हम अनंत जीवन का मार्ग कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
एक शाम, भाई गाओ बाइबिल पकड़े, तेजी से भाई गुई के घर जा रहे थे ...
वहाँ पहुँचने पर, वे दोनों सोफे पर बैठ गए।
भाई गाओ ने बाइबल खोली और कहा, "भाई गुई, बाइबल पढ़ते वक्त मेरे सामने एक समस्या आ गयी है और मुझे नहीं पता कि इसे कैसे हल किया जाए। मुझे लगता है कि यह समस्या, प्रभु में हमारी आस्था के माध्यम से अनन्त जीवन प्राप्त करने की कुंजी है, इसलिए मैं आपके संग जवाब की तलाश करने भागा-भागा चला आया।"
भाई गुई ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है। मुझे इसके बारे में बताइए।"
भाई गाओ ने तब कहा, "हम सभी जानते हैं कि बाइबल ईसाई धर्म का सिद्धांत है और सभी ईसाइयों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए। चाहे हम सभाओं में भाग ले रहे हों, अपनी आध्यात्मिक भक्ति कर रहे हों, सुसमाचार का प्रचार कर रहे हों या धर्मोपदेश दे रहे हों, हमें हमेशा बाइबल के अनुसार चलना चाहिए। इसलिए, हम कह सकते हैं कि बाइबल हमारे जीवन का एक हिस्सा है, जिसके बिना हम नहीं रह सकते। परमेश्वर के पिछले काम के साथ-साथ कई लोगों की गवाही बाइबल में दर्ज है। हम दृढ़ता से मानते हैं कि बाइबल में जीवन निहित है और जब तक हम बाइबल को पढ़ने में दृढ़ रहते हैं, तब तक हम अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन जब मैं आज शाम को बाइबल का अध्ययन कर रहा था, तो मैंने देखा कि प्रभु यीशु ने कहा है: 'तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते' (यूहन्ना 5:39-40)। इसने वास्तव में मुझे भ्रमित कर दिया है, चूँकि बाइबल में परमेश्वर के वचनों और मनुष्यों की गवाहियों को समाहित किया गया है, तो बाइबल को पढ़कर हमें अनंत जीवन प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए। फिर प्रभु यीशु ने यह क्यों कहा कि अनंत जीवन बाइबल के भीतर नहीं है? इन वचनों को हम कैसे समझें? मैं वास्तव में इसे बहुत स्पष्ट रूप से नहीं समझ पा रहा हूँ, इसलिए मैं सोच रहा था कि आपकी इस बारे में क्या समझ है।"
भाई गुई ने कहा, "भाई गाओ, यह मुद्दा जो आप उठा रहे हैं वह वास्तव में कुंजी ही है! मैं और कुछ अन्य सहकर्मी भी इस मुद्दे को लेकर हाल ही में उलझन में पड़ गये थे। फिर, जब हम शहर से बाहर एक सभा में भाग लेने गए, तो हमने कई भाई-बहनों के साथ मिलकर इस सवाल का जवाब तब तक ढूंढा, जब तक कि हम इस मुद्दे को समझ नहीं गए।"
भाई गाओ ने खुशी से कहा, "क्या सच? प्रभु का धन्यवाद! जल्दी कीजिये और इस बारे में मेरे साथ संगति कीजिये!"
