शैतान की कपटपूर्ण योजनाओं को समझने के बाद से अब मैं हर सभा में भाग लेती हूँ
- संपादक की टिप्पणी
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सभाएं, परमेश्वर के करीब आने और सत्य प्राप्त करने का सबसे अच्छा अवसर प्रदान करती हैं, और फिर भी हम एक ईसाई के तौर पर, अक्सर अपने आसपास के लोगों, घटनाओं और चीजों से बाधित होते हैं, जो हमें नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने से रोकते हैं और परमेश्वर के साथ हमारे सामान्य संबंध के खराब होने का कारण बनते हैं। ये बातें सिर्फ अचानक घटित होती हुई प्रतीत होती हैं, लेकिन उनके पीछे क्या छुपा है? हमें इन लोगों, घटनाओं और चीजों से कैसे निपटना चाहिए ताकि वे सभाओं में हमारी उपस्थिति में बाधा न डालें?
मैं एक ईसाई हूँ। 2017 के प्रारंभ में, संयोग से मुझे कई भाई-बहनों के बारे में पता चला, और परमेश्वर के वचनों को पढ़ने और उन सबके साथ सभाओं में भाग लेने के बाद, मुझे पता चला कि प्रभु पहले ही लौट आए हैं, और कई सत्य व्यक्त कर रहे हैं और मानवजाति का न्याय करने और उन्हें शुद्ध करने के लिए अपना कार्य कर रहे हैं। आम तौर पर, जब भी मेरे पास समय होता है, मैं अपने भाई-बहनों के साथ इकट्ठा होकर परमेश्वर के वचनों पर संगति करती हूँ। चूँकि मैं बहुत घमंडी और आत्मसम्मान से भरी थी, इसलिए अगर कोई कठिनाई हुई या परमेश्वर के वचनों में ऐसा कुछ था जो मुझे समझ नहीं आया, तो मैं बहुत कम ही अपने भाई-बहनों के साथ खुल कर बात करती थी, क्योंकि मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि वे मुझ पर हँसेंगे। भाई-बहनों ने तब मुझसे इस बारे में संगति की कि कैसे परमेश्वर उन लोगों से प्रेम करता है जो शुद्ध, खुले और ईमानदार हैं और इसलिए मैं एक ईमानदार व्यक्ति बनने की कोशिश करने लगी। सभाओं के दौरान, मैं अपने भाई-बहनों के साथ खुलकर बात करती थी और उन्हें अपनी किसी भी कठिनाई के बारे में बताती थी, हम इसे हल करने के लिए सत्य की तलाश करते थे। कुछ समय बीतने के बाद, मैं और अधिक मुक्त महसूस करने लगी, मेरा दिल खुशी से भर गया, और अपने भाई-बहनों के साथ मेरे लिए सभा अधिक से अधिक सभा आनंदायक हो गयी।
बाद में, मैंने एक कॉफी शॉप में काम करना शुरू किया। यह नौकरी अधिक आरामदायक थी, मुझे कई घंटों काम नहीं करना होता था, और मुझे अपने भाई-बहनों के साथ सभाओं में जाने के लिए अधिक समय मिलता था। मुझे लगा कि परमेश्वर मेरे प्रति बहुत दयालु है! हालांकि, कुछ ही समय बीता था कि मुझे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा जिसके चलते मैं नियमित रूप से सभाओं में नहीं जा पा रही थी ...
