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Hindi Christian Video | जाग्रत | The Word of God Leads Me to Walk on the Right Path of Life

17,955 21/06/2020

इनका नाम चेन शी हैं। बचपन से ही अपने प्रशिक्षण और अभिभावकों तथा स्‍कूली शिक्षा के प्रभाव की वजह से, वे हमेशा भीड़ से अलग दिखने और दूसरों से बेहतर होने की कोशिश में रहती थीं। इसलिये वे लगन से अपनी पढ़ाई करतीं और मेहनत करने में कोई कमी न उठा रखतीं। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर में विश्‍वास करने के बाद, परमेश्‍वर के ढेरों वचन पढ़ने पर कुछ सत्‍यों की चेन शी को समझ आई। उन्‍होंने देखा कि जीवन में एकमात्र सही मार्ग परमेश्‍वर में विश्‍वास करना और उनका अनुसरण करना है और वे एक उत्‍साही अनुयायी बन गईं तथा अपने कर्तव्‍य निभाने में वे अग्रसक्रिय थीं। चीनी कम्‍युनिस्‍ट सरकार की तलाश और उत्‍पीड़न से बच निकलने के लिए, सन 2016 में चेन शी विदेश चली गईं, जहां सुसमाचार का प्रसार करने और अंत के दिनों के परमेश्‍वर के कार्य की गवाही देने के उनके कर्तव्‍य को निभाने के लिए उन्‍हें अंग्रेज़ी भाषा के उपयोग की आवश्‍यकता पड़ी। उन्‍होंने ख़ुद को सम्‍मानित महसूस किया और यह सोचा कि वे एक असाधारण प्रतिभासंपन्‍न युवती हैं। वे आत्‍मविश्‍वास से भरी ही थीं और स्‍वयं के लिए कलीसिया में एक जगह बनाने का सोच ही रही थीं, उन्‍होंने पाया कि उनके अन्‍य भाई-बहन परमेश्‍वर के वचनों पर अतिप्रकाशित सहभागिता करते हैं और उनकी अंग्रेज़ी पर पकड़ भी चेन शी से बेहतर है। वे पिछड़ना नहीं चाहती थीं, इसलिये दूसरों से आगे निकलने और दूसरों की नज़रों में ऊंचा उठने और उनकी प्रशंसा पाने की भावना से, उन्‍होंने अपने अध्‍ययन प्रयास दोगुने कर दिए। कुछ समय बीतने के पश्‍चात भी वे दूसरों की बराबरी न कर सकीं। चेन शी इस हकीकत को स्‍वीकार न कर सकीं और वे प्रतिदिन स्‍वयं को अपने नाम और निजी लाभ के संघर्ष की पीड़ा में जीते हुए पातीं। उनके दिल में सत्‍य का अनुसरण करने और जीवन में प्रवेश करने और इच्‍छा न रही, और विशेष रूप से वे अपना कर्तव्‍य निभाने में असमर्थ हो गईं। वे नकारात्‍मकता और हताशा की गर्त में गिर गईं ... ऐसे समय पर वे प्रार्थना में परमेश्‍वर के सम्‍मुख आईं और उन्‍होंने परमेश्‍वर के वचन पढ़े – उनके वचनों के न्‍याय और ताड़ना ने उनकी जीवात्‍मा को जाग्रत कर दिया और उन्‍होंने प्रतिष्‍ठा तथा हैसियत के सार व उनसे बंधित तथा पीड़ित होने के परिणामों को स्‍पष्‍ट तौर पर देखा। उन्‍हें अपना कर्तव्‍य निभाने के महत्‍व, जीवन के सच्‍चे मूल्‍य और किस तरह का जीवन सच्‍ची ख़ुशी देता है, इस सबकी समझ प्राप्‍त हुई। तब से वे अनुसरण के लिए उचित लक्ष्‍यों को स्‍थापित करने लगीं व नाम तथा हैसियत की बाध्‍यताओं के बिल्‍कुल अधीन न रहीं। परमेश्‍वर के प्रेम को सार्थक करने के लिए उन्‍होंने सत्‍य का अनुसरण करना और एक सृजित प्राणी के रूप में अपने कर्तव्‍यों के निर्वाह पर ध्‍यान केंद्रित करना प्रारंभ कर दिया।

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