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मेन्‍यू

आखिरकार मुझे शुद्धिकरण का मार्ग मिल गया

आखिरकार मुझे शुद्धिकरण का मार्ग मिल गया

मैं एक कैथोलिक परिवार में पैदा हुआ। 13 साल की उम्र में मैंने धार्मिक शिक्षा ली और मेरा बपतिस्मा हो गया। उसके बाद, मैंने तय किया कि परमेश्वर की सेवा करने के लिए मैं पादरी बनूँगा। इसलिए, 22 साल की उम्र में मैंने सेमिनरी में दाखिला ले लिया। वहाँ मैंने धर्मशास्त्र और बाइबल के अलावा, कुछ और विषय भी पढ़े। लेकिन कुछ समय बीतने के बाद भी मुझे परमेश्वर से निकटता का एहसास नहीं हुआ। बार-बार मुझमें शादी करने और परिवार के साथ रहने की इच्छा जागती रही। मैंने बहुत प्रार्थना की, लेकिन फिर भी इसे दूर नहीं कर सका। मैंने परमेश्वर के सामने पवित्र रहने की कसम खाई थी ताकि मैं स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकूँ। लेकिन अब मैं उस वायदे को त्यागना चाहता था। कहीं मैं पाप तो नहीं कर रहा था, परमेश्वर के सामने झूठ तो नहीं बोल रहा था? मैं परमेश्वर के राज्य में कैसे प्रवेश कर सकता था? मैं सेमिनरी में 10 साल रहा। ग्रेजुएट होने के बाद, मैं इंडोनेशिया चला गया और वहाँ एक साल तक एक ईसाई मठ में रहा। लेकिन मेरे मन में समय-समय पर अपवित्र विचार आते रहे। मैं सच में बहुत निराश हो गया था। पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैंने पैरिश में रहने वाला पादरी बनने का निर्णय लिया था। मगर फिर मैंने घर जाकर शादी कर ली। लेकिन अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में, छोटी-छोटी बातों पर पत्नी से मेरी खूब बहस होती। मुझमें धीरज की भी कमी थी। कभी-कभी मैं अपने फ़ायदे के लिए झूठ बोलता। फिर परमेश्वर के सामने कबूल करता और उन बातों पर बहुत प्रायश्चित करता। लेकिन फिर मैं वही सब करता। मैं परमेश्वर से अपने रिश्ते सुधारना चाहता था, इसलिए प्रार्थना-सभा जाता और खूब प्रार्थना करता, लेकिन इससे मेरी समस्याओं का हल नहीं हुआ।

फिर 2014 में, मैं अमेरिका आ गया। प्रार्थना-सभा में मेरी मुलाकात ली और लिऊ से हुई, जो पैरिश में रहने वाले पादरी थे। जब भी मौका मिलता मैं उनसे धार्मिक आस्था से जुड़ी बातें करता। मुझे याद है एक बार जब हम बाइबल के बारे में बात कर रहे थे, तो लिऊ ने कहा कि वह एक ऐसे धार्मिक पादरी को जानता है जिन्हें बाइबल का अच्छा ज्ञान है। उन्हें चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास है। उसने कहा कि कलीसिया के कुछ और उत्साही सदस्यों ने भी उसमें अपनी रुचि दिखाई है। वह जानना चाहते थे कि चमकती पूर्वी बिजली की कलीसिया आखिर है क्या और इतने सारे उत्साही विश्वासी उससे क्यों जुड़े हैं। मैं भी इससे भ्रमित हो गया था, क्योंकि मैं भी एक धार्मिक पादरी को जानता था जो चमकती पूर्वी बिजली से जुड़ा था। मुझे नहीं पता था कि चमकती पूर्वी बिजली का क्या उपदेश है या क्यों इतने सारे पवित्र ईसाई इससे आकर्षित होते हैं। कहीं यह पवित्र आत्मा से प्रभावित तो नहीं? मैंने सोचा कि मैं इसके बारे में और पता करूँगा और देखूँगा कि इस कलीसिया के उपदेशों में इतना खास क्या है। मैंने सोचा कि क्या इससे परमेश्वर के प्रति मेरी भक्ति और ज्ञान में इज़ाफ़ा हो सकता है। यह सोचकर, मैंने ली और लिऊ से कहा कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया देखना चाहता हूँ। वो मान गए।