एक दिन, एक सभा शुरू ही होने वाली थी, कि कार्यस्थल के प्रबंधक ने मुझे अचानक काम पर एक संदेश भेजा, जिसमें कहा गया था कि मेरे एक सहकर्मी को कुछ समस्या हो गयी है और उसे छुट्टी लेनी पड़ रही है, उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसकी जगह ले सकती हूँ। संदेश को देखकर मुझे थोड़ी बेचैनी महसूस हुई: यदि मैं अपने सहकर्मी का स्थान लेती हूँ, तो मैं इस सभा में शामिल नहीं हो पाऊँगी और कुछ सत्यों को समझने से चूक जाऊँगी। इसके अलावा, मैंने पहले ही तय कर लिया था कि इस समय पर मैं अपने भाई-बहनों के साथ एक सभा में भाग लूंगी। अगर मैं नहीं गयी, तो क्या वे सोचेंगे कि मैं अपनी बात से फ़िर गयी हूँ? लेकिन फिर मैंने सोचा कि यह बिल्कुल अंतिम क्षण में हुआ है, इसे कोई भी पहले से नहीं जान सकता था, और इसलिए मैंने प्रबंधक से कहा कि मैं अपने सहकर्मी का स्थान ले लूंगी। हालांकि मैं काम पर थी, लेकिन जब भी मैं इस बारे में सोचती थी कि मैं अपनी सभा में शामिल नहीं हो पाई हूँ, तो मुझे ऐसा लगता था कि मुझे उनसे माफी मांगनी चाहिये और मैंने खुद को फटकार लगाई। उस शाम, जब मैं ऑनलाइन हुई, तो मैंने उस दिन जो कुछ हुआ था, उसके बारे में एक बहन को बताया और मैंने उससे माफी मांगी। बहन ने चिंता न करने के लिए कहा, और हमने अपनी अगली सभा के लिए एक समय निश्चित कर लिया।
हमारी अगली बैठक का दिन आ गया और नाश्ते के बाद, मैं खुशी से सभा की प्रतीक्षा करने लगी। यह देखते हुए कि अभी भी उसके शुरू होने में कुछ समय बाकी है, मैं कुछ समय के लिए अपने सहकर्मियों की मदद करने के लिए काम पर चली गयी। तभी, अचानक से कॉफ़ी शॉप का मालिक आ गया। मैंने उसे आश्चर्य से देखा और सोचा: "मैं यहाँ दो महीने से काम कर रही हूँ और मैंने कभी उसे दुकान में आते नहीं देखा। वह आज अचानक क्यों आ गया है?" मुझे देखकर मालिक ने कहा, "यिंग, तुम्हें यहाँ काम करते हुए ज़्यादा समय नहीं हुआ है और तुम अभी तक ठीक ढंग से कॉफी बनाना नहीं जानती हो। अगर तुम हफ्ते के हर दिन काम करोगी, तो न केवल तुम कॉफी बनाना सीख लोगी, बल्कि तुम अधिक पैसे भी कमा सकती हो—क्या ये दोनों हाथों में लड्डू होने वाली बात नहीं है? जाओ अपने काम के कपड़े पहन लो और काम पर लग जाओ! मैं तुम्हारी तनख्वाह का हिसाब कर लेता हूँ।" उसे यह कहते हुए सुनकर मेरे मन के एक हिस्से को ख़ुशी हुई। मैंने सोचा, "वाह, अगर मैं एक और दिन काम करती हूँ तो मैं थोड़ा और पैसा कमा लूंगी।" लेकिन फिर मैंने सोचा: "पर तब मेरे पास अपने भाई-बहनों के साथ सभाओं में भाग लेने का समय नहीं होगा। लेकिन अगर मैं मालिक के प्रस्ताव को ठुकरा दूँ तो वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे? क्या वह सोचेंगे कि, एक नौसिखिया होने के नाते, मैं उनका सम्मान नहीं करती हूँ क्योंकि मैंने उनके प्रस्ताव को पहली बार उसने मिलते ही ठुकरा दिया?" मैं कुछ समय मन में संघर्ष करती रही, और अंत में, मैंने फैसला किया मैं मालिक के प्रस्ताव को स्वीकार करुँगी।
