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परमेश्वर के दैनिक वचन

आज के लिए परमेश्वर का वचन

सोमवार नवम्बर 25, 2024

परमेश्वर के दैनिक वचन : मंज़िलें और परिणाम | अंश 594

आरंभ में परमेश्वर विश्राम में था। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था और परमेश्वर ने तब तक किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया था। उसने अपने प्रबंधन का कार्य केवल तब आरंभ किया, जब मानवता अस्तित्व में आ गई और जब मानवता भ्रष्ट कर दी गई; उस पल से, उसने विश्राम नहीं किया बल्कि इसके बजाय उसने स्वयं को मानवता के बीच व्यस्त रखना आरंभ कर दिया...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 66

"पर मैं तुम से कहता हूँ कि यहाँ वह है जो मन्दिर से भी बड़ा है। यदि तुम इसका अर्थ जानते, 'मैं दया से प्रसन्न होता हूँ, बलिदान से नहीं,' तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है" (मत्ती 12:6-8)। यहाँ "मंदिर" किसे संदर्भित करता है? आसान शब्दों में कहें तो, यह एक भव्य, ऊँची इमारत को संदर्भित करता है, और व्यवस्था के... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 65

मत्ती 12:1 उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी तो वे बालें तोड़-तोड़कर खाने लगे। मत्ती 12:6-8 पर मैं तुम से कहता हूँ कि यहाँ वह है जो मन्दिर से भी बड़ा है। यदि तुम इसका अर्थ जानते, "मैं दया से प्रसन्न होता हूँ, बलिदान से नहीं," तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु ... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 50

अय्यूब की परीक्षाओं के दौरान उसकी मानवता का प्रकटीकरण (अय्यूब की परीक्षाओं के दौरान उसकी खराई, सीधाई, परमेश्वर का भय, और बुराई से दूर रहने समझना) जब अय्यूब ने यह सुना कि उसकी सम्पत्ति को चुरा लिया गया, उसके बेटे एवं बेटियां ने अपने जीवन को खो दिया, और उसके सेवकों को मार दिया गया, तो उसने निम्नलिखित रूप से प्रतिक्रिया की: "तब अय्यूब उठा, और बागा... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 49

हम अय्यूब के दैनिक जीवन में खराई, सीधाई, परमेश्वर का भय, और बुराई से दूरी को देखते हैं यदि हमें अय्यूब के बारे में बातचीत करनी है, तो हमें उसके विषय में उस आंकलन के साथ शुरुआत करना होगा जो परमेश्वर के मुख से कहा गया था: "उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।" आओ हम सबसे पहले अय्यूब की खराई ... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 48

अय्यूब ने शैतान को हराया और परमेश्वर की दृष्टि में एक सच्चा मनुष्य बन गया जब अय्यूब पहली बार अपनी परीक्षाओं से होकर गुज़रा था, तब उसकी सारी सम्पत्ति और उसके सभी बच्चों को उससे ले लिए गया था, परन्तु उसके परिणामस्वरूप वह नीचे नहीं गिरा या ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो परमेश्वर के विरुद्ध पाप था। उसने शैतान की सभी परीक्षाओं पर विजय प्राप्त की थी, और उसने अपन... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 47

अय्यूब अपने जन्म के दिन को कोसता है क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसके द्वारा परमेश्वर को तकलीफ हो मैं अकसर कहता हूँ कि परमेश्वर मनुष्य के हृदय के भीतर देखता है, और लोग मनुष्यों के बाहरी रुप-रंग को देखते हैं। क्योंकि परमेश्वर मनुष्य के हृदय के भीतर देखता है, वह उनकी हस्ती (मूल-तत्व) को समझता है, जबकि लोग उनके बाहरी रूप-रंग के आधार पर अन्य मनुष्यों क... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 46

अय्यूब के विषय में लोगों की अनेक ग़लतफहमियां अय्यूब के द्वारा सही गई कठिनाईयां परमेश्वर के द्वारा भेजे गए स्वर्गदूतों का कार्य नहीं था, न ही इसे परमेश्वर के हाथ के द्वारा किया गया था। इसके बजाए, इसे शैतान के द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया गया था, जो परमेश्वर का शत्रु है। परिणामस्वरूप, अय्यूब के द्वारा सही गई कठिनाईयों का स्तर अत्याधिक गहरा था। फिर भी... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 45

अय्यूब के द्वारा परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का एक और प्रगटिकरण परमेश्वर के नाम को सभी चीजों में अत्यधिक महिमा देता है अय्यूब ने शैतान के प्रकोपों का दुःख उठाया था, फिर भी उसने यहोवा परमेश्वर के नाम को नहीं छोड़ा। उसकी पत्नी वह इंसान थी जिसने पहले कदम बढ़ाया और शैतान का किरदार अदा किया जिसे अय्यूब पर हमले के द्वारा देखा जा सकता है। म... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : मंज़िलें और परिणाम | अंश 587

दुनिया के विशाल विस्तार में अनगिनत परिवर्तन हो चुके हैं, बार-बार गाद भरने से महासागर मैदानों में बदल रहे हैं, खेत बाढ़ से महासागरों में बदल रहे हैं। सिवाय उसके जो ब्रह्मांड में सभी चीज़ों पर शासन करता है, कोई भी इस मानव-जाति की अगुआई और मार्गदर्शन करने में समर्थ नहीं है। कोई ऐसा पराक्रमी नहीं है, जो इस मानव-जाति के लिए श्रम या तैयारी कर सकता हो, और ... और देखें