जब हम वहाँ गए, एक बहन ने हमारे लिए एक वीडियो चलाया, जिसका नाम था, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की उत्पत्ति और विकास। इससे मैंने जाना कि प्रभु यीशु वापस आ गए हैं, जैसी कि मैंने उम्मीद की थी। वे देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं जो न्याय का कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त कर रहे हैं। यही वजह है कि हर संप्रदाय के वो लोग जो सत्य से प्यार करते हैं और परमेश्वर के प्रकटन के अभिलाषी हैं, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं। वे जानते हैं कि यही सत्य और परमेश्वर की वाणी है। वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सुसमाचार का पूर्व में चीन से लेकर पश्चिम के कई देशों तक विस्तार हुआ है, जो प्रभु यीशु की इस भविष्यवाणी को पूरा करता है: "जैसे कि बिजली की चमक पूरब से निकलती है, और पश्चिम में भी दिखाई पड़ती है: वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना होगा" (मत्ती 24:27)। भविष्यवाणी को इस तरह पूरा होते देखकर मुझे सच में बहुत हैरानी हुई। मैं इतने सालों तक इसे बिना समझे-बूझे पढ़ता रहा था।

फिर एक भाई ने एक सुसमाचार फ़िल्म चलाई जिसका नाम था 'बाइबल और परमेश्वर'। इसने तो मुझे और ज़्यादा प्रभावित किया और मैंने जाना कि बाइबल में बहुत सारे रहस्य छुपे हैं। मैंने कई आध्यात्मिक किताबें पढ़ी थीं, लेकिन किसी भी धर्मशास्त्री या बाइबल के विद्वान ने मुझे इतनी अच्छी तरह से नहीं समझाया था कि बाइबल से जुड़ा सत्य क्या है, कैसे इसकी उत्पत्ति हुई, और परमेश्वर से इसका रिश्ता क्या है। मैंने इस फ़िल्म से बहुत कुछ सीखा। मैं समझ गया कि क्यों इतने सारे उत्साही विश्वासी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को सुनने के बाद उसे स्वीकारने लगे। मैं जान गया कि मुझे इस बारे में विचार करना होगा।

इसके बाद उन्होंने कहा कि अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, न्याय का कार्य परमेश्वर के घर से शुरू करने के लिए सत्य व्यक्त करते हैं, ताकि मानवजाति को हमेशा के लिए शुद्ध करके बचाया जा सके। मैं भ्रमित था, क्योंकि प्रभु यीशु ने सलीब पर कहा था, "यह संपूर्ण हुआ"। इसका मतलब होना चाहिए था कि परमेश्वर का मानवजाति को बचाने का कार्य पूरा हुआ। तो हमें शुद्ध करने और बचाने के लिए, परमेश्वर को मानवजाति का न्याय करने की क्या ज़रूरत है? मैं यह जानना चाहता था, लेकिन काफ़ी देर हो गयी थी, इसलिए मैंने अगले दिन आना तय किया। घर जाते समय मैं बहुत उत्साहित था। मैंने उस दिन की संगति से बहुत कुछ सीखा और मुझे लगा जैसे मैं प्रभु के करीब आ गया हूँ। ऐसा लगा जैसे कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में वाकई प्रभु का कार्य शामिल है। यह एकदम अविश्वसनीय होगा, अगर प्रभु सच में वापस आ जाएँ और पतरस की तरह, मैं उनके साथ रह सकूँ। यह सोचकर मैं अगले दिन की संगति का और भी शिद्दत से इंतज़ार करने लगा।