एक और सभा में न जाने के बाद, मुझे वास्तव में ऐसा लगा जैसे मैंने वाकई अपनी बात नहीं रखी है और मुझे अपने भाई-बहनों का सामना करने में बहुत शर्म आ रही थी। इस कारण उनसे बचने के लिए, मैं उनके साथ सारे संपर्क तोड़ने लगी। समय के साथ, मैं धीरे-धीरे परमेश्वर से दूर होती चली गयी। सामाजिक रुझानों में जगह पाने के लिए, मैंने शराब पीना, रूप-रंग पर ध्यान देना और मेकअप का उपयोग करना शुरू कर दिया। जब मैं बोर होती थी, तो मैं फैशन चैनल देखती थी, थाई सीरियल देखती थी और कंप्यूटर गेम खेलती थी, इत्यादि। लेकिन मेरा दिल बहुत खाली था, मैं अक्सर अपना आपा खो देती थी। अपने में एक ईसाई का कोई गुण न देखकर, मुझे अपराधबोध महसूस हुआ। बाद में मैंने सोचा कि केवल परमेश्वर ही मनुष्य को बदल सकता है, और मैं फिर से अपने भाई-बहनों के साथ सभाओं में भाग लेना चाहती थी और परमेश्वर के वचनों पर संगति करना चाहती थी। लेकिन जब मैंने सोचा कि कैसे मैं दो बार सभा में शामिल होने से पीछे हट गयी थी, तो मैं शर्म के मारे उनके साथ संपर्क करने की हिम्मत नहीं कर पायी।
एक महीने बाद, मैं अनजाने में फेसबुक पर गयी। ऑनलाइन होने के बाद, मैंने देखा कि एक बहन ने मुझे एक संदेश भेजा था जिसमें उसने पूछा था कि क्या मैं सभाओं में इसलिए भाग नहीं ले रही थी क्योंकि उसने कुछ गलत कर दिया था, तो मुझे और भी अधिक अपराधबोध महसूस हुआ। मैंने सोचा कि कैसे भाई-बहन हमेशा मेरे बारे में इतने चिंतित रहते थे और कैसे वे हमेशा मेरे साथ सत्य के बारे में इतने धैर्य के साथ संगति करते थे। उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था; यह मैं ही थी जो जानबूझकर उनसे बच रही थी और इस बहन को यह सोचने के लिए मजबूर कर रही थी कि उसने कुछ गलत कर दिया है। यह सोचकर, मैंने बहन को सभाओं में न आनी के कारणों के बारे में बताया। उसने मुझे इसके बारे में बुरा महसूस न करने के लिए कहा, और मुझे ऑनलाइन सभाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। मैंने देखा कि परमेश्वर इस बहन के माध्यम से मेरी मदद कर रहा है और मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ और मैंने एक बार फिर से अपने भाई-बहनों के साथ सभाओं में भाग लेना शुरू कर दिया।
एक सभा में, एक बहन ने मुझे परमेश्वर के वचन भेजे: "परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय हस्तक्षेप से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज़, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाज़ी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब को आजमाया गया था : पर्दे के पीछे शैतान परमेश्वर के साथ दाँव लगा रहा था, और अय्यूब के साथ जो हुआ वह मनुष्यों के कर्म थे, और मनुष्यों का हस्तक्षेप था। परमेश्वर द्वारा तुम लोगों में किए गए कार्य के हर कदम के पीछे शैतान की परमेश्वर के साथ बाज़ी होती है—इस सब के पीछे एक संघर्ष होता है।" उसने फिर कहा, "हम परमेश्वर के वचनों से देख सकते हैं, लोग, घटनाएँ और चीजें जिनका हम हर दिन सामना करते हैं, वे बाहर से एक दूसरे के साथ कर रहे लोग प्रतीत होते हैं। जबकि, आध्यात्मिक दुनिया में, यह शैतान है जो हमें बाधित कर रहा होता है और परमेश्वर के साथ एक दांव लगा रहा होता है, हमें अपनी गवाही में दृढ़ रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, यह उन परीक्षाओं की तरह है जिनका अय्यूब ने सामना किया था। उसकी सारी दौलत बस एक रात में उससे ले ली गई थी। बाहर से, ऐसा लग रहा था कि यह सभी चोरों द्वारा चुराया गया है, लेकिन वास्तव में यह शैतान का प्रलोभन था, और जब अय्यूब अपनी गवाही में दृढ़ खड़ा रहा, तो शैतान शर्मिंदा होकर भाग गया। शैतान जानता है कि सभाओं में जाने से हम अधिक सत्य को समझने में