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Christian Song | विश्वासियों को परमेश्वर के पद-चिन्हों का ध्यान से अनुसरण करना चाहिए | Music Video

1,657 04/09/2020

चूँकि मनुष्य परमेश्वर में विश्वास करता है,

तो उसे परमेश्वर के पदचिह्नों का, कदम दर कदम, करीब से अवश्य अनुसरण करना चाहिए;

और उसे "जहाँ कहीं मेम्ना जाता है उसका अनुसरण करना" चाहिए।

केवल ये ही ऐसे लोग हैं जो सच्चे मार्ग को खोजते हैं,

केवल ये ही ऐसे लोग हैं जो पवित्र आत्मा के कार्य को जानते हैं।

जो लोग पत्रों और सिद्धान्तों का ज्यों का त्यों अनुसरण करते हैं

वे ऐसे लोग हैं जिन्हें पवित्र आत्मा के कार्य के द्वारा निष्कासित कर दिया गया है।

प्रत्येक समयावधि में, परमेश्वर नया कार्य आरम्भ करेगा,

और प्रत्येक अवधि में, मनुष्य के बीच एक नई शुरुआत होगी।

यदि मनुष्य केवल सच्चाईयों का ही पालन करता है कि

"यहोवा ही परमेश्वर है" और "यीशु ही मसीह है,"

जो ऐसी सच्चाईयाँ हैं जो केवल एक अकेले युग पर ही लागू होती हैं,

तो मनुष्य कभी भी पवित्र आत्मा के कार्य के साथ कदम नहीं मिला पाएगा,

और वह हमेशा पवित्र आत्मा के कार्य को हासिल करने में अक्षम रहेगा।

जो लोग बिल्कुल अंत तक मेम्ने के पदचिह्नों का अनुसरण करते हैं

केवल वे ही अन्तिम आशीष को प्राप्त कर सकते हैं।

जो लोग बिल्कुल अंत तक अनुसरण नहीं करते हैं,

जो पवित्र आत्मा के कार्य के साथ कदम नहीं मिलाते हैं,

जो पवित्र आत्मा के कार्य के साथ कदम नहीं मिलाते हैं,

और जो केवल पुराने कार्य से चिपके रहते हैं

वे न केवल परमेश्वर के प्रति वफादारी हासिल करने में असफल हुए हैं,

बल्कि इसके विपरीत, वे ऐसे लोग बन गए हैं जो परमेश्वर का विरोध करते हैं,

ऐसे लोग बन गए हैं जिन्हें नए युग के द्वारा ठुकरा दिया गया है,

और जिन्हें दण्ड दिया जाएगा।

क्या उनसे भी अधिक बेचारा और कोई है?

जो लोग दासों की तरह व्यवस्था का पालन करते हैं

वे सभी व्यवस्था के प्रति अत्यंत वफादारी का प्रदर्शन करते हैं,

और वे जितना अधिक व्यवस्था के प्रति ऐसी वफादारी का प्रदर्शन करते हैं,

उतना ही अधिक वे ऐसे विद्रोही होते हैं जो परमेश्वर का विरोध करते हैं।

क्योंकि अब राज्य का युग है और व्यवस्था का युग नहीं है,

और आज के कार्य को अतीत के कार्य से

एक ही साँस में नहीं कहा जा सकता है,

न ही अतीत के कार्य की तुलना आज के कार्य से नहीं की जा सकती है।

परमेश्वर का कार्य बदल चुका है, और मनुष्य का अभ्यास भी बदल चुका है,

यह व्यवस्था को पकड़े रहना या सलीब को सहना नहीं है।

इसलिए, व्यवस्था और क्रूस के प्रति लोगों की वफादारी को

परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त नहीं होगा।

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