अगले दिन जैसे ही मैं काम से वापस लौटा, मैं तुरंत मुलाक़ात की जगह पहुँच गया और बिना समय गँवाए बहन से बोला, "आप कहती हैं कि प्रभु यीशु वापस आ गए हैं और वे न्याय का कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त करते हैं। लेकिन सलीब पर उन्होंने कहा था, 'यह संपूर्ण हुआ।' इसका अर्थ यह हुआ कि परमेश्वर का मानवजाति को बचाने का कार्य पूरा चुका। हमारी आस्था की वजह से हमारे पापों को माफ़ कर दिया गया है। हमारी आस्था ने हमें उचित ठहराया है और बचा लिया है। जब प्रभु आएँगे, वे हमें सीधे अपने राज्य में ले जाएँगे। वे और उद्धार का कार्य क्यों करेंगे? आखिर इसका मतलब क्या है?"

उन्होंने कहा, "प्रभु यीशु ने कहा 'यह संपूर्ण हुआ' क्योंकि उनका छुटकारे का कार्य पूरा हो गया था। इसका मतलब यह नहीं था कि परमेश्वर का मानवजाति को बचाने का कार्य पूरा हो गया। अगर हम यह सोचें कि परमेश्वर का मानवजाति को बचाने का कार्य पूरा हो गया, क्योंकि प्रभु यीशु ने कहा, 'यह संपूर्ण हुआ' और जब वे वापस आएँगे तो नए कार्य नहीं करेंगे, तो ये भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी होंगी? 'मुझे तुमसे बहुत सारी बातें कहनी हैं: लेकिन अभी तुम उन्हें बर्दाश्त नहीं कर सकते। लेकिन जब वो, सत्य का आत्मा आएगा, तो वह तुम्हें सारे सत्य सिखाएगा। चूँकि वह अपनी ओर से बात नहीं करेगा; पर जो भी बातें वह सुनेगा वही बताएगा; जो घटित होने वाली चीजें हैं, वह तुम्हें दिखाएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। 'जो मुझसे घृणा करता है, और मेरे वचनों को ग्रहण नहीं करता, उस पर भी फैसला देने वाला कोई है; मैंने जो वचन बोले हैं वही अंतिम दिन उसका फैसला करेंगे' (यूहन्ना 12:48)। 1 पतरस 4:17 में भी कहा गया है: 'चूँकि समय आ गया है, कि न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होगा।' इन भविष्यवाणियों से पता चलता है कि अंत के दिनों में मानवजाति का न्याय करने और उन्हें शुद्ध करने के लिए, प्रभु और ज़्यादा सत्य व्यक्त करेंगे। अगर हम कहें कि परमेश्वर का उद्धार का कार्य एकदम पूरा हो गया है, तो उनकी ये भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी होंगी? बाइबल भी भविष्यवाणी करती है कि अंत के दिनों में, प्रभु अच्छे सेवकों को बुरे सेवकों से, भेड़ों को बकरियों से, गेहूँ को खरपतवार से, बुद्धिमान कुंवारियों को मूर्खों से अलग करेंगे। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा था: 'जो अच्छा बीज बोता है, वह मनुष्य का पुत्र है। और यह संसार खेत है। और अच्छे बीज राज्य की संतान हैं। और खराब बीज दुष्ट की संतान हैं। जिस शत्रु ने उन्हें बोया वह शैतान है। लेकिन फसल की कटाई संसार का अंत है। और काटने वाले देवदूत हैं। खोटे दाने जिस तरह जमा कर जला दिए जाते हैं : संसार के अंत में वैसा ही होगा। मनुष्य का पुत्र अपने देवदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से तमाम कलंकियों और कुकर्मियों को इकट्ठा करेंगे। और उन्हें अग्नि-कुंड में झोंक देंगे : वहाँ रोने और दाँत-पीसने का नज़ारा होगा। उस समय धर्म-प्रिय लोग अपने पिता के राज्य में सूर्य की तरह चमकेंगे। जिसके पास कान है वह सुन ले' (मत्ती 13:37-43)। प्रकाशित-वाक्य में भी यह भविष्यवाणी है कि अंत के दिनों में परमेश्वर, विजयी लोगों का एक समूह बनाएँगे और उनका राज्य पृथ्वी पर आएगा। अंत के दिनों में प्रभु ये सारा कार्य करेंगे। अगर हम कहें कि मानवजाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य एकदम पूरा हो गया है, क्योंकि प्रभु यीशु ने अपना कार्य पूरा कर लिया है, तो वे भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी होंगी? तो यह बात प्रभु के वचनों और परमेश्वर के कार्य की सच्चाई से एकदम अलग है।"

