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परीक्षण—परमेश्वर से मिलने वाली भिन्न प्रकार की आशीष-ईसाईयों के लिए आवश्यक पठन

ईसाई होने के नाते हममें से कोई भी परीक्षण से अनजान नहीं है। बाइबल में लिखा है, "उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उनके विषय में कहूँगा, 'ये मेरी प्रजा हैं,' और वे मेरे विषय में कहेंगे, 'यहोवा हमारा परमेश्‍वर है'" (जकर्याह 13:9)। बाइबल में यह भी लिखा है, "हे मेरे भाइयो, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो" (याकूब 1:2)। इससे, हम देख सकते हैं कि परमेश्वर अपने चुने हुए लोगों को शुद्धिकरण और परीक्षण देना चाहते हैं ताकि हम अपने विश्वास और परमेश्वर के लिए अपने प्रेम को पूर्ण कर सकें, अपने भ्रष्ट स्वभावों या विश्वास में दोषों को दूर कर सकें, अपने गलत विचारों का समाधान कर सकें और शुद्ध किये जाने के लिए स्वयं को सक्षम बना सकें।

इसलिए हम ऐसे सभी प्रकार के वातावरणों का सामना करते हैं जो हमारी धारणाओं के अनुरूप नहीं होते हैं। इन वातावरणों के उदाहरणों में शामिल है: कभी-कभी बीमारी के शोधन का सामना करना, कभी-कभी हमारे परिवार द्वारा दुर्भाग्य का सामना करना, जैसे कि किसी रिश्तेदार की पीड़ा या हमारे घरों में चोरी हो जाना। कभी हम अपने जीवन में अपनी नौकरी या अन्य चीज़ों को लेकर कठिनाइयों का सामना करते हैं जो हम नहीं करना चाहते हैं। एक और उदाहरण है कि हम तब क्या करने का फैसला करते हैं जब हमारे देह के हित कलीसिया के हितों से टकराते हैं। ये सभी उदाहरण, निस्संदेह, हमारे लिए परीक्षण हैं। तो परमेश्वर हमारे लिए जिन परीक्षाओं को निर्धारित करता है उसे प्रति हमें कैसा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए? और जब परीक्षण हम पर पड़ते हैं, तो इसके पीछे परमेश्वर की क्या इच्छा होती है?

बाइबल पर मेरे हाल के चिंतन में मुझे, परीक्षण का सामना करते हुए अय्यूब और अब्राहम के अनुभवों से प्रेरणा मिली है, और मैं इसे सभी के साथ साझा करना चाहती हूँ।

