परमेश्वर कहता है, "परमेश्वर के वचन को मनुष्य का वचन नहीं समझा जा सकता, और मनुष्य के वचन को परमेश्वर का वचन तो बिलकुल भी नहीं समझा जा सकता। परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किया गया व्यक्ति देहधारी परमेश्वर नहीं है, और देहधारी परमेश्वर, परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किया गया मनुष्य नहीं है। इसमें एक अनिवार्य अंतर है" (वचन देह में प्रकट होता है)। लोगों को छुटकारा दिलाने और बचाने का कार्य करने के लिए परमेश्वर दो बार देहधारी बना है, और दोनों बार कुछ ऐसे लोग हुए हैं जिन्हें परमेश्वर ने उपयोग किया है जो देहधारी परमेश्वर के कार्य में सहयोग करते हैं। देहधारी परमेश्वर और परमेश्वर जिन लोगों का उपयोग करता है दोनों मे वास्तव में मूलभूत अंतर क्या है? और हमें देहधारी परमेश्वर को कैसे जानना चाहिए? इन सवालों के जवाब इस छोटे से वीडियो में दिए गए हैं।
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