यह सुनकर मैंने हामी भरी। मुझे लगा कि वे सही कह रही हैं। इतनी स्पष्ट बात को मैं कभी क्यों नहीं समझ सका? इसके बाद उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कई अंश पढ़े। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "क्योंकि मनुष्य को छुटकारा दिए जाने और उसके पाप क्षमा किए जाने को केवल इतना ही माना जा सकता है कि परमेश्वर मनुष्य के अपराधों का स्मरण नहीं करता और उसके साथ अपराधों के अनुसार व्यवहार नहीं करता। किंतु जब मनुष्य को, जो कि देह में रहता है, पाप से मुक्त नहीं किया गया है, तो वह निरंतर अपना भ्रष्ट शैतानी स्वभाव प्रकट करते हुए केवल पाप करता रह सकता है। यही वह जीवन है, जो मनुष्य जीता है—पाप करने और क्षमा किए जाने का एक अंतहीन चक्र। अधिकतर मनुष्य दिन में सिर्फ इसलिए पाप करते हैं, ताकि शाम को उन्हें स्वीकार कर सकें। इस प्रकार, भले ही पापबलि मनुष्य के लिए हमेशा के लिए प्रभावी हो, फिर भी वह मनुष्य को पाप से बचाने में सक्षम नहीं होगी। उद्धार का केवल आधा कार्य ही पूरा किया गया है, क्योंकि मनुष्य में अभी भी भ्रष्ट स्वभाव है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'देहधारण का रहस्य (4)')। "तुम्हारे लिए, तुम जो कि अभी भी पुराने अहम् वाले हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और कि परमेश्वर द्वारा उद्धार की वजह से तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुम्हें बदला नहीं गया तो तुम संत जैसे कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता से घिरे हुए हो, स्वार्थी और कुटिल हो, मगर तब भी तुम यीशु के साथ अवतरण चाहते हो—क्या तुम इतने भाग्यशाली हो सकते हो? तुम परमेश्वर पर अपने विश्वास में एक कदम चूक गए हो: तुम्हें मात्र छुटकारा दिया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के हृदय के अनुसार होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें परिवर्तित और शुद्ध करने का कार्य करना होगा; यदि तुम्हें सिर्फ छुटकारा दिया जाता है, तो तुम पवित्रता को प्राप्त करने में असमर्थ होंगे। इस तरह से तुम परमेश्वर के आशीषों में साझेदारी के अयोग्य होंगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंधन करने के परमेश्वर के कार्य के एक कदम का सुअवसर खो दिया है, जो कि परिवर्तित करने और सिद्ध बनाने का मुख्य कदम है। और इसलिए तुम, एक पापी जिसे अभी-अभी छुटकारा दिया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हो" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'पदवियों और पहचान के सम्बन्ध में')। "यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया, फिर भी उसने केवल समस्त मानवजाति की मुक्ति का कार्य पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना; उसने मनुष्य को उसके समस्त भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। मनुष्य को शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से बचाने के लिए यीशु को न केवल पाप-बलि बनने और मनुष्य के पाप वहन करने की आवश्यकता थी, बल्कि मनुष्य को उसके शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए स्वभाव से मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़ा कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, अब जबकि मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिया गया है, परमेश्वर मनुष्य को नए युग में ले जाने के लिए वापस देह में लौट आया है, और उसने ताड़ना एवं न्याय का कार्य आरंभ कर दिया है। यह कार्य मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में ले गया है। वे सब, जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे, उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़े आशीष प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे और सत्य, मार्ग और जीवन प्राप्त करेंगे" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')। "परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के कार्य का मूलभूत उद्देश्य मानवता को शुद्ध करना है और उन्हें उनके अंतिम विश्राम के लिए तैयार करना है; इस शुद्धिकरण के बिना संपूर्ण मानवता अपने प्रकार के मुताबिक़ विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत नहीं की जा सकेगी, या विश्राम में प्रवेश करने में असमर्थ होगी। यह कार्य ही मानवता के लिए विश्राम में प्रवेश करने का एकमात्र मार्ग है। केवल परमेश्वर द्वारा शुद्धिकरण का कार्य ही मनुष्यों को उनकी अधार्मिकता से शुद्ध करेगा और केवल उसकी ताड़ना और न्याय का कार्य ही मानवता के उन अवज्ञाकारी तत्वों को सामने लाएगा, और इस तरह बचाये जा सकने वालों से बचाए न जा सकने वालों को अलग करेगा, और जो बचेंगे उनसे उन्हें अलग करेगा जो नहीं बचेंगे। इस कार्य के समाप्त होने पर जिन्हें बचने की अनुमति होगी, वे सभी शुद्ध किए जाएँगे, और मानवता की उच्चतर दशा में प्रवेश करेंगे जहाँ वे पृथ्वी पर और अद्भुत द्वितीय मानव जीवन का आनंद उठाएंगे; दूसरे शब्दों में, वे अपने मानवीय विश्राम का दिन शुरू करेंगे और परमेश्वर के साथ रहेंगे। जिन लोगों को रहने की अनुमति नहीं है, उनकी ताड़ना और उनका न्याय किया गया है, जिससे उनके असली रूप पूरी तरह सामने आ जाएँगे; उसके बाद वे सब के सब नष्ट कर दिए जाएँगे और शैतान के समान, उन्हें पृथ्वी पर रहने की अनुमति नहीं होगी। भविष्य की मानवता में इस प्रकार के कोई भी लोग शामिल नहीं होंगे; ऐसे लोग अंतिम विश्राम की धरती पर प्रवेश करने के योग्य नहीं हैं, न ही ये उस विश्राम के दिन में प्रवेश के योग्य हैं, जिसे परमेश्वर और मनुष्य दोनों साझा करेंगे क्योंकि वे दंड के लायक हैं और दुष्ट, अधार्मिक लोग हैं। ... बुराई को दंडित करने और अच्छाई को पुरस्कृत करने के परमेश्वर के अंतिम कार्य के पीछे का पूरा उद्देश्य, सभी मनुष्यों को पूरी तरह शुद्ध करना है, ताकि वह पूरी तरह पवित्र मानवता को शाश्वत विश्राम में ला सके। उसके कार्य का यह चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है; यह उसके समस्त प्रबंधन-कार्य का अंतिम चरण है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर और मनुष्य साथ-साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे')