भाई गुई ने कहा, "ठीक है! वास्तव में, यदि हम इस मुद्दे को समझना चाहते हैं, तो हमें सबसे पहले उन कार्यों की अंदरूनी कहानी को समझना होगा, जो परमेश्वर ने व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग में किये हैं, जिन्हें बाइबल में भी दर्ज किया गया है, इसके साथ-साथ हमें इन कार्यों द्वारा प्राप्त किए गए परिणामों को भी समझना होगा। तभी हम समझ पाएंगे कि प्रभु यीशु ने ऐसा क्यों कहा। सबसे पहले, पुराने नियम में दर्ज व्यवस्था के युग में, यहोवा परमेश्वर ने जो वचन कहे थे, वे मुख्य रूप से उसकी आज्ञाओं और व्यवस्था की घोषणा करने और धरती पर इस्राएलियों के जीवन में उनकी अगुवाई करने के लिए थे। परमेश्वर ने यह परिणाम प्राप्त किए, कि उसने मनुष्य को सामान्य रूप से जीने का तरीका सिखाया, भेंट चढ़ाने और परमेश्वर की स्तुति करने की विधि बताई, पाप क्या था यह ज्ञात करवाया, इत्यादि। लेकिन ये केवल सरल सत्य थे, वे लोगों को जीवन पाने के लिए सक्षम करने के करीब भी नहीं थे, अनंत जीवन प्राप्त करने में सक्षम बनाने की तो बात ही दूर है। नये नियम में प्रभु यीशु के वचनों और कार्यों को दर्ज किया गया है, जो कि मुख्य रूप से मानवजति को छुटकारा दिलाने का उनका कार्य है, यह मनुष्य को पश्चाताप का रास्ता देता है, यह बताता है कि स्वर्गिक राज्य निकट है और सभी को पश्चाताप करना है। यीशु ने जो नतीजे हासिल किए, वे यह थे कि उसने लोगों को पाप-स्वीकार करने और पश्चाताप करने में सक्षम बनाया, जिससे उनके पापों को माफ कर दिया गया, और लोग कुछ बाहरी अच्छे कर्म करने में सक्षम हो गए, जैसे चोरी या लूटपाट न करना, दूसरों से न लड़ना, दूसरों को गाली न देना, शराब नहीं पीना। कुछ लोग बड़े उत्साह के साथ काम करने, खुद को प्रभु के लिए खपाने, प्रभु का अनुसरण करने और उसके सुसमाचार का प्रचार करने के लिए सब कुछ का त्याग करने में सक्षम हो गए, इत्यादि।
इसलिए, बाइबल पढ़ने से हमें पता चलता है कि स्वर्ग में और पृथ्वी की सभी चीजें परमेश्वर द्वारा बनाई गई थीं, परमेश्वर ने व्यवस्था के युग में अपनी व्यवस्था और आज्ञाओं की घोषणा की जिससे मानवजाति को पता चला कि पृथ्वी पर, परमेश्वर की अपेक्षाओं के अनुसार कैसे जीना है और हमने देखा कि परमेश्वर का स्वभाव जीवंत और वास्तविक है, परमेश्वर लोगों को श्राप दे सकता है और दंडित कर सकता है और साथ ही हम पर दया भी दिखा सकता है। हमें यह भी पता चला कि हमें अपने पापों को परमेश्वर के सामने स्वीकार करना और पश्चाताप करना चाहिए, हमें दूसरों को क्षमा करना चाहिए, अपने दुश्मनों से प्रेम करना चाहिए, नमक और प्रकाश बनना चाहिए। हमें अपने क्रूस को धारण करना चाहिए, सुसमाचार फैलाना चाहिए और यह समझना चाहिए कि प्रभु यीशु ने अपने पड़ोसी से खुद के समान प्रेम किया, उसने मनुष्य पर अनंत करुणा और प्रेमपूर्ण दया बरसाई, हमें समझना चाहिए कि केवल प्रभु के उद्धार को स्वीकार करके ही हम परमेश्वर का प्रचुर अनुग्रह और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, बाइबल में दर्ज व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के, परमेश्वर के सारे वचन और कार्य, मानवजाति के भ्रष्टाचार के स्तर और उस समय की हमारी आवश्यकताओं पर आधारित थे। व्यवस्था के युग में यहोवा परमेश्वर के वचन, हमें धरती पर सामान्य जीवन जीने में सक्षम बनाने के लिए बोले गए थे, और प्रभु यीशु द्वारा अनुग्रह के युग में बोले गए वचनों को केवल वह मार्ग कहा जा सकता है जो मनुष्य को पश्चाताप करने में सक्षम करता है, उसे अनन्त जीवन का मार्ग नहीं कह सकते।
