्राहम और दाऊद का वंशज नहीं था। यद्यपि वंशावली यीशु का संबंध यूसुफ से जोड़ने पर जोर देती है। आगे वंशावली उस प्रक्रिया को दर्ज करना प्रारंभ करती है, जिसके तहत यीशु का जन्म हुआ था। वह कहती है कि यीशु पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आया था, उसका जन्म कुँआरी से हुआ था, और वह यूसुफ का पुत्र नहीं था। फिर भी वंशावली में यह साफ-साफ लिखा हुआ है कि यीशु यूसुफ का पुत्र था, और चूँकि वंशावली यीशु के लिए लिखी गई है, अत: वह उसकी बयालीस पीढ़ियों को दर्ज करती है। जब वह यूसुफ की पीढ़ी पर जाती है, तो वह जल्दबाज़ी से कहती है कि यूसुफ मरियम का पति था, ये वचन यह साबित करने के लिए दिए गए हैं कि यीशु अब्राहम का वंशज था। क्या यह विरोधाभास नहीं है? वंशावली साफ-साफ यूसुफ की वंश-परंपरा को दर्ज करती है, वह स्पष्ट रूप से यूसुफ की वंशावली है, किंतु मत्ती दृढ़ता से कहता है कि यह यीशु की वंशावली है। क्या यह यीशु के पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में आने के तथ्य को नहीं नकारता? इस प्रकार, क्या मत्ती द्वारा दी गई वंशावली मानवीय विचार नहीं है? यह हास्यास्पद है! इस तरह से तुम जान सकते हो कि यह पुस्तक पूरी तरह से पवित्र आत्मा से नहीं आई थी। शायद, ऐसे कुछ लोग हैं, जो यह सोचते हैं कि पृथ्वी पर परमेश्वर की वंशावली अवश्य होनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप वे यीशु को अब्राहम की बयालीसवीं पीढी़ आबंटित करते हैं। यह वास्तव में हास्यास्पद है! पृथ्वी पर आने के बाद परमेश्वर की वंशावली कैसे हो सकती है? यदि तुम कहते हो कि परमेश्वर की वंशावली है, तो क्या तुम उसे परमेश्वर के प्राणियों में ही श्रेणीबद्ध नहीं कर देते? क्योंकि परमेश्वर पृथ्वी का नहीं है, वह सृष्टि का प्रभु है, और यद्यपि वह देह में आ गया है, फिर भी उसका सार मनुष्य के सार जैसा नहीं है। तुम परमेश्वर को उसके प्राणियों के समान ही श्रेणीबद्ध कैसे कर सकते हो? अब्राहम परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता; वह उस समय यहोवा के कार्य का पात्र था, वह परमेश्वर द्वारा अनुमोदित एक विश्वासयोग्य सेवक मात्र था, और वह इस्राएल के लोगों में से एक था। वह यीशु का पूर्वज कैसे हो सकता है?
यीशु की वंशावली को किसने लिखा था? क्या यीशु ने स्वयं उसे लिखा था? क्या यीशु ने व्यक्तिगत रूप से उनसे कहा था, "मेरी वंशावली लिखो"? यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद उसे मत्ती द्वारा दर्ज किया गया था। उस समय यीशु ने बहुत सारा ऐसा काम किया था, जो उसके शिष्यों की समझ से परे था, और उसने कोई व्याख्या प्रस्तुत नहीं की थी। उसके जाने के बाद शिष्यों ने हर जगह प्रचार करना और काम करना प्रारंभ किया, और कार्य के उस चरण के लिए उन्होंने धर्मपत्र और सुसमाचार की पुस्तकें लिखनी प्रारंभ कीं। नए नियम की सुसमाचार की पुस्तकें यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के बीस से तीस साल बाद लिखी गई थीं। उससे पहले इस्राएल के लोग केवल पुराना नियम ही पढ़ते थे। दूसरे शब्दों में, अनुग्रह के युग की शुरुआत में लोग पुराना नियम ही पढ़ते थे। नया नियम केवल अनुग्रह के युग के दौरान ही प्रकट हुआ। यीशु के काम करने के समय नया नियम मौजूद नहीं था; लोगों ने उसके कार्य को उसके पुनर्जीवित होने और स्वर्गारोहण करने के बाद दर्ज किया। केवल तभी चार सुसमाचार और पौलुस व पतरस के धर्मपत्र और साथ ही प्रकाशित वाक्य की पुस्तक सामने आई। प्रभु यीशु के स्वर्ग जाने के तीन सौ साल से अधिक समय के बाद आगामी पीढ़ियों ने चुनिंदा रूप से इन दस्तावेजों को उचित क्रम में एकत्र और संयोजित किया, तब जाकर बाइबल का नया नियम अस्तित्व में आया। केवल इस कार्य के पूरा जाने के बाद ही नया नियम अस्तित्व में आया था; यह पहले मौजूद नहीं था। परमेश्वर ने वह सब कार्य किया था, और पौलुस और अन्य प्रेरितों ने विभिन्न स्थानों पर स्थित कलीसियाओं को बहुत-से धर्मपत्र लिखे थे। उनके बाद के लोगों ने उनके धर्मपत्रों को संयुक्त किया और पतमुस के टापू में यूहन्ना द्वारा दर्ज किए गए सबसे बड़े दर्शन को संलग्न किया, जिसमें अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य के बारे में भविष्यवाणी की गई थी। लोगों ने यह क्रम बनाया था, जो आज के कथनों से अलग है। आज जो दर्ज किया जा रहा है, वह परमेश्वर के कार्य के चरणों के अनुसार है; आज लोग जिसमें शामिल हैं, वह परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया जाने वाला कार्य और उसके द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचन हैं। तुम—मनुष्यजाति—को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है; आत्मा से सीधे आने वाले वचनों को कदम-दर-कदम व्यवस्थित किया गया है, और वे मनुष्य के अभिलेखों की व्यवस्था से अलग हैं। कहा जा सकता है कि जो कुछ उन्होंने दर्ज किया है, वह उनकी शिक्षा और उनकी मानवीय क्षमता के स्तर के अनुसार था। उन्होंने जो कुछ दर्ज किया, वे मनुष्यों के अनुभव थे, और प्रत्येक के पास दर्ज करने और जानने का अपना साधन था, और प्रत्येक अभिलेख अलग था। इसलिए, यदि तुम बाइबल की परमेश्वर के रूप में आराधना करते हो, तो तुम बहुत ही ज़्यादा नासमझ और मूर्ख हो! तुम आज के परमेश्वर के कार्य को क्यों नहीं खोजते हो? केवल परमेश्वर का कार्य ही मनुष्य को बचा सकता है। बाइबल मनुष्य को नहीं बचा सकती, लोग हज़ारों सालों तक इसे पढ़ते रह सकते हैं और फिर भी उनमें ज़रा-सा भी परिवर्तन नहीं होगा, और यदि तुम बाइबल की आराधना करते हो, तो तुम्हें पवित्र आत्मा का कार्य कभी प्राप्त नहीं होगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (3)