आपकी आस्था और शक्ति को बढ़ाने के लिए उत्साहवर्धक बाइबल पद
जब हम अपने जीवन में कष्टकर चीज़ों का सामना करते हैं, तो हमें अक्सर निराशा और बेबसी का एहसास होता है। इस समय में, हम परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध और इन मुश्किलों के सामने आस्था को कैसे बनाये रख सकते हैं? बाइबल के निम्न उत्साहवर्धक पद पढ़ें, ये कठिन समय में आस्था रखने और परमेश्वर से शक्ति पाने देते हैं।
1. सीखें कि परमेश्वर पर निर्भर कैसे रहें और विपरीत परिस्थितियों में प्रोत्साहन प्राप्त करें
"तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन् सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा" (नीतिवचन 3:5-6)।
"यहोवा बुराई करनेवालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। धर्मी दुहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है" (भजन संहिता 34:16-17)।
"मैंने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बाँधो, मैंने संसार को जीत लिया है" (यूहन्ना 16:33)।
"मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (यूहन्ना 14:27)।
"न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है" (जकर्याह 4:6)।
"तू हियाव बाँध और दृढ़ हो, उनसे न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्वर यहोवा है; वह तुझको धोखा न देगा और न छोड़ेगा” (व्यवस्थाविवरण 31:6)।
"यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊँचा गढ़ ठहरेगा, वह संकट के समय के लिये भी ऊँचा गढ़ ठहरेगा। और तेरे नाम के जाननेवाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, क्योंकि हे यहोवा तूने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया" (भजन संहिता 9:9-10)।
"चाहे मैं घोर अंधकार से भरी हुई तराई में होकर चलूँ, तो भी हानि से न डरूँगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है। तू मेरे सतानेवालों के सामने मेरे लिये मेज बिछाता है; तूने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमड़ रहा है" (भजन संहिता 23:4-5)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
तुझे सकारात्मक की तरफ़ से प्रवेश प्राप्त करना चाहिए। यदि तू हाथ पर हाथ धरे प्रतीक्षा करता है, तो तू अब भी नकारात्मक हो रहा है। तुझे आगे बढ़कर मेरे साथ सहयोग करना चाहिए; मेहनती बन, और आलसी कभी न बन। सदैव मेरी संगति में रह और मेरे साथ कहीं अधिक गहरी अंतरंगता प्राप्त कर। यदि तेरी समझ में नहीं आता है, तो त्वरित परिणामों के लिए अधीर मत बन। ऐसा नहीं है कि मैं तुझे नहीं बताऊँगा; बात यह है कि मैं देखना चाहता हूँ कि जब तू मेरी उपस्थिति में होता है क्या केवल तभी तू मुझ पर भरोसा करता है; और मुझ पर अपनी निर्भरता में तू आत्मविश्वास से पूर्ण है या नहीं। तुझे सदैव मेरे निकट रहना चाहिए और सभी विषय मेरे हाथों में रख देने चाहिए। खाली हाथ वापस मत जा। जब तू कुछ समयावधि के लिए बिना जाने-बूझे मेरे निकट रह लिया होगा, उसके पश्चात मेरे इरादे तुझ पर प्रकट होंगे। यदि तू उन्हें समझ लेता है, तो तू वास्तव में मेरे आमने-सामने होगा, और तूने वास्तव में मेरा चेहरे पा लिया होगा। तेरे भीतर अधिक स्पष्टता और दृढ़ता होगी, और तेरे पास भरोसा करने के लिए कुछ होगा। तब तेरे पास सामर्थ्य के साथ-साथ आत्मविश्वास भी होगा, तेरे पास आगे का मार्ग भी होगा। हर चीज़ तेरे लिए आसान हो जाएगी।
— "आरंभ में मसीह के कथन" के 'अध्याय 9' से उद्धृत
2. पीड़ा हमारे लिए परमेश्वर का आशीष है
"हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे" (याकूब 1:2-4)।
"धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करनेवालों को दी है" (याकूब 1:12)।
"धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें और सताएँ और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें" (मत्ती 5:10-11)।
"क्योंकि हमारा पल भर का हलका सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है" (2 कुरिन्थियों 4:17)।
"इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण दुःख में हो, और यह इसलिए है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशवान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, महिमा, और आदर का कारण ठहरे" (1 पतरस 1:6-7)।
"अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिसने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुःख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा" (1 पतरस 5:10)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
निराश न हो, कमज़ोर न बनो, मैं तुम्हारे लिए चीज़ें स्पष्ट कर दूँगा। राज्य की राह इतनी आसान नहीं है; कुछ भी इतना सरल नहीं है! तुम चाहते हो कि आशीष आसानी से मिल जाएँ, है न? आज हर किसी को कठोर परीक्षणों का सामना करना होगा। बिना इन परीक्षणों के मुझे प्यार करने वाला तुम लोगों का दिल मजबूत नहीं होगा और तुम्हें मुझसे सच्चा प्यार नहीं होगा। यदि ये परीक्षण केवल मामूली परिस्थितियों से युक्त भी हों, तो भी सभी को इनसे गुज़रना होगा; अंतर केवल इतना है कि परीक्षणों की कठिनाई हर एक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होगी। परीक्षण मेरे आशीष हैं, और तुममें से कितने मेरे सामने आकर घुटनों के बल गिड़गिड़ाकर मेरे आशीष माँगते हैं? बेवकूफ़ बच्चे! तुम्हें हमेशा लगता है कि कुछ मांगलिक वचन ही मेरा आशीष होते हैं, किंतु तुम्हें यह नहीं लगता कि कड़वाहट भी मेरे आशीषों में से एक है। जो लोग मेरी कड़वाहट में हिस्सा बँटाते हैं, वे निश्चित रूप से मेरी मिठास में भी हिस्सा बँटाएँगे। यह मेरा वादा है और तुम लोगों को मेरा आशीष है।
— "आरंभ में मसीह के कथन" के 'अध्याय 41' से उद्धृत
“विषय के अनुसार बाइबल के पद” और “बाइबल अध्ययन” खंडों में दैनिक भक्ति संसाधनों का उपयोग करने के लिए आपका स्वागत है, ये आपके आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध कर सकते हैं।