सक्षम हो जाते हैं। लेकिन वह नहीं चाहता है कि हम सत्य को प्राप्त करें और परमेश्वर के अंतिम उद्धार को प्राप्त करें, और इसलिए वह हमेशा हमारे आसपास के लोगों, घटनाओं और चीजों के माध्यम से हमें बाधित करने की कोशिश करता है, ताकि हम परमेश्वर से दूर हो जायें और शैतान द्वारा चोट पहुंचाए जाते हुए जीते रहें। हाल ही में, आपके प्रबंधक ने आपको एक सहकर्मी का स्थान भरने के लिए कहा और कॉफी शॉप के मालिक ने आपको ओवरटाइम करने के लिए कहा है। बाहर से, ये चीजें ऐसी लगती हैं जैसे कि लोगों को आपसे आवश्यकताएं हैं, लेकिन वास्तव में वे गुप्त रूप से शैतान हैं जो व्यवधान पैदा करते हैं। शैतान, सभाओं में जाने में लगने वाले समय को, काम का सहारा लेकर आपसे छीन लेता है, ताकि आपको परमेश्वर के सामने आने से रोक सके और परमेश्वर के साथ आपके सामान्य संबंध को नष्ट कर सके। इसके बाद आप परमेश्वर से दूर हो जाती हैं और आपकी स्थिति बुरी होती चली जाती है, जब तक कि आप अंधेरे में जीने नहीं लगती हैं। इसलिए हमें शैतान की कपटपूर्ण योजनाओं को समझना चाहिए, भाई-बहनों के साथ सभाओं में भाग लेने और परमेश्वर के वचनों पर संगति करते रहना चाहिए, ऐसी चीज़ों को करने से हम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध बनाए रख सकते हैं और उद्धार के मार्ग पर चल सकते हैं।"
उसके बाद एक भाई ने जीवन प्रवेश पर प्रवचन और संगति भेजा: "शैतान की योजनाओं को कार्यान्वित करना मुख्य रूप से उन सभी प्रकार के परीक्षणों को संदर्भित करता है, जिनका लोग हर दिन सामना करते हैं, जिसमें सभी प्रकार के बुरे विचार शामिल होते हैं जो वे खुद अपने दिल और दिमाग में उत्पन्न करते हैं। जब पतरस ने ऐसी बातों का सामना किया, तब उसने परमेश्वर से प्रार्थना की, उसने परमेश्वर के वचन में खोज की, और पवित्र आत्मा के प्रबोधन और प्रकाशन की खोज की। हो सकता है कि परमेश्वर की मंशा को समझने में उसे कई दिनों तक तलाश और संगति करनी पड़ी हो। इस तरह उसने परमेश्वर को समझने और साथ ही शैतान की योजनाओं को भी बूझने का परिणाम प्राप्त किया।" भाई ने फिर संगति देते हुआ कहा, "परमेश्वर के पास जाने से रोकने के लिए हमारे आस-पास के लोगों, घटनाओं और चीजों का उपयोग करने के अलावा, शैतान हमारे अपने गलत विचारों और इरादों का भी उपयोग करता है, जैसे कि 'अगर मैं ओवरटाइम नहीं करता हूँ, तो क्या मेरा लाइन मैनेजर सोचेगा कि मैं उसका सम्मान नहीं करती?' 'अगर मैं कुछ ओवरटाइम करती हूँ, तो मैं और पैसा कमा सकती हूँ?' 'चूंकि मैं दो सभाओं में नहीं गयी हूँ, क्या मेरे भाई-बहन कहेंगे कि मैं अपनी बातों से फिर गयी हूँ?' आदि। शैतान इन सोच-विचारों का उपयोग आपको परेशान करने के लिए करता है, ताकि आप अपने घमंड और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सभाओं में भाग लेना छोड़ दें, और थोड़ा अतिरिक्त पैसा कमा सकें, इतना ही नहीं आप भाई-बहनों से भी बचने लगेंगी। संक्षेप में, कोई भी व्यवहार, सोच-विचार जो हमें पीछे धकेलता है और नकारात्मक बनाता है, या जो हमें परमेश्वर से दूर करता है, वह सब शैतान से आता है। जब हम समस्याओं का सामना करते हैं, तो हमें पतरस का अनुकरण करना होगा और परमेश्वर से अधिक प्रार्थना करनी होगी, परमेश्वर की इच्छा की तलाश करनी होगी, यह सीखना होगा कि यह भेद कैसे करें कि कौन से सोच-विचार परमेश्वर से आते हैं और कौन से शैतान से आते हैं। हमें शैतान की कपटी योजनाओं से बचना सीखना होगा।"
