जब प्रभु यीशु अपने कार्य करने के लिए आए थे तो धार्मिक संसार के प्रमुख ने उनकी निंदा की और उनको बदनाम किया, और आखिरकार रोमन सरकार के साथ एकजुट होकर उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया। आजकल, धार्मिक संसार के उन लोगों के पापी आचरण, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध करते हैं, उन यहूदियों के भयानक शब्दों और कार्यों के समान ही हैं जिन्होंने उस समय प्रभु यीशु का विरोध किया था। ऐसा क्यों है? क्या आप उनके द्वारा परमेश्वर के विरोध करने का मूल कारण जानते हैं? क्या आप उनके सार को समझना चाहते हैं? यदि हां तो इस क्लिप को देखिये!
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