तो वास्तव में अनन्त जीवन का मार्ग क्या है? अनन्त जीवन का मार्ग, वह मार्ग है जो हमें पाप के बंधनों और बाधाओं के अधीन न रहने में सक्षम बना सकता है, जो हमारे जीवन स्वभाव को बदलने में सक्षम बना सकता है और यह सत्य का मार्ग है जो हमें हमेशा के लिए जीने की अनुमति देता है। विशेष रूप से, यह हमें पाप से बचा सकता है, हमें हमारे जीवन के रूप में सत्य को प्राप्त करने में सक्षम बना सकता है और शैतान के प्रभाव को पूरी तरह से समाप्त कर सकता है, हमें वास्तव में परमेश्वर को जानने, उनका आज्ञापालन करने और परमेश्वर की उपासना करने में सक्षम बना सकता है, यह हमें पाप न करना और परमेश्वर को धोखा न देना या उनका प्रतिरोध न करना सिखा सकता है—इन परिणामों को हासिल करके ही हम अनंत जीवन का मार्ग पा सकते हैं। लेकिन जब हम खुद पर विचार करते हैं, तो हम देखते हैं कि भले ही हम बाइबल के अच्छे जानकार हों और हम बाहरी तौर पर कुछ अच्छे काम करते हों, लेकिन हमारी पापी प्रकृति हमारे भीतर गहराई से जमी है और हम अभी भी अनजाने में पाप करने में सक्षम हैं। उदाहरण के लिए, हम अभी भी घमंडी और आत्म-अभिमानी बनने में सक्षम हैं, हम अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और कलीसिया के भाई-बहनों के साथ शांति से रहने में असमर्थ हो सकते हैं, इस हद तक कि हम दूसरों को नीचा दिखा सकते हैं, दूसरों को अपमानित कर सकते हैं, दूसरों को बहिष्कृत कर सकते हैं, और दूसरों की आलोचना कर सकते हैं। जब हम ऐसे मुद्दों का सामना करते हैं जो पैसों से संबंधित होते हैं या जो हमारे स्वयं के व्यक्तिगत हितों को छूते हैं, तो हम एक दूसरे के खिलाफ षड्यंत्र रचने और धोखाधड़ी करने में सक्षम हैं। परमेश्वर की सेवा करते हुए हम खुद की गवाही देने और दूसरों की नज़र में खुद को ऊँचा उठाने और खुद का आदर करवाने में सक्षम हैं। जब हम कोई पद हासिल कर लेते हैं, तो हम दूसरों को उलझाने और नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं, कलीसिया में गुटों में बंट जाते हैं और अपनी स्वतंत्र छवि स्थापित करते हैं। जब आपदाएँ आती हैं, चाहे वो मानव निर्मित हो या प्राकृतिक, हम अक्सर परमेश्वर को दोष दे सकते हैं और उसे गलत समझ सकते हैं, इस हद तक कि हम उसे धोखा भी दे सकते हैं। ये तो बस कुछ ही उदाहरण हैं। इसलिए यह स्पष्ट है कि व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग में जो कार्य परमेश्वर ने किया उसने लोगों को अपने पापों के बारे में जागरूक होने में सक्षम बनाया, जिससे वे अपने पापों को स्वीकार कर सकते हैं, उसका पश्चात्ताप कर सकते हैं, लेकिन हमारे जीवन स्वभावों को शुद्ध करने और बदलने का कार्य अभी तक होना बाकी है। परमेश्वर ने कहा: 'मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है' (यूहन्ना 8:34-35)। 'इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ' (लैव्यव्यवस्था 11:45)। चूँकि हम बार-बार पाप करने में सक्षम हैं और हमारे भ्रष्ट स्वभावों को शुद्ध नहीं किया गया है, इसलिए यह हमें पाप के दास बना देने के तुल्य है; हमें अभी तक अनंत जीवन का मार्ग नहीं मिला है और हम परमेश्वर से मिलने के लिए अयोग्य हैं।"