इस वीडियो के बाद उन्होंने यह सहभागिता की: "प्रभु यीशु ने अनुग्रह के युग में छुटकारे का कार्य किया। अगर हम उनमें आस्था रखते हैं, प्रार्थना करते हैं, पाप को स्वीकारते और पश्चाताप करते हैं, तो हमारे पापों को माफ़ कर दिया जाएगा। हम परमेश्वर के अनुग्रह और आशीष का आनंद उठा सकते हैं और किसी भी व्यवस्था के तहत हम दंडित नहीं होंगे। प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य से यही हासिल हुआ। 'आस्था से बचाव' का यही असली मतलब है। प्रभु यीशु हमारे पापों को माफ़ कर देते हैं और अब हम जानबूझ कर पाप नहीं करते और ज़्यादातर हम अच्छा बर्ताव करते हैं। लेकिन हम अब भी पाप से मुक्त नहीं हैं। हम फिर भी अपने फ़ायदे के लिए झूठ बोलते और धोखा देते हैं। हम लालची, ईर्षालु और द्वेषपूर्ण हैं। बुरे ख़यालों को मन में रखते हैं। सांसारिक चीज़ों के प्रलोभन से हम बच नहीं पाते। पैसा और हैसियत हमारी चाहत हैं। हम उन लोगों को नीचा दिखाते हैं जो हमारी पसंद के काम नहीं करते हैं। हम सबके अंदर घमंड और चालाकी जैसे शैतानी स्वभाव भरे हैं। हम सत्य से दूर भागते हैं और बुराई से प्यार करते हैं। बाहरी पापों की अपेक्षा शैतानी स्वभाव की मोर्चाबंदी ज़्यादा मज़बूत होती है। इन्हें हमारे अंदर शैतान भरता है और यही हमारे पापों की और परमेश्वर के विरोध की जड़ है। जब तक इनका समाधान नहीं होता, हम पाप करना नहीं छोड़ सकते और पाप के बंधन से आज़ाद नहीं हो सकते। बाइबल कहती है 'तुम पवित्र होगे, क्योंकि मैं पवित्र हूँ' (1 पतरस 1:16)। परमेश्वर पवित्र हैं और वैसा ही उनका राज्य है। वे उसमें अपवित्र इंसानों को आने की इजाज़त नहीं देते। जो लोग रोज़ पाप करते हैं, वो पाप के ग़ुलाम होते हैं, तो भला कैसे वो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश के काबिल हो सकते हैं? तो, प्रभु यीशु का छुटकारे का कार्य, मानवजाति को बचाने के परमेश्वर के कार्य का बस एक हिस्सा है, पूरा कार्य नहीं। हमारे पापों को बस माफ़ किया गया है, लेकिन न हम पाप से आज़ाद हुए हैं और न ही शैतान के प्रभाव से मुक्त हुए हैं। परमेश्वर ने अभी तक मानवजाति को पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में आए हैं। वो सत्य व्यक्त करते हैं और न्याय का कार्य करते हैं। इससे हमारा भ्रष्ट स्वभाव साफ़ होगा और परमेश्वर का विरोध करने वाली हमारी पापी शैतानी प्रकृति का समाधान होगा। हम पाप के बंधनों से पूरी तरह आज़ाद हो जाएँगे, बचाए जाएँगे और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकेंगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य से अच्छे और बुरे सेवकों, भेड़ों और बकरियों, गेहूँ और खरपतवार, बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियों के बीच का अंतर भी स्पष्ट हो जाता है। ऐसे लोग जो प्रभु की वाणी सुनना नहीं चाहते, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्यों की अनदेखी करते हैं, उनकी निंदा करते हैं, वे मूर्ख कुंवारियाँ, खरपतवार और बुरे सेवक हैं, जो आखिरकार मुसीबत में घिरेंगे, रोएँगे और अपने दाँत पीसेंगे। ऐसे लोग जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में परमेश्वर की वाणी को पहचानते हैं और उनके अंत के दिनों के कार्य को स्वीकारते हैं, वे बुद्धिमान कुंवारियाँ, गेहूँ और भेड़ हैं। अंत के दिनों में परमेश्वर उनके साथ न्याय करेंगे, उनका शुद्धिकरण होगा, और आखिरकार उन्हें परमेश्वर के राज्य में लाया जाएगा। इस तरह प्रकाशित-वाक्य की भविष्यवाणियाँ पूरी तरह साकार होती हैं। तो जब परमेश्वर का न्याय कार्य पूरा होने लगेगा, तब परमेश्वर का मानवजाति को बचाने का कार्य एकदम पूरा हो जाएगा।"

