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भजन संहिता 46:1 का विवरण—परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल हैं

भजन संहिता 46:1 का विवरण—परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल हैं

जैसे की आपदाएँ बारंबार होती हैं, हम शरणस्थान में कैसे प्रवेश कर सकते हैं?

2,000 साल पहले, प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि अंत के दिनों में सभी प्रकार की विनाशकारी आपदाएँ होंगी: "क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा" (मत्ती 24:21)। आज दुनियाँ भर में आपदाएं बढ़ रही हैं। भूकंप, अकाल, युद्ध और बाढ़ एक के बाद एक होती हैं, और वैश्विक महामारी का प्रकोप अभी भी जारी है। आपदाओं की स्थिति में हमें अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता स्वाभाविक रूप से होती है, लेकिन हम शक्तिहीन हैं। कृपया यह मत भूलें: परमेश्वर ही हमारा शरणस्थान है और कठिनायों में हमारा एकमात्र सहारा है। यह ठीक वैसा ही है जैसा पवित्रशास्त्र कहता है: "परमेश्‍वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक" (भजन संहिता 46:1)

वास्तव में, इन आपदाओं का होना इस बात का संकेत है कि प्रभु की वापसी की भविष्यवाणियां पूरी हो चुकी हैं। न्याय और शुद्धिकरण के कार्य के एक चरण को करने के लिए प्रभु पहले ही लौट चुके हैं और लाखों वचन व्यक्त कर चुके हैं। वह हमें पूरी तरह से भ्रष्टाचार से मुक्त करने का इरादा रखता है, ताकि हम शुद्ध हो सकें और इस तरह आपदाओं से बच सकें और स्वर्ग के राज्य में लाए जा सकें। तो हम अंत के दिनों के परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने और शरण में प्रवेश करने के लिए प्रभु की वापसी का स्वागत कैसे कर सकते हैं?

प्रभु यीशु ने कहा, "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)। "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)। और प्रकाशितवाक्य में कई स्थानों पर इसकी भविष्यवाणी की गई है: "जिसके कान हों, वह सुन ले कि पवित्र आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "चूँकि हम परमेश्वर के पदचिह्नों की खोज कर रहे हैं, इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम परमेश्वर की इच्छा, उसके वचन और कथनों की खोज करें—क्योंकि जहाँ कहीं भी परमेश्वर द्वारा बोले गए नए वचन हैं, वहाँ परमेश्वर की वाणी है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर के पदचिह्न हैं, वहाँ परमेश्वर के कर्म हैं। जहाँ कहीं भी परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वहाँ परमेश्वर प्रकट होता है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य, मार्ग और जीवन विद्यमान होता है। परमेश्वर के पदचिह्नों की तलाश में तुम लोगों ने इन वचनों की उपेक्षा कर दी है कि 'परमेश्वर सत्य, मार्ग और जीवन है।' और इसलिए, बहुत-से लोग सत्य को प्राप्त करके भी यह नहीं मानते कि उन्हें परमेश्वर के पदचिह्न मिल गए हैं, और वे परमेश्वर के प्रकटन को तो बिलकुल भी स्वीकार नहीं करते। कितनी गंभीर ग़लती है!"

परमेश्वर के वचनों से, हम देख सकते हैं की प्रभु की वापसी का स्वागत करने में सबसे महत्वपूर्ण हैं, परमेश्वर की वाणी सुनने पर ध्यान देनाl जब हम गवाही सुनते हैं की प्रभु वापस आ चुके हैं और वचनों को व्यक्त किए है, यह देखने के लिए की क्या यह सत्य और परमेश्वर की वाणी है हमें इन वचनों को सुनना और ख़ोज करना चाहिएl जब हम इन वचनों को परमेश्वर की वाणी के रूप में पहचान लेते हैं, हमें उसे अवश्य स्वीकार और पालन करना चाहिएl यह प्रभु की वापसी का स्वागत करना हैl

दोस्तों, इसे देखकर, क्या आप लौटे हुए प्रभु के वचनों को पढ़ना चाहते हैं ताकि आप फिर से प्रभु के साथ पुनर्मिलन कर सकें और इस प्रकार परमेश्वर के अंतिम उद्धार को प्राप्त कर शरणस्थान में प्रवेश कर सकें? हमसे व्हाट्सएप पर संपर्क करने के लिए क्लिक करें और हम आपके साथ ऑनलाइन संवाद करेंगे।

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