परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 14
पवित्र आत्मा के कार्य का प्रत्येक चरण उसी समय मनुष्य की गवाही की भी अपेक्षा करता है। कार्य का प्रत्येक चरण परमेश्वर एवं शैतान के मध्य एक युद्ध है, और इस युद्ध का लक्ष्य शैतान है, जबकि वह शख्स जिसे इस ...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 11
कार्य के ये तीनों चरणों का निरन्तर उल्लेख क्यों किया गया है? युगों की समाप्ति, सामाजिक विकास और प्रकृति का बदलता हुआ स्वरूप सभी कार्य के तीनों चरणों में परिवर्तनों का अनुसरण करते हैं। मानवजाति परमेश्व...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 10
कार्य के तीनों चरण एक ही परमेश्वर के द्वारा किए गए थे; यही सबसे महान दर्शन है और परमेश्वर को जानने का एकमात्र मार्ग है। कार्य के तीनों चरण केवल स्वयं परमेश्वर के द्वारा ही किए गए हो सकते हैं, और कोई भ...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 8
परमेश्वर स्वयं का कार्य वह दर्शन है जो मनुष्य को अवश्य जानना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर का कार्य मनुष्यों के द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है, और मनुष्यों के द्वारा धारण नहीं किया जाता है। कार्य के ती...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 7
कार्य के तीन चरण परमेश्वर के सम्पूर्ण कार्य का अभिलेख हैं, ये परमेश्वर द्वारा मानवजाति के उद्धार का अभिलेख हैं, और ये काल्पनिक नहीं हैं। यदि तुम लोग परमेश्वर के सम्पूर्ण स्वभाव के ज्ञान की वास्तव में ...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 6
कार्य के तीनों चरण परमेश्वर के प्रबंधन का मुख्य केन्द्र हैं और उनमें परमेश्वर का स्वभाव और वह क्या है व्यक्त होते हैं। जो परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों के बारे में नहीं जानते हैं वे यह जानने में अक...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 4
परमेश्वर की संपूर्ण प्रबंधन योजना का कार्य व्यक्तिगत रूप से स्वयं परमेश्वर द्वारा किया जाता है। प्रथम चरण—संसार का सृजन—परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया गया था, और यदि ऐसा न किया जाता, तो कोई भी ...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 3
परमेश्वर को सृष्टि के प्राणियों के प्रति कोई द्वेष नहीं है; वह केवल शैतान को पराजित करना चाहता है। उसका समस्त कार्य—चाहे वह ताड़ना हो या न्याय—शैतान की ओर निर्देशित है; इसे मानव-जाति के उद्धार के वास्त...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 2
परमेश्वर के 6,000 वर्षों के प्रबधंन-कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है : व्यवस्था का युग, अनुग्रह का युग और राज्य का युग। कार्य के ये तीनों चरण मानव-जाति के उद्धार के वास्ते हैं, अर्थात् ये उस मानव-...परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 1
मेरी संपूर्ण प्रबंधन योजना, छह-हज़ार-वर्षीय प्रबंधन योजना, के तीन चरण या तीन युग हैं : आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों का राज्य का युग। इन तीनों युगो...