उनकी संगति से मेरी आँखें खुल गईं। मैं समझ गया कि प्रभु यीशु ने सिर्फ़ छुटकारे का कार्य किया था। अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय का कार्य ही मानवजाति को पूरी तरह शुद्ध करके बचा सकता है। हमारी आस्था की वजह से हमारे पापों से हमें छुटकारा तो मिल जाता है, लेकिन हमारी पापी प्रकृति बनी रहती है। इसी वजह से हम पाप करने और कबूल करने की अवस्था में रहते हैं। पहले मुझे खुद को पाप करने से रोकने के लिए मजबूर करना पड़ता था, लेकिन बाइबल को पढ़ने और ईसाई मठ के नियमों का पालन करने के बावजूद मैं पाप करता रहा। फिर मैं समझा कि इस पाप की समस्या को दूर करने का सिर्फ़ एक तरीका है, अंत के दिनों में परमेश्वर द्वारा मेरा न्याय करना और मुझे शुद्ध करना। मैंने उत्सुकता से इस बहन से पूछा कि किस तरह परमेश्वर, न्याय का कार्य करके लोगों को शुद्ध करते हैं।

उन्होंने परमेश्वर के वचनों के पाठ का एक और वीडियो चलाया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "अंत के दिनों में मसीह मनुष्य को सिखाने, उसके सार को उजागर करने और उसके वचनों और कर्मों की चीर-फाड़ करने के लिए विभिन्न प्रकार के सत्यों का उपयोग करता है। इन वचनों में विभिन्न सत्यों का समावेश है, जैसे कि मनुष्य का कर्तव्य, मनुष्य को परमेश्वर का आज्ञापालन किस प्रकार करना चाहिए, मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होना चाहिए, मनुष्य को किस प्रकार सामान्य मनुष्यता का जीवन जीना चाहिए, और साथ ही परमेश्वर की बुद्धिमत्ता और उसका स्वभाव, इत्यादि। ये सभी वचन मनुष्य के सार और उसके भ्रष्ट स्वभाव पर निर्देशित हैं। खास तौर पर वे वचन, जो यह उजागर करते हैं कि मनुष्य किस प्रकार परमेश्वर का तिरस्कार करता है, इस संबंध में बोले गए हैं कि किस प्रकार मनुष्य शैतान का मूर्त रूप और परमेश्वर के विरुद्ध शत्रु-बल है। अपने न्याय का कार्य करने में परमेश्वर केवल कुछ वचनों के माध्यम से मनुष्य की प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता; बल्कि वह लंबे समय तक उसे उजागर करता है, उससे निपटता है और उसकी काट-छाँट करता है। उजागर करने, निपटने और काट-छाँट करने की इन विधियों को साधारण वचनों से नहीं, बल्कि उस सत्य से प्रतिस्थापित किया जा सकता है, जिसका मनुष्य में सर्वथा अभाव है। केवल इस तरह की विधियाँ ही न्याय कही जा सकती हैं; केवल इस तरह के न्याय द्वारा ही मनुष्य को वशीभूत और परमेश्वर के प्रति समर्पण के लिए पूरी तरह से आश्वस्त किया जा सकता है, और इतना ही नहीं, बल्कि मनुष्य परमेश्वर का सच्चा ज्ञान भी प्राप्त कर सकता है। न्याय का कार्य मनुष्य में परमेश्वर के असली चेहरे की समझ पैदा करने