अय्यूब राख में प्रार्थना करता है

अय्यूब के परीक्षण

सबसे पहले, हमें बाइबल के एक व्यक्ति का उल्लेख करना होगा जो अय्यूब के नाम से जाता है। अय्यूब ने अपनी सारी उम्र परमेश्वर से भय खाया और बुराई से दूर रहा, उसने अक्सर परमेश्वर को चढ़ावे अर्पित किये, इसलिए परमेश्वर ने उसे मवेशियों और भेड़ों से ढके पहाड़ दिए और अत्यधिक धन का आशीष दिया। बाइबल में जो कुछ दर्ज है, उससे हम देख सकते हैं कि अय्यूब किस हद तक धन्य था: "उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ उत्पन्न हुईं। उसके सात हज़ार भेड़-बकरियाँ, तीन हज़ार ऊँट, पाँच सौ जोड़ी बैल, और पाँच सौ गदहियाँ, और बहुत से दास-दासियाँ थीं; वरन् उसके पास इतनी सम्पत्ति थी, कि पूर्वी देशों के लोगों में वह सबसे बड़ा था" (अय्यूब 1:2-3)। परन्तु बाद में अय्यूब पर परीक्षा हुई, और उसके सब गाय-बैल, भेड़-बकरी, और ऊंट चोरी हो गए, और स्वर्ग की आग से जल गए, उसके नौकरों को मार डाला गया और उसके बच्चे उसके घर के ढह जाने में कुचले गये। हम कह सकते हैं कि एक के बाद एक आपदाएं अय्यूब पर आईं। और अय्यूब ने इन सबके प्रति किस प्रकार का दृष्टिकोण अपनाया? उस समय, अय्यूब यह सब होने के बाद भी परमेश्वर के पवित्र नाम की प्रशंसा करता रहा, और उसने कहा, "यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है" (अय्यूब 1:21)। उसके बाद उसका शरीर दर्दनाक फोड़ों से भर गया, और वह राख के बीच बैठकर, टूटे हुए मिट्टी के बर्तनों से अपने फोड़े को कुरेदने लगा। पूरब का सबसे अमीर व्यक्ति, एक भिखारी की तरह हो गया था, ये परीक्षाएं जो अय्यूब पर पड़ीं, उन्हें सहन करना हमारे लिए बहुत कठिन होता! फिर भी उसने कभी परमेश्वर को दोष नहीं दिया, बल्कि परमेश्वर में विश्वास से भरा रहा और उसने परमेश्वर की प्रशंसा की, जिससे शैतान पूरी तरह से शर्मिंदा हुआ और भाग खड़ा हुआ।

अय्यूब ने परमेश्वर की एक मजबूत और शानदार गवाही दी, और वह परमेश्वर के परीक्षणों से होकर अबाध गति से गुज़रा। इन परीक्षणों के बाद परमेश्वर से मिलने वाली आशीषों में वृद्धि हुई: अय्यूब का धन और मवेशियों की संख्या में दो गुना वृद्धि हुई, उसके प्रत्येक बच्चे उत्कृष्ट रूप से सुंदर थे, परमेश्वर ने अय्यूब को और 140 वर्षों तक जीवित रहने की अनुमति दी, और इसलिए वह 210 वर्ष का होने तक जीवित रहा। परमेश्वर के परीक्षणों से होकर गुजरने के बाद, अय्यूब को लोगों का परीक्षण लेते हुए परमेश्वर की इच्छा के बारे में अधिक समझ मिली, जैसे कि अय्यूब ने कहा, "परन्तु वह जानता है कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूँगा" (अय्यूब 23:10)। अय्यूब इन परीक्षणों के दौरान अपनी गवाही में दृढ़ रहा, और उसने जो गवाही दी, उसने शैतान को शर्मिंदा किया और अन्य लोगों से बहुत प्रशंसा अर्जित की। इसके बाद, शैतान ने फिर से अय्यूब को प्रलोभन देने की हिम्मत नहीं की, और अय्यूब वास्तव में एक स्वतंत्र व्यक्ति बन गया और उसने परमेश्वर की प्रशंसा अर्जित की।

इसके अलावा, एक और बड़ी आशीष जो अय्यूब को इन परीक्षणों से गुजरने के बाद प्राप्त हुई थी, वह यह थी कि परमेश्वर उसके समक्ष एक बवंडर के भीतर प्रकट हुए, और परमेश्वर ने उसके साथ बात की, इस प्रकार अय्यूब को परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और संप्रभुता की गहन समझ मिली। अय्यूब ने कहा, "मैं ने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आँखें तुझे देखती हैं" (अय्यूब 42:5)। परमेश्वर के प्रकटन को देख पाने वाला सृजित प्राणी होना, कितनी बड़ी आशीष थी!

