सोमवार नवम्बर 25, 2024
आरंभ में परमेश्वर विश्राम में था। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था और परमेश्वर ने तब तक किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया था। उसने अपने प्रबंधन का कार्य केवल तब आरंभ किया, जब मानवता अस्तित्व में आ गई और जब मानवता भ्रष्ट कर दी गई; उस पल से, उसने विश्राम नहीं किया बल्कि इसके बजाय उसने स्वयं को मानवता के बीच व्यस्त रखना आरंभ कर दिया...
परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 192
जब अविश्वासियों की बात आती है, तो क्या परमेश्वर की कार्यवाइयों की पृष्ठभूमि में भलों को प्रतिफल देने और दुष्टों को दण्ड देने का सिद्धांत है? क्या तुम देखते हो कि परमेश्वर की कार्यवाई के लिये एक सिद्धांत है? तुम्हें यह देखने योग्य होना चाहिये कि एक सिद्धांत है। वास्तव में अविश्वासी परमेश्वर में विश्वास नहीं रखते, वे परमेश्वर के आयोजन को नहीं मानते औ... और देखेंपरमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 191
क्या तुम देखते हो कि परमेश्वर के पास अविश्वासियों के जीवन-मृत्यु चक्र के लिये बिल्कुल सटीक और कठिन जांच और व्यवस्था है? पहले तो, परमेश्वर ने विभिन्न स्वर्गीय आज्ञाएं, आदेश और रीतियां इस आत्मिक राज्य में स्थापित की हैं, इन स्वर्गीय आज्ञाओं, आदेशों और रीतियों की घोषणा के पश्चात, जैसा कि परमेश्वर ने निर्धारित किया है, आत्मिक संसार में विभिन्न आधिकारिक... और देखेंपरमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 190
वे लोग जिन्हें परमेश्वर में विश्वास नहीं है अक्सर इस गलतफहमी में रहते हैं कि वह प्रत्येक चीज़ जिसे देखा जा सकता है अस्तित्व में है, जबकि प्रत्येक वह चीज जिसे देखा नहीं जा सकता, जो लोगों से बहुत दूरी पर है, उसका अस्तित्व नहीं है। वे इस बात पर विश्वास करना अधिक पंसद करते हैं कि "जीवन और मृत्यु चक्र" जैसी कोई चीज नहीं है और कोई "दण्ड" नहीं है और इसलिए ... और देखेंपरमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 189
किसी आत्मा के लिये जन्म लेने के बाद जो भूमिका वे निभाते हैं—इस जीवन में उनकी भूमिका क्या है-किस परिवार में वे जन्म लेते हैं और उनका जीवन किस प्रकार का है, इन सबका उनके पिछले जीवन से गहरा संबंध होता है। मनुष्य के संसार में हर प्रकार के लोग आते हैं, और उनके द्वारा निभाई गई भूमिकाएं भिन्न-भिन्न होती हैं, उनके द्वारा किये गए कार्य भिन्न होते हैं। ये ... और देखेंपरमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 188
मनुष्यों में, लोगों को तीन प्रकार से वर्गीकृत करता हूं। पहले प्रकार के लोग अविश्वासी हैं, ये वे हैं जो धार्मिक विश्वास-रहित हैं उन्हें अविश्वासी कहते हैं। अविश्वासियों की बहुत बड़ी संख्या केवल धन में विश्वास रखती है। वे केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, वे भौतिकवादी हैं और उनका विश्वास केवल भौतिक संसार में है। वे न तो जीवन-मरण चक्र में और न ही देव... और देखेंपरमेश्वर के दैनिक वचन : देहधारण | अंश 133
परमेश्वर का कार्य ऐसा है जिसे तुम समझ नहीं सकते। यदि तुम न तो पूरी तरह से समझ सकते हो कि तुम्हारा निर्णय सही है या नहीं, और न ही तुम जान सकते हो कि परमेश्वर का कार्य सफल होगा या नहीं, तब तुम अपनी किस्मत क्यों नहीं आज़माते और क्यों नहीं यह देखते हो कि यह साधारण मनुष्य तुम्हारे बड़े काम का है या नहीं और परमेश्वर ने वास्तव में बहुत महान काम किया है या न... और देखेंपरमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 11
परमेश्वर मनुष्य के परिणाम और परिणाम-निर्धारण के मानकों को कैसे तय करता है इससे पहले कि तुम्हारा अपना कोई दृष्टिकोण या निष्कर्ष हो, तुम्हें सबसे पहले अपने प्रति परमेश्वर की प्रवृत्ति को और वह क्या सोच रहा है, इसे समझना चाहिए, और तब तुम्हें निर्णय लेना चाहिए कि तुम्हारी सोच सही है या नहीं। परमेश्वर ने मनुष्य के परिणाम को निर्धारित करने के लिए कभी ... और देखेंपरमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 4
परमेश्वर की संपूर्ण प्रबंधन योजना का कार्य व्यक्तिगत रूप से स्वयं परमेश्वर द्वारा किया जाता है। प्रथम चरण—संसार का सृजन—परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया गया था, और यदि ऐसा न किया जाता, तो कोई भी मनुष्य का सृजन कर पाने में सक्षम न हुआ होता; दूसरा चरण संपूर्ण मानव-जाति के छुटकारे का था, और उसे भी देहधारी परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से कार्यान्... और देखेंपरमेश्वर के दैनिक वचन : जीवन में प्रवेश | अंश 405
मैंने पहले कहा है कि "वे सब जो संकेतों और चमत्कारों को देखने की कोशिश करते हैं त्याग दिये जाएँगे; ये वे लोग नहीं हैं जो पूर्ण बनाए जाएँगे।" मैंने बहुत से वचन कहे हैं, फिर भी तुम्हें इस कार्य का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है, और, इस स्तर तक आकर, तुम अभी भी संकेतों और चमत्कारों के बारे में पूछते हो। क्या परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास संकेतों और चमत्कारों... और देखें