और उसकी स्वयं की विद्रोहशीलता का सत्य उसके सामने लाने का काम करता है। न्याय का कार्य मनुष्य को परमेश्वर की इच्छा, परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य और उन रहस्यों की अधिक समझ प्राप्त कराता है, जो उसकी समझ से परे हैं। यह मनुष्य को अपने भ्रष्ट सार तथा अपनी भ्रष्टता की जड़ों को जानने-पहचानने और साथ ही अपनी कुरूपता को खोजने का अवसर देता है। ये सभी परिणाम न्याय के कार्य द्वारा लाए जाते हैं, क्योंकि इस कार्य का सार वास्तव में उन सभी के लिए परमेश्वर के सत्य, मार्ग और जीवन का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य है, जिनका उस पर विश्वास है। यह कार्य परमेश्वर के द्वारा किया जाने वाला न्याय का कार्य है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है')। उन्होंने वीडियो पूरा होने के बाद अपनी संगति जारी रखी। "लोगों का न्याय करने और उन्हें शुद्ध करने के लिए, परमेश्वर अंत के दिनों में सत्य व्यक्त करते हैं। वे सारे सत्य व्यक्त करते हैं, जिन्हें मानवजाति को शुद्ध होने और बचाए जाने के लिए समझना और अमल में लाना ज़रूरी है। उन्होंने अपनी 6,000 साल की प्रबंधन योजना के रहस्यों को उजागर किया है। ये हैं, मानवजाति को बचाने के लिए उनका तीन चरणों का कार्य, देहधारी परमेश्वर के कार्यों के रहस्य, और अंत के दिनों में किए गए उनके न्याय कार्य के रहस्य। वे इस बात का भी न्याय करके इसकी वजह का खुलासा करते हैं कि क्यों मानवजाति पाप करती है और परमेश्वर का विरोध करती है। वे शैतान द्वारा हमारी भ्रष्टता के सत्य और सभी तरह की भ्रष्ट अवस्थाओं को उजागर करते हैं। इसके अलावा, वे परमेश्वर के पवित्र और धार्मिक स्वभाव को उजागर करते हैं, जिसका अपमान नहीं किया जा सकता है। वे हमें यह भी बताते हैं कि उनको कौन अच्छा लगता है और कौन बुरा, कौन परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकता है और किसको सज़ा मिलेगी, और हर किस्म के व्यक्ति की मंज़िल और परिणाम क्या है। वे हमें अपने जीवन स्वभाव को बदलने का रास्ता भी दिखाते हैं। परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना से गुज़र कर, हम देखते हैं कि शैतान ने हमें कितना अधिक भ्रष्ट किया है. हमारे अंदर घमंड, चालाकी, दुष्टता, क्रूरता और सत्य से नफ़रत करने वाले शैतानी स्वभाव भरे हैं। हमारे अंदर इंसानियत ही नहीं है। हम परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को भी देखते हैं और उनके प्रति श्रद्धा रखने लगते हैं। हम खुद से सच में नफ़रत करने लगते हैं और दैहिक इच्छाओं का त्याग करके सत्य का अभ्यास करना चाहते हैं। इससे हमारा भ्रष्ट स्वभाव धीरे-धीरे बदल जाता है।"

