सभी चीज़ों के अंत का पास आना परमेश्वर के कार्य की समाप्ति की ओर और साथ ही मानवता के विकास के अंत का संकेत करता है। इसका अर्थ है कि शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए मनुष्य अपने विकास के अंतिम चरण तक पहुँच गए होंगे और आदम व हव्वा के वंशजों ने अपनी वंश-वृद्धि पूरी कर ली होगी। इसका अर्थ यह भी है कि अब शैतान द्वारा भ्रष्ट की जा चुकी मानवता के लिए लगातार विकास करते रहना असंभव होगा। आदम और हव्वा को आरंभ में भ्रष्ट नहीं किया गया था, पर आदम और हव्वा जो अदन की वाटिका से निकाले गए, उन्हें शैतान द्वारा भ्रष्ट किया गया था। जब परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करते हैं, तो आदम और हव्वा—जो अदन वाटिका से बाहर निकाले गए थे—और उनके वंशजों का आखिरकार अंत हो जाएगा। भविष्य की मानवता आदम और हव्वा के वंशजों से ही बनेगी, परंतु वे ऐसे लोग नहीं होंगे, जो शैतान के अधिकार क्षेत्र के अधीन रहते हों। बल्कि ये वे लोग होंगे, जिन्हें बचाया और शुद्ध किया गया है। यह वह मानवता होगी, जिसका न्याय किया गया है और जिसे ताड़ना दी गई है और जो पवित्र है। ये लोग उस मानवजाति के समान नहीं होंगे, जो वह मूल रूप से थी; यह कहा जा सकता है कि वे शुरुआती आदम और हव्वा से पूरी तरह भिन्न प्रकार की मानवता हैं। इन लोगों को उन सभी लोगों में से चुना गया है, जिन्हें शैतान द्वारा भ्रष्ट किया गया था और ये वे लोग होंगे, जो अंततः परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के दौरान अडिग रहे हैं; वे भ्रष्ट मानवजाति में से लोगों का अंतिम शेष समूह होंगे। केवल यही लोग परमेश्वर के साथ-साथ अंतिम विश्राम में प्रवेश कर पाएँगे। जो अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य के दौरान अडिग रहने में समर्थ हैं—यानी, शुद्धिकरण के अंतिम कार्य के दौरान—वे लोग होंगे, जो परमेश्वर के साथ अंतिम विश्राम में प्रवेश करेंगे; वैसे, वे सभी जो विश्राम में प्रवेश करेंगे, शैतान के प्रभाव से मुक्त हो चुके होंगे और परमेश्वर के शुद्धिकरण के अंतिम कार्य से गुज़रने के बाद उसके द्वारा प्राप्त किए जा चुके होंगे। ये लोग, जो अंततः परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जा चुके होंगे, अंतिम विश्राम में प्रवेश करेंगे। परमेश्वर के ताड़ना और न्याय के कार्य का उद्देश्य सार रूप में अंतिम विश्राम की खातिर मानवता को शुद्ध करना है; इस शुद्धिकरण के बिना संपूर्ण मानवता अपने प्रकार के मुताबिक़ विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत नहीं की जा सकेगी, या विश्राम में प्रवेश करने में असमर्थ होगी। यह कार्य ही मानवता के लिए विश्राम में प्रवेश करने का एकमात्र मार्ग है। केवल परमेश्वर द्वारा शुद्धिकरण का कार्य ही मनुष्यों को उनकी अधार्मिकता से शुद्ध करेगा और केवल उसकी ताड़ना और न्याय का कार्य ही मानवता के उन अवज्ञाकारी तत्वों को सामने लाएगा, और इस तरह बचाये जा सकने वालों से बचाए न जा सकने वालों को अलग करेगा, और जो बचेंगे उनसे उन्हें अलग करेगा जो नहीं बचेंगे। इस कार्य के समाप्त होने पर जिन्हें बचने की अनुमति होगी, वे सभी शुद्ध किए जाएँगे, और मानवता की उच्चतर दशा में प्रवेश करेंगे जहाँ वे पृथ्वी पर और अद्भुत द्वितीय मानव जीवन का आनंद उठाएंगे; दूसरे शब्दों में, वे अपने मानवीय विश्राम का दिन शुरू करेंगे और परमेश्वर के साथ रहेंगे। जिन लोगों को रहने की अनुमति नहीं है, उनकी ताड़ना और उनका न्याय किया गया है, जिससे उनके असली रूप पूरी तरह सामने आ जाएँगे; उसके बाद वे सब के सब नष्ट कर दिए जाएँगे और शैतान के समान, उन्हें पृथ्वी पर रहने की अनुमति नहीं होगी। भविष्य की मानवता में