हम अय्यूब के अनुभवों से देख सकते हैं कि परमेश्वर की स्तुति अर्जित करने की उसकी क्षमता उसके तब के कार्यों से अविभाज्य थी जब परीक्षण उस पर पड़े थे। इन परीक्षणों के दौरान, जो उसके स्वयं के विचारों के साथ बहुत अलग थे, उसके पास एक ऐसी तर्कसंगतता थी जो हम सामान्य लोग धारण नहीं करते हैं। सबसे पहली बात, उसने परमेश्वर को दोष नहीं दिया, और उसने लुटेरों से अपने धन वापस लेने के लिए किसी भी तरह के मानव साधन का इस्तेमाल नहीं किया। इसके बजाय, वह परमेश्वर के सामने खुद को शांत करने में सक्षम था और वह मानता था कि हम इंसानों को परमेश्वर से आशीष प्राप्त होती है लेकिन उसी तरह, हम विपत्ति भी झेलते हैं। इस कारण उसकी धारणाओं की तुलना में उस पर पड़ने वाली स्थिति चाहे जितनी भी विपरीत थी, वह परमेश्वर के नाम की प्रशंसा करता रहा।

अब्राहम का परीक्षण

यहाँ, मैं बाइबल से एक दूसरे व्यक्ति, अब्राहम, विश्वास के पिता, के बारे में बात करना चाहती हूँ। सभी भाई-बहन जानते हैं कि, जब अब्राहम 100 वर्ष का था, तो परमेश्वर ने उसे एक पुत्र दिया। अब्राहम इसहाक को बहुत प्यार करता था। लेकिन एक दिन, परमेश्वर का परीक्षण अब्राहम पर पड़ा, और परमेश्वर ने कहा, "अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा; और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा" (उत्पत्ति 22:2)। इसके बारे में सोचिये: इस तरह के परीक्षण को सहना किसी के लिए भी मुश्किल होगा, इस हद तक कि कुछ लोग परमेश्वर के खिलाफ लड़ेंगे और गलतफहमी से भर जाएंगे। फिर भी अब्राहम ने इसके प्रति क्या दृष्टिकोण अपनाया? हालाँकि उसने बहुत तकलीफ और दर्द महसूस किया, लेकिन उसने परमेश्वर की आज्ञा मानी, और उसने उनके साथ बहस करने या कोई भी शर्त रखने की कोशिश नहीं की। जब वह इसहाक को अकेले पहाड़ पर ले गया और उसने उसे मारने के लिए तैयार चाकू उठाया ही था, कि परमेश्वर ने अब्राहम के हाथ को रोकने के लिए एक दूत भेजा, और इस प्रकार परीक्षण समाप्त हो गया। इसके अलावा, परमेश्वर ने शपथ ली और अब्राहम को बड़े आशीष दिए। परमेश्वर ने कहा, "इस कारण मैं निश्‍चय तुझे आशीष दूँगा; और निश्‍चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की बालू के किनकों के समान अनगिनित करूँगा, और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा; और पृथ्वी की सारी जातियाँ अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है" (उत्पत्ति 22:17-18)

मैंने एक दूसरी किताब में यह अंश भी पढ़ा: "मनुष्य के लिए, परमेश्वर बहुत-से ऐसे काम करता है जो अबूझ और यहाँ तक कि अविश्वसनीय भी होते हैं। जब परमेश्वर किसी को आयोजित करना चाहता है, तो यह आयोजन प्रायः मनुष्य की धारणाओं के विपरीत और उसके लिए अबूझ होता है, फिर भी ठीक यही असंगति और अबूझता ही है जो परमेश्वर द्वारा मनुष्य का परीक्षण और परीक्षा हैं। इस बीच, अब्राहम अपने भीतर परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता प्रदर्शित कर पाया, जो परमेश्वर की अपेक्षा को संतुष्ट करने में उसके समर्थ होने की सबसे आधारभूत शर्त थी। जब अब्राहम परमेश्वर की अपेक्षा को पूरा कर पाया, जब उसने इसहाक को भेंट चढ़ाया, केवल तभी परमेश्वर ने मनुष्यजाति के प्रति—अब्राहम के प्रति, जिसे उसने चुना था—सच्चे अर्थ में आश्वस्ति और स्वीकृति महसूस की। केवल तभी परमेश्वर आश्वस्त हुआ कि यह व्यक्ति जिसे उसने चुना था अपरिहार्य अगुआ है जो उसकी प्रतिज्ञा और उसके बाद की उसकी प्रबंधन योजना का उत्तरदायित्व ले सकता था" ('परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II')