संगति के बाद, उन्होंने मेरे लिए एक और गवाही वाला वीडियो चलाया जिसका नाम था 'सत्य की रोशनी प्रकट होती है'। इसके मुख्य किरदार के पास कुछ प्रतिभा है जिसका रोब वह सब पर डालता है और दूसरों को कमतर समझता है। वह घमंडी है और दूसरों को नीचा दिखाता है। वह चाहता है कि सब उसकी सुनें। वह विश्वासी है और प्रार्थना करके पापों को स्वीकार करता है, लेकिन उसकी गुस्सा करने और दूसरों को डांटने की आदत जाती नहीं है। उसके सभी सहकर्मी उससे दूर रहते हैं, उसकी पत्नी और बेटी उससे डरते हैं। उसका एक भी हमराज़ नहीं है। पाप में रहते हुए, वह बहुत कष्ट भोगता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करने के बाद, परमेश्वर के वचनों द्वारा न्याय और ताड़ना के बाद उसे पता चलता है कि उसकी प्रवृत्ति हमेशा खुद को आगे रखने, अपना फ़ायदा कराने और दूसरों से आज्ञा का पालन कराने की है। इसकी वजह है उसका घमंडी और अविवेकी होना, और यह शैतानी स्वभाव है। यह परमेश्वर को पसंद नहीं है और इससे दूसरे लोग दूर हो जाते हैं। एक बार जब वह यह समझ जाता है तो वह सच में खुद से नफ़रत करने लगता है और पछताने लगता है। फिर वह औरों से नरमी से पेश आने लगता है। और जब कोई मुश्किल सामने आती है, तो वह दैहिक इच्छाओं का त्याग करके, सत्य को तलाशता है और दूसरों की सुनता है। अब वह पहले जैसा घमंडी नहीं है।

इस वीडियो को देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में कितना अधिकार और सामर्थ्य है, वो सच में लोगों को शुद्ध करके उन्हें बदल सकते हैं। फिर जब भी मौका मिलता, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ने लगता और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की सुसमाचार फ़िल्मों और भजनों के वीडियो देखता। जितना ज़्यादा मैं इन्हें देखता उतना ही बेहतर महसूस करता। मुझे यकीन हो गया था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ही सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वापस लौटे प्रभु हैं। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया।

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