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परमेश्वर के दैनिक वचन

आज के लिए परमेश्वर का वचन

गुरूवार मई 9, 2024

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 47

अय्यूब अपने जन्म के दिन को कोसता है क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसके द्वारा परमेश्वर को तकलीफ हो मैं अकसर कहता हूँ कि परमेश्वर मनुष्य के हृदय के भीतर देखता है, और लोग मनुष्यों के बाहरी रुप-रंग को देखते हैं। क्योंकि परमेश्वर मनुष्य के हृदय के भीतर देखता है, वह उनकी हस्ती (मूल-तत्व) को समझता है, जबकि लोग उनके बाहरी रूप-रंग के आधार पर अन्य मनुष्यों क...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का प्रकटन और कार्य | अंश 75

फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया, क्या तुम लोग उसका कारण जानना चाहते हो? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे ज्यादा और क्या, उन्होंने केवल इस बात पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, मगर जीवन के इस सत्य की खोज नहीं की। और इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं, क्यों उन्हें जीवन के मार्ग ... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 262

मानवजाति का सदस्य और सच्चे ईसाई होने के नाते, अपने मन और शरीर को परमेश्वर के आदेश को पूरा करने के लिए समर्पित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी और दायित्व है, क्योंकि हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और यह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है। यदि हमारे मन और शरीर परमेश्वर के आदेश के लिए नहीं हैं और मानवजाति के धर्मी कार्य के लिए नहीं ह... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : मंज़िलें और परिणाम | अंश 594

आरंभ में परमेश्वर विश्राम में था। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था और परमेश्वर ने तब तक किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया था। उसने अपने प्रबंधन का कार्य केवल तब आरंभ किया, जब मानवता अस्तित्व में आ गई और जब मानवता भ्रष्ट कर दी गई; उस पल से, उसने विश्राम नहीं किया बल्कि इसके बजाय उसने स्वयं को मानवता के बीच व्यस्त रखना आरंभ कर दिया... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 259

परमेश्वर ने इस संसार की रचना की और इसमें एक जीवित प्राणी, मनुष्य को लेकर आया, जिसे उसने जीवन प्रदान किया। इसके बाद, मनुष्य के माता-पिता और परिजन हुए, और वह अकेला नहीं रहा। जब से मनुष्य ने पहली बार इस भौतिक दुनिया पर नजरें डालीं, तब से वह परमेश्वर के विधान के भीतर विद्यमान रहने के लिए नियत था। परमेश्वर की दी हुई जीवन की साँस हर एक प्राणी को उसके वयस... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 258

जिस क्षण से तुम रोते हुए इस दुनिया में आते हो, तभी से तुम अपना कर्तव्य पूरा करना शुरू कर देते हो। परमेश्वर की योजना और उसके विधान में अपनी भूमिका निभाते हुए तुम अपनी जीवन-यात्रा शुरू करते हो। तुम्हारी पृष्ठभूमि जो भी हो और तुम्हारी आगे की यात्रा जैसी भी हो, कोई भी स्वर्ग के आयोजनों और व्यवस्थाओं से बचकर भाग नहीं सकता, और किसी का भी अपनी नियति पर नि... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप | अंश 249

मेरी दया उन पर अभिव्यक्त होती है, जो मुझसे प्रेम करते हैं और स्वयं को नकारते हैं। इस बीच, दुष्टों को मिला दंड निश्चित रूप से मेरे धार्मिक स्वभाव का प्रमाण है, और उससे भी बढ़कर, मेरे क्रोध की गवाही है। जब आपदा आएगी, तो मेरा विरोध करने वाले सभी अकाल और महामारी के शिकार हो जाएँगे और विलाप करेंगे। जिन्होंने सभी तरह के दुष्टतापूर्ण कर्म किए हैं किंतु कई ... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 38

  अंतिम दिनों के लोग परमेश्वर के क्रोध को केवल उसके वचनों में देखते हैं, और परमेश्वर के क्रोध को सचमुच में महसूस नहीं करते हैं कि उत्पत्ति के समय से लेकर आज तक, किसी भी समूह ने परमेश्वर के अनुग्रह या दया एवं करूणा का उतना आनन्द नहीं लिया है जितना इस अंतिम समूह ने लिया है। हालाँकि, परमेश्वर ने अंतिम चरण में न्याय एवं ताड़ना का कार्य किया है, और उसन... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 128

केवल वही लोग सच्ची स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं जो सृजनकर्ता की संप्रभुता के प्रति समर्पण करते हैं क्योंकि लोग परमेश्वर के आयोजनों और परमेश्वर की संप्रभुता को नहीं पहचानते हैं, इसलिए वे हमेशा अवज्ञापूर्ण ढंग से, और एक विद्रोही दृष्टिकोण के साथ भाग्य का सामना करते हैं, और इस निरर्थक उम्मीद में कि वे अपनी वर्तमान परिस्थितियों को बदल देंगे और अपन... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 127

भाग्य पर विश्वास करना सृजनकर्ता की संप्रभुता के ज्ञान की जगह नहीं ले सकता है इतने वर्षों तक परमेश्वर का अनुयायी रहने के पश्चात्, क्या भाग्य के बारे में तुम लोगों के ज्ञान और सांसारिक लोगों के ज्ञान के बीच कोई आधारभूत अंतर है? क्या तुम लोग सही मायनों में सृजनकर्ता की पूर्वनियति को समझ गए हो, और सही मायनों में सृजनकर्ता की संप्रभुता को जान गए हो... और देखें