इस अंश से, हम देख सकते हैं कि परमेश्वर हमें आज़माने के लिए भिन्न परिवेशों की व्यवस्था करते हैं। बाहर से, ऐसा प्रतीत हो सकता है कि ये परीक्षण हमारी धारणाओं के विपरीत हैं और हमारे समझने के लिए कठिन हैं, इस हद तक कि हम इन परिवेशों में दर्द और पीड़ा महसूस करते हैं, फिर भी ये परीक्षण परमेश्वर के श्रमसाध्य प्रयासों से भरपूर होते हैं। ठीक उसी तरह जब अब्राहम अपनी परीक्षा के दौरान अपनी गवाही में दृढ़ था, परमेश्वर ने अब्राहम की ईमानदारी को देखा, और न केवल परमेश्वर ने उसके बेटे को नहीं लिया, बल्कि उन्होंने अब्राहम को आशीष भी दी ताकि उसके वंशज एक समुद्र तट पर रेत के दाने जितने या आकाश में तारों जितने असंख्य हो जायें। इसके पीछे, परमेश्वर की इच्छा एक गहरे स्तर पर पहुँच गई, क्योंकि परमेश्वर ने अब्राहम को, मानवजाति के लिए अपने प्रबंधन-कार्य का प्रमुख व्यक्ति बनने के लिए चुना। परमेश्‍वर ने अब्राहम के वंशजों के माध्यम से मानवजाति के लिए अपने प्रबंधन का कार्य करना निश्चित किया, और वह इन लोगों के माध्यम से अपने कर्मों, अपनी बुद्धि, अपने अधिकार और अपनी शक्ति को प्रकट करेंगे। पुराने नियम में यह देखना हमारे लिए कठिन नहीं है कि व्यवस्था के युग में परमेश्वर का कार्य मुख्य रूप से इजरायल में किया गया था—व्यवस्थाओं की घोषणा करना और पृथ्वी पर लोगों की उनके जीवन में अगुवाई करना। धरती पर उद्धार के कार्य के लिए इजरायल परीक्षण भूमि और जन्मभूमि थी। परमेश्वर के पहले देहधारण ने भी इजरायल में अपना काम किया। परमेश्वर ने एक यहूदी की छवि को अपनाया और उन्होंने मानवजाति को छुटकारा दिलाया, और इसके परिणामस्वरूप प्रभु यीशु के मानवजाति को छुड़ाने का सुसमाचार अनुग्रह के युग में पूरे विश्व भर में में फैल गया।

इससे हम उन आशीषों की महानता देख सकते हैं जो अब्राहम को मिली थीं। हम कह सकते हैं कि कई राष्ट्रों के पिता बनने की उसकी क्षमता, साथ ही साथ उसके वंशजों को परमेश्वर का आशीष प्राप्त होना, परमेश्वर के उस परीक्षण से संबंधित हैं, जो उन शुरुआती दिनों में उस पर पड़े थे।

