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आध्यात्मिक युद्ध के बारे में बाइबल की पंदो: शैतान के प्रलोभनों पर काबू पाने के लिए कैसे

वास्तविक जीवन में, खुद को प्रदान करने के लिए, हमें खुद को हड्डी पर काम करना होगा और कठिन अध्ययन करना होगा और इस प्रकार हम महान दबाव सहन करते हैं। हम अक्सर बीमारियों, परिवारों के दुर्भाग्य, काम में कठिनाई और आपदाओं से भी पीड़ित होते हैं। इसलिए, हमारा दिल परमेश्वर से भटकता है और हम बाइबल पढ़ने, बैठकों में भाग लेने या चर्च के जीवन में भाग लेने के लिए तैयार नहीं हैं; हम शैतान के प्रलोभनों में पड़ते हैं, संदेह करते हैं और परमेश्वर के खिलाफ शिकायत करते हैं, और यहां तक ​​कि परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को भी तोड़ सकते हैं, और शैतान द्वारा किया जा सकता है। इसलिए हम आध्यात्मिक युद्ध में शैतान की योजनाओं को कैसे देख सकते हैं और शैतान के प्रलोभनों को दूर करने के लिए परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं? रास्ता खोजने के लिए निम्नलिखित सामग्री पढ़ें।

आध्यात्मिक युद्ध के बारे में बाइबल की पंदो: शैतान के प्रलोभनों पर काबू पाने के लिए कैसे

1. आध्यात्मिक युद्ध के पीछे का सच

"सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है, कि किसको फाड़ खाए" (1 पतरस 5:8)

"जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्‍वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्‍वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है। परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंचकर, और फँसकर परीक्षा में पड़ता है" (याकूब 1:13-14)

"एक दिन यहोवा परमेश्‍वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी आया। यहोवा ने शैतान से पूछा, 'तू कहाँ से आता है?' शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, 'पृथ्वी पर इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ।' यहोवा ने शैतान से पूछा, 'क्या तूने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।' शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, 'क्या अय्यूब परमेश्‍वर का भय बिना लाभ के मानता है? क्या तूने उसकी, और उसके घर की, और जो कुछ उसका है उसके चारों ओर बाड़ा नहीं बाँधा? तूने तो उसके काम पर आशीष दी है, और उसकी सम्पत्ति देश भर में फैल गई है। परन्तु अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है, उसे छू; तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा।' यहोवा ने शैतान से कहा, 'सुन, जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना।' तब शैतान यहोवा के सामने से चला गया" (अय्यूब 1:6-12)

2. शैतान को हराने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना

"तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने के बाहर है: और परमेश्‍वर विश्वासयोग्य है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन् परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको" (1 कुरिन्थियों 10:13)

"यहोवा दुष्टों से दूर रहता है, परन्तु धर्मियों की प्रार्थना सुनता है" (नीतिवचन 15:29)

"परमेश्‍वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर; और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊँगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा" (भजन संहिता 50:14-15)

"जरुब्बाबेल के लिये यहोवा का यह वचन है: न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है" (जकर्याह 4:6)

"इसलिए परमेश्‍वर के अधीन हो जाओ; और शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा" (याकूब 4:7)

"क्योंकि जो कुछ परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिससे संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है" (1 यूहन्ना 5:4)

"धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करनेवालों को दी है" (याकूब 1:12)

"तो प्रभु के भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है" (2 पतरस 2:9)

परमेश्वर कहते हैं: "पृथ्वी पर, सब प्रकार की दुष्ट आत्माएँ हमेशा लुकछिपकर किसी विश्राम-स्थल की तलाश में लगी रहती हैं, और निरंतर मानव शवों की खोज करती रहती हैं, ताकि उनका उपभोग किया जा सके। मेरे लोगो! तुम्हें मेरी देखभाल और सुरक्षा के भीतर रहना चाहिए। कभी दुर्व्यसनी न बनो! कभी लापरवाही से व्यवहार न करो! तुम्हें मेरे घर में अपनी निष्ठा अर्पित करनी चाहिए, और केवल निष्ठा से ही तुम शैतान के छल-कपट के विरुद्ध पलटवार कर सकते हो। किन्हीं भी परिस्थितियों में तुम्हें वैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जैसा तुमने अतीत में किया था, मेरे सामने कुछ करना और मेरी पीठ पीछे कुछ और करना; यदि तुम इस तरह करते हो, तो तुम पहले ही छुटकारे से परे हो। क्या मैं इस तरह के वचन बहुत बार नहीं कह चुका हूँ?"

