परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 70
कई हज़ारों सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को एक सफेद बादल पर देखने की इच्छा की है जब वह व्यक्तिगत रूप से उन लोगों के बीच में अवरोहण करता है जिन्होंने हज़ारों सालों से उसकी अभिलाषा की है और उसके लिए लालायित रहे हैं। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता की वापसी और लोगों के साथ उसके फिर से जुड़ने की लालसा की है, अर्थात्, उद्धारकर्त्ता यीशु के लिए कि वह उन लोगों के पास वापस आए जिनसे वह हज़ारों सालों से अलग रहा है। और मनुष्य आशा करता है कि वह एक बार फिर से छुटकारे के उस कार्य को करेगा जो उसने यहूदियों के बीच किया था, वह मनुष्य के प्रति करूणामय और प्रेममय होगा, मनुष्य के पापों को क्षमा करेगा, वह मनुष्य के पापों को सहन करेगा, और यहाँ तक कि वह मनुष्य के सभी अपराधों को सहन करेगा और मनुष्य को उसके पापों से मुक्त करेगा। वे उद्धारकर्त्ता यीशु की लालसा करते हैं कि वह पहले के समान हो—ऐसा उद्धारकर्त्ता जो प्यारा, सौम्य और आदरणीय हो, जो मनुष्य के प्रति कभी भी कोप से भरा हुआ न हो, और जो कभी भी मनुष्य को धिक्कारता न हो। यह उद्धारकर्त्ता मनुष्य के सारे पापों को क्षमा करता है और उन्हें सह लेता है, और यहाँ तक कि एक और बार मनुष्य के लिए सलीब पर मर भी जाता है। जब से यीशु गया है, वे चेले जो उसका अनुसरण करते थे, और सभी संत जिन्होंने उसके नाम के कारण उद्धार पाया था, सभी उसकी हताशापूर्ण ढंग से अभिलाषा और उसका इन्तज़ार कर रहे हैं। वे सभी जो अनुग्रह के युग के दौरान यीशु मसीह के अनुग्रह के द्वारा बचाए गए थे अंत के दिनों के दौरान उस आनन्ददायक दिन की लालसा कर रहे हैं, जब उद्धारकर्त्ता यीशु सफेद बादल पर आता है और मनुष्य के बीच में प्रकट होता है। निस्संदेह, यह उन सभी लोगों की सामूहिक इच्छा भी है जो आज उद्धारकर्त्ता यीशु के नाम को स्वीकार करते हैं। विश्व भर में, वे सभी जो उद्धारकर्त्ता यीशु द्वारा उद्धार को जानते हैं वे सभी यीशु मसीहा की अचानक वापसी के लिए बहुत ज़्यादा लालायित हो रहे हैं, ताकि पृथ्वी पर यीशु के वचन पूरे हों: "मैं जैसे गया था वैसे ही मैं वापस आऊँगा।" मनुष्य विश्वास करता है कि सलीब पर चढ़ने और पुनरूत्थान के बाद, यीशु सफेद बादल पर स्वर्ग में वापस चला गया, और उसने सर्वोच्च महान के दाएँ हाथ पर अपना स्थान ग्रहण किया। उसी प्रकार, मनुष्य कल्पना करता है कि यीशु फिर से सफेद बादल पर सवार होकर (यह बादल उस बादल की ओर संकेत करता है जिस पर यीशु तब सवार हुआ था जब वह स्वर्ग में वापस गया था), उन लोगों के बीच वापस आएगा जिन्होंने हज़ारों सालों से उसके लिए बहुत अधिक लालसा रखी हैं, और यह कि वह यहूदियों का स्वरूप और उनके कपड़े धारण करेगा। मनुष्य के सामने प्रकट होने के बाद, वह उन्हें भोजन प्रदान करेगा, और उनके लिए जीवन के जल की बौछार करवाएगा, और मनुष्य के बीच में रहेगा, अनुग्रह और प्रेम से भरपूर, जीवन्त और वास्तविक। इत्यादि। फिर भी उद्धारकर्त्ता यीशु ने ऐसा नहीं किया; उसने मनुष्य की कल्पना के विपरीत किया। वह उनके बीच में नहीं आया जिन्होंने उसकी वापसी की लालसा की थी, और वह सफेद बादल पर सवारी करते हुए सभी मनुष्यों के सामने प्रकट नहीं हुआ। वह तो पहले से ही आ चुका है, किन्तु मनुष्य उसे नहीं जानता है, और उसके आगमन से अनजान रहता है। मनुष्य केवल निरुद्देश्यता से उसका इन्तज़ार कर रहा है, इस बात से अनभिज्ञ कि वह तो पहले से ही सफेद बादल (वह बादल जो उसका आत्मा, उसके वचन, और उसका सम्पूर्ण स्वभाव है और स्वरूप है) पर अवरोहण कर चुका है, और वह अब उन विजेताओं के समूह के बीच में है जिसे वह अंत के दिनों के दौरान बनाएगा। मनुष्य इसे नहीं जानता हैः यद्यपि पवित्र उद्धारकर्त्ता यीशु मनुष्य के प्रति स्नेह और प्रेम से भरपूर है, फिर भी वह अशुद्ध और अपवित्र आत्माओं के द्वारा वास किए गए "मन्दिरों" में कैसे कार्य कर सकता है? यद्यपि मनुष्य उसके आगमन का इन्तज़ार करता आ रहा है, फिर भी वह उनके सामने कैसे प्रकट हो सकता है जो अधर्मी का मांस खाते हैं, अधर्मी का रक्त पीते हैं, एवं अधर्मी के वस्त्र पहनते हैं, जो उस पर विश्वास तो करते हैं परन्तु उसे जानते नहीं हैं, और लगातार उस से जबरदस्ती माँगते रहते हैं? मनुष्य केवल यही जानता है कि उद्धारकर्त्ता यीशु प्रेम और करुणा से परिपूर्ण है, और वह एक पाप बलि है जो छुटकारे से भरपूर है। परन्तु मनुष्य को पता नहीं है कि वह स्वयं परमेश्वर है, जो धार्मिकता, प्रताप, कोप, और न्याय से लबालब भरा हुआ है, और अधिकार और गौरव से संपन्न है। और इस प्रकार यद्यपि मनुष्य छुटकारा दिलाने वाले की वापसी के लिए लालायित होता है और अभिलाषा करता है, और यहाँ तक कि मनुष्य की प्रार्थनाओं से स्वर्ग भी द्रवित हो जाता है, फिर भी उद्धारकर्त्ता यीशु उन लोगों के सामने प्रकट नहीं होता है जो उस पर विश्वास तो करते हैं किन्तु उसे जानते नहीं हैं।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, उद्धारकर्ता पहले ही एक “सफेद बादल” पर सवार होकर वापस आ चुका है
“परमेश्वर का वचन” खंड अंत के दिनों में सभी मनुष्यों के लिए परमेश्वर के वचन को साझा करता है, जिससे ईसाईयों को परमेश्वर के बारे में अधिक जानने में मदद मिलती है।