अपने भाई-बहनों द्वारा दी गई संगति के बाद ही मुझे पता चला कि शैतान हर जगह है: वह मुझे बहकाने, सभाओं में जाने से रोकने और परमेश्वर के करीब आने से रोकने के लिए पैसों का इस्तेमाल कर रहा था, और यह मुझे मेरे दिमाग में ऐसे विचार डाल रहा था जिससे मैं सोचने लगूं कि मैं भरोसेमंद नहीं हूँ, और मुझे अपने भाई-बहनों को देखकर बहुत शर्म आती है, इस तरह मैं सभाओं से दूर हो जाऊं। इस तरह, मैं परमेश्वर से दूर हो जाऊंगी और मैं एक बदतर स्थिति में पहुंच जाऊंगी। परमेश्वर का धन्यवाद, जिन्होंने एक ऐसी स्थिति बना दी जिससे मैं एक बार फिर से परमेश्वर के सामने आ सकूँ, और भाई-बहनों द्वारा दी गई संगति का उपयोग करके मुझे सत्य को समझने और शैतान की कपटी योजनाओं को समझने दिया। उस क्षण से, मैंने फैसला किया, मैं परमेश्वर के करीब आऊँगी और उनसे अधिक प्रार्थना करूँगी, उनके साथ एक सामान्य संबंध स्थापित करूँगी, मैं सीखूंगी कि कैसे आध्यात्मिक दुनिया के परिप्रेक्ष्य से चीजों को देखना है, और शैतान के प्रलोभनों में कैसे नहीं डूबना है। बाद में, जब भी समय होता मैं परमेश्वर के वचनों को पढ़ती थी, भजन गाती थी, मैंने परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध बनाए रखा और मेरी अवस्था धीरे-धीरे सामान्य हो गयी।
एक दिन, एक बहन और मैंने तय कि हम शाम को एक सभा में भाग लेंगे। अप्रत्याशित रूप से, कार्यस्थल का प्रबंधक अचानक कॉफी की दुकान में आया और मुझसे कहा, "यिंग, हमारी कॉफी ने दूसरे प्रांत में एक प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया है। बॉस ने हॉटस्पॉट पर जाने और जश्न मनाने के लिए आज रात सभी को आमंत्रित किया है। क्या तुम चलना चाहोगी?" मैंने उस शाम सभा के बारे में सोचा। इससे पहले मैं पैसों के लालच के कारण अपनी गवाही खो चुकी थी और इसलिए भी क्योंकि मैं अपने घमंड और आत्मसम्मान की रक्षा करना चाहती थी, आज मैं एक बार फिर प्रलोभन का सामना कर रही थी, मैं सत्य का अभ्यास करना चाहती थी और परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहती थी, इसलिए मैंने निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया।
एक दिन, कुछ हफ़्ते बाद, चूँकि मैं कुछ सत्य समझ नहीं पायी थी जिन्हें मैंने सुबह पढ़ा था, इसलिए मैंने अपने भाई-बहनों से उस शाम हमारी सभा में उन पर संगति देने का आग्रह करने की योजना बनाई। जब दोपहर हो गई, तब प्रबंधक ने अचानक कहा, "बॉस की पत्नी ने आज रात सभी को खाने पर आमंत्रित किया है, इसलिए हम आज एक घंटा पहले ऑफिस बंद कर देंगे।" सभी ने खुशी से कहा, "बहुत बढ़िया!" मैंने सोचा: "आज रात मुझे सभा में भाग लेना है, इसलिए मैं उन्हें बता देती हूँ कि मैं दावत में नहीं आ सकती।" इससे पहले कि मुझे बोलने का मौका मिलता, एक सहकर्मी ने मुझसे कहा, "यिंग, तुम पहले की तरह इस बार इनकार नहीं कर सकती। इस बार, तुम्हें जाना ही होगा! अपनी कलीसीया की बहन को बता दो कि आज शाम को तुम्हें कुछ काम है। एक सभा में न जाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है!" अपनी सहकर्मी की बात सुनकर, मेरा दिल थोड़ा भटक गया, और मैंने सोचा कि अगर मुझे छोड़ बाकी सब दावत में गये, तो वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे। क्या वे मेरे खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो जाएंगे और मुझे असामाजिक समझेंगे? अगर उन्होंने मुझे अलग-थलग कर दिया, तो मैं भविष्य में उनके साथ मेल कैसे कर पाऊँगी? इसलिए मैंने फैसला किया कि बस इस एक बार उनके साथ बाहर जाना बेहतर रहेगा।