इन अनुभवों से प्राप्त प्रेरणा

अब्राहम और अय्यूब पर जो परीक्षा पड़ीं, उससे हमारे लिए यह समझना कठिन नहीं है कि हमारे सामने आने वाले प्रत्येक परीक्षण में परमेश्वर की भलाई शामिल है; न केवल वे हमें परमेश्वर का आशीष प्राप्त करने में सक्षम बना सकते हैं, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण रूप से, वे हमारे आध्यात्मिक जीवन को कई गुना तेजी से बढ़ने की देते हैं। हम परमेश्वर का अधिक ज्ञान प्राप्त करते हैं, और हम परमेश्वर में विश्वास के मार्ग का और अधिक मजबूती एवं स्थिरता के साथ पालन कर सकते हैं। हालाँकि अब्राहम और अय्यूब पर जो परीक्षण पड़े वैसे परीक्षण हम आम लोग अनुभव नहीं करेंगे, क्योंकि हमारे पास न तो उनका कद है और न ही हम उस तरह के परीक्षणों को सहने के काबिल हैं, फिर भी हम अपने जीवन में, बड़े और छोटे, सभी प्रकार के विभिन्न परीक्षणों का सामना कर सकते हैं। मैंने एक बहन को बीमारी की पीड़ा झेलते हुए देखा है, उसका जीवन अधर में लटका हुआ था फिर भी वह परमेश्वर में विश्वास से भरी रही और उसने अपने जीवन और मृत्यु को परमेश्वर के हाथों में रखने की कामना की। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसकी बीमारी ठीक हुई हो या न हुई हो, वह अभी भी परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण के लिए तैयार थी। अंत में, उसने परमेश्वर के कर्मों को देखा और उसकी बीमारी चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गई। इस प्रक्रिया के दौरान, परमेश्वर में उस बहन का विश्वास बढ़ता गया, और उसमें परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और संप्रभुता के लिए और अधिक व्यावहारिक सराहना आ गयी। जब कुछ भाई-बहनों के करियर में सबकुछ सुचारू रूप से चल रहा होता है, तो वे परमेश्वर को उनके आशीष के लिए धन्यवाद देते हैं। लेकिन जब उनके व्यवसाय खराब वक्त से होकर जाते हैं और उनके परिवारों में पैसा कम पड़ जाता है, तो उनके दिल की शिकायतें सामने आती हैं, और वे परमेश्वर को आशीष नहीं देने के लिए दोषी मानते हैं। लेकिन बाद में, परमेश्वर के वचनों के प्रकटन के माध्यम से, उन्हें पता चलता है कि परमेश्वर में उनका विश्वास सिर्फ उनके साथ सौदा करना है, और वे परमेश्वर को एक फलों से भरी टोकरी के रूप में देखते हैं। वे परमेश्वर में अपने विश्वास के पीछे के गलत उद्देश्यों को समझ जाते हैं, और इसलिए वे विश्वास पर अपने गलत विचारों को सही करते हैं, और वे सृजित प्राणियों के तौर पर अपना सही स्थान लेते हैं। जब लोग सही मकसद के साथ अनुभव करते हैं, तो न केवल उनके जीवन में प्रगति होती है, बल्कि उनके व्यवसाय भी फिर से गति पकड़ लेते हैं। ...जब भाई-बहन इन परीक्षणों का सामना करते हैं, तो उनका देह अलग-अलग अंश तक पीड़ा झेलता है, लेकिन इन परीक्षणों से उन्हें कुछ और भी अधिक कीमती मिलता है: वे मनुष्य को बचाने के लिए परमेश्वर की इच्छा के बारे में अधिकाधिक समझते हैं, परमेश्वर के बारे में उनका ज्ञान अधिक वास्तविक हो जाता है और उन्हें अधिक सत्य प्राप्त होता है। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि परीक्षण हम ईसाइयों के लिए परमेश्वर की ओर से एक अलग तरह की आशीष है, और वे ऐसे मार्ग हैं जिस पर हमें अपने जीवन को विकसित करने के लिए और परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त करने के लिए चलना ही चाहिए।

चूँकि परीक्षण प्रत्येक ईसाई के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, इसलिए जब परीक्षण और क्लेश हमारे सामने आते हैं तो हमारे शिकायत करने का क्या कारण है? क्या आप सब इससे सहमत नहीं हैं, मेरे दोस्तों?

हमारे 'बाइबल अध्ययन' पृष्ठ पर आपका स्वागत है, जो बाइबल को गहराई से जानने और परमेश्वर की इच्छा को समझने में आपकी मदद कर सकता है।

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