परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 45
जब अंत के दिनों के दौरान उद्धारकर्त्ता का आगमन होता है, यदि उसे तब भी यीशु कहकर पुकारा जाता, और उसने एक बार फिर से यहूदिया में जन्म लिया होता, और यहूदिया में अपना काम किया होता, तो इससे यह प्रमाणित हो...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 13
छ: हजार वर्षों की प्रबंधन योजना के दौरान किया गया समस्त कार्य अब समाप्ति पर आ गया है। जब यह सब कार्य मनुष्यों पर प्रकट कर दिया जाता है और मनुष्यों के बीच कर दिया जाता है केवल उसके पश्चात् ही वे परमेश्...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 5
मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, ब...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 44
"यहोवा" वह नाम है जिसे मैंने इस्राएल में अपने कार्य के दौरान अपनाया था, और इसका अर्थ है इस्राएलियों (परमेश्वर के चुने हुए लोग) का परमेश्वर जो मनुष्य पर दया कर सकता है, मनुष्य को शाप दे सकता है, और मनु...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 35
परमेश्वर पृथ्वी पर मुख्य रूप से अपने वचनों को कहने के लिए आया है; और तुम जिसके साथ संलग्न होते हो, वह परमेश्वर का वचन है, वह परमेश्वर का वचन है, तुम जो देखते हैं, वह परमेश्वर का वचन है, तुम जिसे सुनते...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 34
परमेश्वर भिन्न-भिन्न युगों के अनुसार अपने वचन कहता है और अपना कार्य करता है, तथा भिन्न-भिन्न युगों में, वह भिन्न-भिन्न वचन कहता है। परमेश्वर नियमों से नहीं बँधता है, और एक ही कार्य को दोहराता नहीं ह...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 33
कार्य के इस अंतिम चरण में, वचन के द्वारा परिणामों को प्राप्त किया जाता है। वचन के माध्यम से, मनुष्य बहुत से रहस्यों को और पिछली पीढ़ियों के दौरान किये गए परमेश्वर के कार्य को समझ जाता है; वचन के माध्यम...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 32
अंत के दिनों में परमेश्वर मुख्य रूप से अपने वचन बोलने के लिए आया है। वह आत्मा के दृष्टिकोण से, मनुष्य के दृष्टिकोण से, और तीसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण से कहता है; वह, कुछ समय के लिए एक प्रकार का उपयोग क...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 28
राज्य के युग में, परमेश्वर नए युग की शुरूआत करने, अपने कार्य के साधन बदलने, और संपूर्ण युग में काम करने के लिये अपने वचन का उपयोग करता है। वचन के युग में यही वह सिद्धांत है, जिसके द्वारा परमेश्वर कार्...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 26
अंत के दिनों का कार्य वचनों को बोलना है। वचनों के माध्यम से मनुष्य में बड़े परिवर्तन किए जा सकते हैं। इन वचनों को स्वीकार करने पर इन लोगों में हुए परिवर्तन उन परिवर्तनों की अपेक्षा बहुत अधिक बड़े हैं जो...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 25
यदि लोग अनुग्रह के युग में बने रहेंगे, तो वे कभी भी अपने भ्रष्ट स्वभाव से मुक्त नहीं होंगे, और परमेश्वर के अंर्तनिहित स्वभाव को जानने की बात को तो जाने ही दें। यदि लोग सदैव अनुग्रह की प्रचुरता में रहत...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 23
यद्यपि यीशु अपने देहधारण में पूरी तरह से भावनाहीन था, फिर भी उसने हमेशा अपने चेलों को दिलासा दी, उन्हें पोषण प्रदान किया, उनकी सहायता की और उन्हें सहारा दिया। उसने चाहे जितना भी अधिक कार्य किया या जित...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 20
व्यवस्था के युग के दौरान, यहोवा ने मूसा के लिए अनेक आज्ञाएँ निर्धारित की कि वह उन्हें उन इस्राएलियों के लिए आगे बढ़ा दे जिन्होंने मिस्र से बाहर उसका अनुसरण किया था। ये आज्ञाएँ यहोवा द्वारा इस्राएलियों...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 18
वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों ...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 17
आज के दिन तक अपना 6,000 वर्षों का कार्य करते हुए, परमेश्वर ने अपने बहुत से क्रिया-कलापों को पहले ही प्रकट कर दिया है, मुख्य रूप से शैतान को पराजित करने और समस्त मानवजाति का उद्धार करने का कार्य। वह स्...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 12
छ: हज़ार वर्षों की प्रबंधन योजना कार्य के तीन चरणों में विभाजित है। कोई भी अकेला चरण तीनों युगों के कार्य का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है बल्कि सम्पूर्ण के केवल एक भाग का ही प्रतिनिधित्व कर सकता है। यह...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 16
वर्तमान में किए गए कार्य ने अनुग्रह के युग के कार्य को आगे बढ़ाया है; अर्थात्, समस्त छह हजार सालों की प्रबन्धन योजना में कार्य आगे बढ़ाया है। यद्यपि अनुग्रह का युग समाप्त हो गया है, किन्तु परमेश्वर के...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 15
समस्त प्रबंधन कार्य के दौरान, सबसे महत्वपूर्ण कार्य शैतान के प्रभाव से मनुष्य को बचाना है। मुख्य कार्य भ्रष्ट मनुष्य पर सम्पूर्ण विजय है, इस प्रकार जीते गए मनुष्य के हृदय में परमेश्वर के प्रति मूल श्र...