इस तरह, मैंने अपनी सभा छोड़ दी। मुझे बहुत अपराधबोध महसूस हो रहा था क्योंकि मैं अपनी गवाही में दृढ़ नहीं थी, दावत में कुछ भी खाने का मन नहीं कर रहा था। अपने घर पहुँचने के बाद, मैं लगातार असहज और अपराधी जैसा महसूस कर रही थी। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा: "हे परमेश्वर! फैसले के समय, मैंने एक बार फिर से अपनी सभा को छोड़ना चुना। मैं बहुत व्यथित महसूस कर रही हूँ और मैं आपसे विनय करती हूँ कि आप मुझे रोशन करें और मुझे अपनी इच्छा को समझने की अनुमति दें।" अपने दिल को शांत करने के बाद, मैंने पिछले दो हफ्तों में हुई हर चीज के बारे में सोचा। दावत पर बाहर जाने के दो निमंत्रण उसी समय क्यों आये जब मेरी कलीसिया की सभा थी? उसी समय, मुझे वो संगति याद आयी जो मेरे भाई-बहनों ने पहले दी थी कि कैसे चीजें बाहर से मनुष्य की व्यवस्था के रूप में दिखाई देती हैं, जबकि वास्तव में वो आध्यात्मिक दुनिया की एक लड़ाई है जो पर्दे के पीछे चल रही है। अंत में मुझे एहसास हुआ कि शैतान की कपटी योजनाएँ इन घटनाओं के पीछे छिपी हुई थीं। शैतान जानता था कि मैं आत्मसम्मान से भरी हूँ और हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहती हूँ कि दूसरे लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं और इस बारे में कि मेरे सहकर्मी कहीं मुझसे बात करना न बंद कर दें, इसलिए उसने मेरी कमजोरियों का इस्तेमाल करते हुए मुझ पर हमला किया, मुझे देहसुख की पूर्ति और परमेश्वर के साथ विश्वासघात करने को मजबूर किया। सत्य के बिना, मैं आध्यात्मिक दुनिया के दृष्टिकोण से चीजों को नहीं देख का सकती थी, इसलिए मैं शैतान की कपटी योजनाओं में फंस गयी, और मैंने अपने सहकर्मियों के साथ अपने रिश्ते को बनाए रखने के लिए सभाओं में भाग लेना भी छोड़ दिया।
मैंने सोचा कि मैं कैसे परमेश्वर में विश्वास तो करती हूँ फिर भी मेरे दिल में परमेश्वर के लिए कोई जगह नहीं है, और जब भी मुझे प्रलोभन दिया गया, मैंने हमेशा अपने पारस्परिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश की और मैं परमेश्वर से दूर होती गयी। इस तरह से अभ्यास करना अपनी गवाही में दृढ़ खड़ा होना नहीं था, इसके बजाय मैं शैतान द्वारा हंसी का पात्र बन गयी थी, और परमेश्वर को यह अच्छा नहीं लगता है। परमेश्वर की इच्छा थी कि मैं सत्य का अभ्यास करूँ और जब भी मुझे कोई समस्या आए तो मैं सबसे पहले उसे संतुष्ट करूँ, और मैं अपने स्वयं के घमंड और आत्मसम्मान के लिए अपने पारस्परिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश न करूँ, हमेशा इस बात की चिंता न करूँ कि दूसरे लोग क्या सोचते हैं, या मेरे बारे में मेरे बॉस और मेरे सहकर्मी क्या सोचते हैं। इयह समझ आने के बाद, मैंने अपने दिल में परमेश्वर से एक प्रार्थना की: "मैं अब भविष्य में पारस्परिक संबंधों को बनाए रखने की इच्छा नहीं रखती हूँ, और सभाओं में जाने से रोकने के लिए या बाधित करने के लिए चाहे जो भी हो, मैं हमेशा सत्य का अभ्यास करुँगी और परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए अपनी गवाही में दृढ़ रहूंगी!"