भाई गुई की संगति सुनने के बाद, भाई गाओ ने सोच-विचार करते हुए कहा, "भाई गुई, आप वास्तव में सच्चाई से संगति करते हैं। यहोवा परमेश्वर ने व्यवस्था के युग में व्यवस्था और आज्ञाओं की घोषणा करने, मनुष्य के जीवन की अगुवाई करने और उन्हें यह सिखाने का कार्य किया कि परमेश्वर की आराधना कैसे की जाती है। अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु ने हमें छुटकारा दिलाया और हमें पश्चाताप का मार्ग दिया। जब हम प्रभु में विश्वास करते हैं, तो भले ही हमारे पापों को क्षमा कर दिया जाता है, लेकिन हमारी पापी प्रकृति गहराई से जमी रहती है और हम अब भी अनजाने में पाप करने में सक्षम होते हैं, अपना आपा खो बैठते हैं और समय-समय पर झूठ बोलते रहते हैं, और परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह करते रहते हैं—हमें अभी भी शुद्ध नहीं किया गया है। भाई गुई, जब ऐसी बात है, अगर हम केवल व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के कार्यों को स्वीकार करते हैं, तो क्या इसका मतलब यह होगा कि हम पाप को दूर नहीं कर सकते हैं और अनंत जीवन प्राप्त नहीं कर सकते हैं? क्या मैंने इसे सही ढंग से समझा है?"
भाई गुई ने कहा, "आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।"
भाई गाओ ने बात जारी रखी। "तो, इस बात को देखते हुए कि हम बाइबल पढ़कर अनंत जीवन नहीं पा सकते, तो फिर हम अनंत जीवन कैसे पा सकते हैं?"
भाई गुई ने अपना चश्मा निकालकर उसे साफ़ किया। थोड़ी देर गहन चिंतन करने के बाद, उन्होंने कहा, "जिस सभा में मैंने भाग लिया था, वहाँ सभी के साथ संगति करते हुए, मैं अंत में समझ गया कि हम मृत्यु के अधीन बस इसलिए हैं क्योंकि हम परमेश्वर से दूर हो गए हैं, क्योंकि हम परमेश्वर के वचनों को अपने जीवन के रूप में नहीं लेते हैं, और क्योंकि हम पाप में जीते हैं। इसलिए जब तक हम पाप की इस समस्या को हल कर सकते हैं और सत्य को अपना जीवन बनने दे सकते हैं, तब तक परमेश्वर हमें आशीष देगा ताकि हम कभी नहीं मरें, और वह हमें अनंत जीवन का आशीष देगा। इसलिए, जिन लोगों को अनन्त जीवन का रास्ता मिल जाता है, वे अहंकार, धोखे, स्वार्थ और दुष्टता के शैतानी भ्रष्ट स्वभावों से अब और नियंत्रित नहीं होते हैं, सत्य को अपने जीवन के रूप में लेने के बाद, वे फिर कभी पाप और परमेश्वर का विरोध नहीं करते हैं, और वे मसीह के अनुरूप हो जाते हैं। केवल परमेश्वर के पास ही अनंत जीवन का मार्ग है और केवल परमेश्वर ही इसे हमें प्रदान कर सकता है। तो फिर किस वक्त परमेश्वर हमें अनन्त जीवन का मार्ग प्रदान करेगा? हम सभी सहमत थे कि यह अंत के दिनों में होगा, और बाइबल इस मत का समर्थन करती है, जैसा कि प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की है: 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। इब्रानियों 9:28 में लिखा है: 'वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा।' प्रकाशितवाक्य के अध्याय 2 और 3 में सात बार भविष्यवाणी की गयी है: 'जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।' इसमें यह भी लिखा है कि परमेश्वर के स्वर्ग में स्थित जीवन के वृक्ष का फल और छिपा हुआ मन्ना, मनुष्य को दिया जाएगा। इसलिए यह देखा जा सकता है कि, जब प्रभु अंत के दिनों में वापस आएगा, तो वह बाइबल के परे जाएगा और उन सभी सत्यों को व्यक्त करेगा जो हमें अनंत जीवन प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे। जब हम अंत के दिनों के मसीह के द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को स्वीकार करते हैं, जब हमारे जीवन स्वभाव बदल जाते हैं, जब हमारे पाप शुद्ध कर दिए जाते हैं और हम सत्य को अपने जीवन के रूप में लेते हैं, तब हम अनंत जीवन का मार्ग प्राप्त करेंगे, और उसके बाद ही हम स्वर्गिक राज्य में आरोहित किये जाने के योग्य होंगे।"