"परमेश्वर अपना कार्य करता है, वह एक व्यक्ति की देखभाल करता है, उस पर नज़र रखता है, और शैतान इस पूरे समय के दौरान उसके हर कदम का पीछा करता है। परमेश्वर जिस किसी पर भी अनुग्रह करता है, शैतान भी पीछे-पीछे चलते हुए उस पर नज़र रखता है। यदि परमेश्वर इस व्यक्ति को चाहता है, तो शैतान परमेश्वर को रोकने के लिए अपने सामर्थ्य में सब-कुछ करता है, वह परमेश्वर के कार्य को भ्रमित, बाधित और नष्ट करने के लिए विभिन्न बुरे हथकंडों का इस्तेमाल करता है, ताकि वह अपना छिपा हुआ उद्देश्य हासिल कर सके। क्या है वह उद्देश्य? वह नहीं चाहता कि परमेश्वर किसी भी मनुष्य को प्राप्त कर सके; उसे वे सभी लोग अपने लिए चाहिए जिन्हें परमेश्वर चाहता है, ताकि वह उन पर कब्ज़ा कर सके, उन पर नियंत्रण कर सके, उनको अपने अधिकार में ले सके, ताकि वे उसकी आराधना करें, ताकि वे बुरे कार्य करने में उसका साथ दें। क्या यह शैतान का भयानक उद्देश्य नहीं है? तुम लोग अकसर कहते हो कि शैतान कितना बुरा, कितना खराब है, परंतु क्या तुमने उसे देखा है? तुम सिर्फ यह देख सकते हो कि मनुष्य कितना बुरा है। तुमने असल में नहीं देखा है कि शैतान वास्तव में कितना बुरा है। पर क्या तुम लोगों ने अय्यूब से संबंधित इस मामले में शैतान की बुराई देखी है? (हाँ।) इस मामले ने शैतान के भयंकर चेहरे और उसके सार को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है। परमेश्वर के साथ युद्ध करने और उसके पीछे-पीछे चलने में शैतान का उद्देश्य उस समस्त कार्य को नष्ट करना है, जिसे परमेश्वर करना चाहता है; उन लोगों पर कब्ज़ा और नियंत्रण करना है, जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है; उन लोगों को पूरी तरह से मिटा देना है, जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है। यदि वे मिटाए नहीं जाते, तो वे शैतान द्वारा इस्तेमाल किए जाने के लिए उसके कब्ज़े में आ जाते हैं—यह उसका उद्देश्य है।"

"परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय हस्तक्षेप से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज़, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाज़ी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब को आजमाया गया था : पर्दे के पीछे शैतान परमेश्वर के साथ दाँव लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कर्म थे, और मनुष्यों का हस्तक्षेप था। परमेश्वर द्वारा तुम लोगों में किए गए कार्य के हर कदम के पीछे शैतान की परमेश्वर के साथ बाज़ी होती है—इस सब के पीछे एक संघर्ष होता है। ... हर चीज़ जो लोग करते हैं, उसमें उन्हें अपने प्रयासों के लिए एक निश्चित क़ीमत चुकाने की आवश्यकता होती है। बिना वास्तविक कठिनाई के वे परमेश्वर को संतुष्ट नहीं कर सकते; वे परमेश्वर को संतुष्ट करने के करीब तक भी नहीं पहुँचते और केवल खोखले नारे लगा रहे होते हैं! क्या ये खोखले नारे परमेश्वर को संतुष्ट कर सकते हैं? जब परमेश्वर और शैतान आध्यात्मिक क्षेत्र में संघर्ष करते हैं, तो तुम्हें परमेश्वर को कैसे संतुष्ट करना चाहिए, और किस प्रकार उसकी गवाही में अडिग रहना चाहिए? तुम्हें यह पता होना चाहिए कि जो कुछ भी तुम्हारे साथ होता है, वह एक महान परीक्षण है और ऐसा समय है, जब परमेश्वर चाहता है कि तुम उसके लिए गवाही दो।"

विषय के अनुसार बाइबल के पद” और “बाइबल अध्ययन” खंडों में दैनिक भक्ति संसाधनों का उपयोग करने के लिए आपका स्वागत है, ये आपके आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध कर सकते हैं।

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