बाद में, मालिक कॉफी शॉप में आए और शनिवार की दावत के लिए हम कर्मचारियों को आमंत्रित किया। शनिवार को जिस सभा में भाग लेना था उसके बारे में सोचकर मैंने कहा कि मैं नहीं जा सकती। मेरे सहकर्मियों ने मुझे बताया कि प्रबंधक ने हम सभी को आने के लिए कहा है, और नहीं जाने से उनका अनादर होगा। जब मुझे याद आया कि पिछली बार क्या हुआ था, तो मैंने फैसला किया कि मैं इस बार अपने पारस्परिक संबंधों को बनाए नहीं रख सकती हूँ, मुझे परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए सत्य का अभ्यास करना होगा और अपनी गवाही में दृढ़ रहना होगा। इसलिए मैंने उनसे दृढ़तापूर्वक कहा, "मैं सच में नहीं जा रही हूँ!" अनपेक्षित रूप से, मेरे एक साथी ने मुझसे पूछा, "क्या ज़्यादा ज़रुरी है, तुम्हारी सभाएँ या हम लोग?" मैं जानती थी कि यह शैतान था जो मेरी परीक्षा ले रहा था यह देखने के लिए कि मैं अन्य लोगों को स्वयं को विवश करने देती हूँ या नहीं, इसलिए मैंने हँसकर कहा, "निस्संदेह, मेरी सभाएँ अधिक महत्वपूर्ण हैं! यदि आप मेरे साथ एक सभा में भाग लेने को तैयार होते, तो आप मेरे फैसले को समझ जाते।" मेरे सहकर्मी बिना कुछ कहे चले गये।
उस शाम, एक सभा में, हम मुख्य रूप से खुद को जानने के महत्व और अपने भ्रष्ट प्रस्तावों को कैसे पहचानना है जैसे सत्यों पर संगति की और मैंने पाया कि यह मेरे जीवन के लिए बहुत फायदेमंद है। पहले, जब भी कोई बात मेरे विचारों के अनुरूप नहीं होती थी, तो मैं कभी भी अपनी समस्याओं पर विचार नहीं करती थी, और इस कारण मैं अक्सर अपने आसपास के लोगों, घटनाओं और चीजों को दोषी ठहराती थी। अपने आप को जानने के सत्य पर संगति करने के माध्यम से, मुझे अभ्यास करने का एक मार्ग मिला। सभा समाप्त होने के बाद, मेरा दिल सहज हो गया और मेरी आत्मा को आनंद महसूस हुआ। उस वक्त, अंतत: में परमेश्वर के वचनों में जो कुछ भी कहा गया है, उसे सच में सराहने लगी: "जब तुमने परमेश्वर को संतुष्ट कर लिया होगा, तब तुम्हारे भीतर परमेश्वर का मार्गदर्शन होगा और तुम परमेश्वर द्वारा विशेष रूप से धन्य किए जाओगे, जो तुम्हें आनंद की अनुभूति देगा : तुम विशेष रूप से सम्मानित महसूस करोगे कि तुमने परमेश्वर को संतुष्ट किया है, तुम अपने भीतर विशेष रूप से प्रसन्नचित्त महसूस करोगे, और तुम्हारा हृदय शुद्ध और शांत होगा। तुम्हारी अंतरात्मा को सुकून मिलेगा और वह दोषारोपणों से मुक्त होगी, और जब तुम अपने भाइयों और बहनों को देखोगे तो मन में प्रसन्नता महसूस करोगे। परमेश्वर के प्रेम का आनंद लेने का यही अर्थ है, और केवल यही परमेश्वर का सचमुच आनंद लेना है।"
इस अवधि के दौरान अपने अनुभवों के माध्यम से, मुझे शैतान के विभिन्न प्रलोभनों के बारे में थोड़ा-बहुत विवेक मिल गया, और मुझे यह समझ में आ गया कि जब प्रतिकूल परिस्थितियाँ हों, तो हमें अधिक प्रार्थना करनी चाहिए, परमेश्वर की इच्छा की तलाश करनी चाहिए और हमारे आस-पास की घटनाओं और चीजों और लोगों से संपर्क करने के लिए सत्य पर भरोसा करना चाहिए, केवल ऐसा करने से ही हम शैतान की कपटपूर्ण योजनाओं में फंसने से बच सकते हैं। अब, मैं फिर से किसी भी व्यक्ति, घटना या चीज़ को मुझे सभाओं में जाने से रोकने नहीं दूँगी! परमेश्वर का धन्यवाद। इस दिन से, मैं और अधिक सभाओं में भाग लूंगी और सत्य का अनुसरण और परमेश्वर को संतुष्ट करने की पूरी कोशिश करूँगी!