भाई गुई ने चाय की एक घूंट पीकर अपनी बात जारी रखी, "मैंने एक सुसमाचार वेबसाइट पर परमेश्वर के वचनों का एक अंश देखा, जो इस प्रकार है: 'अंत के दिनों का मसीह जीवन लेकर आता है, और सत्य का स्थायी और शाश्वत मार्ग लेकर आता है। यह सत्य वह मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य जीवन प्राप्त करता है, और यह एकमात्र मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य परमेश्वर को जानेगा और परमेश्वर द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। यदि तुम अंत के दिनों के मसीह द्वारा प्रदान किया गया जीवन का मार्ग नहीं खोजते हो, तो तुम यीशु की स्वीकृति कभी प्राप्त नहीं करोगे, और स्वर्ग के राज्य के फाटक में प्रवेश करने के योग्य कभी नहीं हो पाओगे, क्योंकि तुम इतिहास की कठपुतली और कैदी दोनों ही हो। वे लोग जो नियमों से, शब्दों से नियंत्रित होते हैं, और इतिहास की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, न तो कभी जीवन प्राप्त कर पाएँगे और न ही जीवन का शाश्वत मार्ग प्राप्त कर पाएँगे' ('केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है')। अनंत जीवन का मार्ग, अंत के दिनों के मसीह से आता है, बाइबल से नहीं। बाइबल में केवल परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरणों को दर्ज किया गया है और यह परमेश्वर के लिए सिर्फ एक गवाही है; यह परमेश्वर के अधिकार, परमेश्वर के सामर्थ्य और परमेश्वर के अनंत जीवन का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। केवल मसीह ही बाइबल का प्रभु है और समस्त जीवन का स्रोत है। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा: 'तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते’ (यूहन्ना 5:39-40)। अगर हम सिर्फ बाइबल से चिपके रहते हैं और लौटे हुए प्रभु के कार्य की तलाश या जाँच-पड़ताल नहीं करते हैं, तो हम कभी भी प्रभु के प्रकटन का स्वागत नहीं कर पाएंगे जिससे हमारे लिए अनंत जीवन प्राप्त करना असंभव हो जाएगा। इन बातों को समझना अनंत जीवन प्राप्त करने और प्रभु में अपने विश्वास के माध्यम से स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए महत्वपूर्ण है।"
भाई गाओ का चेहरा खुशी से खिल उठा और उन्होंने उत्साह से कहा, "परमेश्वर की प्रबुद्धता और मार्गदर्शन के लिए उनका धन्यवाद! आख़िरकार मैं समझ गया कि बाइबल सिर्फ़ परमेश्वर की गवाही है और इसमें अनंत जीवन नहीं है। केवल अंत के दिनों के मसीह के पास ही अनंत जीवन का मार्ग है, एक बार जब हम अंत के दिनों के मसीह द्वारा व्यक्त सत्य को पा लेते हैं और हमारे भ्रष्ट स्वभावों को शुद्ध कर दिया जाता है, उसके बाद ही हम अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं और स्वर्गिक राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। यह सही है, है न भाई गुई?"
भाई गुई ने कहा, "यह सही है! हमें अंत के दिनों के मसीह के कार्य को स्वीकार करना ही चाहिए, उसके बाद ही हमारे पास अनंत जीवन का मार्ग प्राप्त करने का अवसर होगा। प्रभु का धन्यवाद!"
भाई गाओ ने भी कहा, "प्रभु का धन्यवाद!"
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