इस प्रकार के कोई भी लोग शामिल नहीं होंगे; ऐसे लोग अंतिम विश्राम की धरती पर प्रवेश करने के योग्य नहीं हैं, न ही ये उस विश्राम के दिन में प्रवेश के योग्य हैं, जिसे परमेश्वर और मनुष्य दोनों साझा करेंगे क्योंकि वे दंड के लायक हैं और दुष्ट, अधार्मिक लोग हैं। उन्हें एक बार छुटकारा दिया गया था और उन्हें न्याय और ताड़ना भी दी गई थी; उन्होंने एक बार परमेश्वर को सेवा भी दी थी। हालाँकि जब अंतिम दिन आएगा, तो भी उन्हें अपनी दुष्टता के कारण और अवज्ञा एवं छुटकारा न पाने की योग्यता के परिणामस्वरूप हटाया और नष्ट कर दिया जाएगा; वे भविष्य के संसार में अब कभी अस्तित्व में नहीं आएँगे और कभी भविष्य की मानवजाति के बीच नहीं रहेंगे। जैसे ही मानवता के पवित्र जन विश्राम में प्रवेश करेंगे, चाहे वे मृत लोगों की आत्मा हों या अभी भी देह में रह रहे लोग, सभी बुराई करने वाले और वे सभी जिन्हें बचाया नहीं गया है, नष्ट कर दिए जाएँगे। जहाँ तक इन बुरा करने वाली आत्माओं और मनुष्यों, या धार्मिक लोगों की आत्माओं और धार्मिकता करने वालों की बात है, चाहे वे जिस युग में हों, बुराई करने वाले सभी अंततः नष्ट हो जाएँगे और जो लोग धार्मिक हैं, वे बच जाएँगे। किसी व्यक्ति या आत्मा को उद्धार प्राप्त होगा या नहीं, यह पूर्णतः अंत के युग के समय के कार्य के आधार पर तय नहीं होगा; बल्कि इस आधार पर निर्धारित किया जाता है कि क्या उन्होंने परमेश्वर का प्रतिरोध किया था, या वे परमेश्वर के प्रति अवज्ञाकारी रहे हैं। पिछले युगों में जिन लोगों ने बुरा किया और जो उद्धार नहीं प्राप्त कर पाए, निःसंदेह वे दंड के भागी बनेंगे और वे जो इस युग में बुरा करते हैं और उद्धार प्राप्त नहीं कर सकते, तो वे भी निश्चित रूप से दंड के भागी बनेंगे। मनुष्य अच्छे और बुरे के आधार पर पृथक किए जाते हैं, युग के आधार पर नहीं। एक बार इस प्रकार वर्गीकृत किए जाने पर, उन्हें तुरंत दंड या पुरस्कार नहीं दिया जाएगा; बल्कि, परमेश्वर अंत के दिनों में अपने विजय के कार्य को समाप्त करने के बाद ही बुराई को दंडित करने और अच्छाई को पुरस्कृत करने का अपना कार्य करेगा। वास्तव में, वह मनुष्यों को तब से अच्छे और बुरे में पृथक कर रहा है, जबसे उसने मानवजाति के उद्धार का अपना कार्य आरंभ किया था। बात बस इतनी है कि वह धार्मिकों को पुरस्कृत और दुष्टों को दंड देने का कार्य केवल तब करेगा, जब उसका कार्य समाप्त हो जाएगा; ऐसा नहीं है कि वह अपने कार्य के पूरा होने पर उन्हें श्रेणियों में पृथक करेगा और फिर तुरंत दुष्टों को दंडित करना और धार्मिकों को पुरस्कृत करना शुरू करेगा। बल्कि, यह कार्य तभी किया जाएगा, जब उसका कार्य पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा। बुराई को दंडित करने और अच्छाई को पुरस्कृत करने के परमेश्वर के अंतिम कार्य के पीछे का पूरा उद्देश्य, सभी मनुष्यों को पूरी तरह शुद्ध करना है, ताकि वह पूरी तरह पवित्र मानवता को शाश्वत विश्राम में ला सके। उसके कार्य का यह चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है; यह उसके समस्त प्रबंधन-कार्य का अंतिम चरण है। यदि परमेश्वर ने दुष्टों का नाश नहीं किया होता, बल्कि उन्हें बचा रहने देता तो प्रत्येक मनुष्य अभी भी विश्राम में प्रवेश करने में असमर्थ होता और परमेश्वर समस्त मानवता को एक बेहतर क्षेत्र में नहीं ला पाता। ऐसा कार्य पूर्ण नहीं होता। जब वह अपना कार्य समाप्त कर लेगा, तो संपूर्ण मानवता पूर्णतः पवित्र हो जाएगी। केवल इसी तरीक़े से परमेश्वर शांतिपूर्वक विश्राम में रह सकता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर और मनुष्य साथ-साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे