प्रभु यीशु ने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर आखिरी दिनों में देहधारण करेगा और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)।
"जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा" (मत्ती 24:37)।
"क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)।
"क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)।
"आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)।
"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)।
"तब मैं ने उसे, जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं, और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है" (प्रकाशितवाक्य 1:12-16)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यीशु ने कहा था कि वह उसी तरह से आएगा जैसे वह गया था, किन्तु क्या तुम उसके वचनों के सही अर्थ को जानते हो? क्या ऐसा हो सकता है कि उसने तुम लोगों के इस समूह से कहा था? तुम केवल इतना ही जानते हो कि वह बादल पर सवार हो कर उसी तरह से आएगा जैसे वह गया था, किन्तु क्या तुम जानते हो कि स्वयं परमेश्वर वास्तव में अपना कार्य कैसे करता है? यदि तुम सच में देखने में समर्थ होते, तब यीशु के द्वारा बोले गए वचनों को कैसे समझाया जाता? उसने कहा, जब अंत के दिनों में मनुष्य का पुत्र आएगा, तो उसे स्वयं ज्ञात नहीं होगा, फ़रिश्तों को ज्ञात नहीं होगा, स्वर्ग के दूतों को ज्ञात नहीं होगा, और समस्त मनुष्यजाति को ज्ञात नहीं होगा। केवल परमपिता को ज्ञात होगा, अर्थात्, केवल पवित्रात्मा को ही ज्ञात होगा। यहाँ तक कि स्वयं मनुष्य का पुत्र भी नहीं जानता है, फिर भी तुम देख और जान पाते हो। यदि तुम जानने और अपनी स्वयं की आँखों से देखने में समर्थ होते, तब क्या ये व्यर्थ में बोले गए नहीं होते? और उस समय यीशु ने क्या कहा? "उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता। जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। ... इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।" जब वह दिन आ जाएगा, तो स्वयं मनुष्य के पुत्र को उसका पता नहीं चलेगा। मनुष्य का पुत्र देहधारी परमेश्वर के देह का संकेत करता है, जो कि एक सामान्य और साधारण व्यक्ति है। यहाँ तक कि मनुष्य का पुत्र स्वयं नहीं जानता है, तो तुम कैसे जान सकते हो?
— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)' से उद्धृत
"जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।" क्या तुमने अब पवित्र आत्मा के वचन सुन लिए हैं? परमेश्वर के वचन तुम्हें अचानक मिले हैं। क्या तुम उन्हें सुनते हो? अंत के दिनों में परमेश्वर वचन का कार्य करता है, और ऐसे वचन पवित्र आत्मा के वचन हैं, क्योंकि परमेश्वर पवित्र आत्मा है और देहधारी भी हो सकता है; इसलिए, पवित्र आत्मा के वचन, जैसे अतीत में बोले गए थे, आज देहधारी परमेश्वर के वचन हैं। कई विवेकहीन मनुष्य हैं जिनका मानना है कि पवित्र आत्मा के वचन मनुष्य के कान में सीधे स्वर्ग से उतर कर आने चाहिए। इस प्रकार सोचने वाला कोई भी मनुष्य परमेश्वर के कार्य को नहीं जानता है। वास्तव में, पवित्र आत्मा के द्वारा कहे गए कथन वे ही हैं जो परमेश्वर ने देहधारी होकर कहे। पवित्र आत्मा प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य से बात नहीं कर सकता है, और यहाँ तक कि व्यवस्था के युग में भी, यहोवा ने प्रत्यक्ष रूप से लोगों से बात नहीं की। क्या इस बात की बहुत कम सम्भावना नहीं होगी कि वह आज के युग में भी ऐसा ही करेगा? परमेश्वर को कार्य करने और वचन बोलने के लिए अवश्य देहधारण करना चाहिए, अन्यथा उसका कार्य उसके उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'मनुष्य, जिसने परमेश्वर को अपनी ही धारणाओं में सीमित कर दिया है, वह किस प्रकार उसके प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है?' से उद्धृत
कई हज़ार सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को देखने की इच्छा की है जब वह एक सफेद बादल पर सवार होकर स्वयं उन लोगों के बीच उतरता है जिन्होंने हज़ारों सालों से उसकी अभिलाषा की है और उसके लिए लालायित रहे हैं। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता की वापसी और लोगों के साथ उसके फिर से जुड़ने की लालसा की है, अर्थात्, उद्धारकर्त्ता यीशु के उन लोगों के पास वापस आने की लालसा की है जिनसे वह हज़ारों सालों से अलग रहा है। और मनुष्य आशा करता है कि वह एक बार फिर से छुटकारे के उस कार्य को करेगा जो उसने यहूदियों के बीच किया था, वह मनुष्य के प्रति करूणामय और प्रेममय होगा, मनुष्य के पापों को क्षमा करेगा, वह मनुष्य के पापों को वहन करेगा, और यहाँ तक कि वह मनुष्य के सभी अपराधों को वहन करेगा और मनुष्य को उसके पापों से मुक्त करेगा। वे उद्धारकर्त्ता यीशु के पहले के समान होने की लालसा करते हैं—ऐसा उद्धारकर्त्ता जो प्यारा, सौम्य और आदरणीय हो, जो मनुष्य के प्रति कभी भी कोप से भरा हुआ न हो, और जो कभी भी मनुष्य को धिक्कारता न हो। यह उद्धारकर्त्ता मनुष्य के सारे पापों को क्षमा करता है और उन्हें वहन करता है, और यहाँ तक कि एक बार फिर से मनुष्य के लिए सलीब पर अपनी जान देता है। जब से यीशु गया है, वे चेले जो उसका अनुसरण करते थे, और वे सभी संत जिन्हें उसके नाम के कारण बचाया गया था, सभी बेसब्री से उसकी अभिलाषा और इन्तज़ार कर रहे हैं। वे सभी जो अनुग्रह के युग के दौरान यीशु मसीह के अनुग्रह के द्वारा बचाए गए थे, वे अंत के दिनों के दौरान उस आनन्ददायक दिन की लालसा कर रहे हैं, जब उद्धारकर्त्ता यीशु सफेद बादल पर आता है और मनुष्य के बीच में प्रकट होता है। निस्संदेह, यह उन सभी लोगों की सामूहिक इच्छा भी है जो आज उद्धारकर्त्ता यीशु के नाम को स्वीकार करते हैं। विश्व भर में, वे सभी जो उद्धारकर्त्ता यीशु के उद्धार को जानते हैं वे सभी यीशु मसीह की अचानक वापसी के लिए बहुत ज़्यादा लालायित रहे हैं, ताकि पृथ्वी पर यीशु के वचन पूरे हों: "मैं जैसे गया था वैसे ही मैं वापस आऊँगा।" मनुष्य विश्वास करता है कि सलीब पर चढ़ने और पुनरूत्थान के बाद, यीशु सफेद बादल पर स्वर्ग में वापस चला गया, और उसने सर्वोच्च महान परमेश्वर के दाएँ हाथ पर अपना स्थान ग्रहण किया। मनुष्य कल्पना करता है कि उसी प्रकार, यीशु फिर से सफेद बादल पर सवार होकर (यह बादल उस बादल की ओर संकेत करता है जिस पर यीशु तब सवार हुआ था जब वह स्वर्ग में वापस गया था), उन लोगों के बीच वापस आएगा जिन्होंने हज़ारों सालों से उसके लिए बहुत अधिक लालसा रखी है, और यह कि वह यहूदियों का स्वरूप और उनके कपड़े धारण करेगा। मनुष्य के सामने प्रकट होने के बाद, वह उन्हें भोजन प्रदान करेगा, और उनके लिए जीवन के जल की बौछार करवाएगा, और मनुष्य के बीच में रहेगा, वह अनुग्रह और प्रेम से भरपूर, जीवन्त और वास्तविक होगा, इत्यादि। फिर भी उद्धारकर्त्ता यीशु ने ऐसा नहीं किया; उसने मनुष्य की कल्पना के विपरीत किया। वह उन लोगों के बीच में नहीं आया जिन्होंने उसकी वापसी की लालसा की थी, और वह सफेद बादल पर सवार होकर सभी मनुष्यों के सामने प्रकट नहीं हुआ। वह तो पहले से ही आ चुका है, किन्तु मनुष्य उससे अनभिज्ञ ही है, और उसके आगमन से अनजान बना हुआ है। मनुष्य केवल निरुद्देश्यता से उसका इन्तज़ार कर रहा है, इस बात से अनभिज्ञ कि वह तो पहले ही "सफेद बादल" (वह बादल जो उसका आत्मा, उसके वचन, उसका सम्पूर्ण स्वभाव और उसका स्वरूप है) पर उतर चुका है, और वह अब उन विजेताओं के समूह के बीच में है जिसे वह अंत के दिनों के दौरान बनाएगा।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "उद्धारकर्त्ता पहले ही एक 'सफेद बादल' पर सवार होकर वापस आ चुका है" से उद्धृत
वे जो सत्य का पालन करते हैं और परमेश्वर के कार्य के प्रति समर्पण करते हैं, उनका दूसरे देहधारी परमेश्वर—सर्वशक्तिमान—के नाम पर दावा किया जाएगा। वे परमेश्वर का व्यक्तिगत मार्गदर्शन स्वीकार करने में सक्षम होंगे, वे अधिक और उच्चतर सत्य तथा वास्तविक मानव-जीवन प्राप्त करेंगे। वे उस दर्शन को निहारेंगे, जिसे अतीत के लोगों ने कभी नहीं देखा : "तब मैं ने उसे, जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं, और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है" (प्रकाशितवाक्य 1:12-16)। यह दृश्य परमेश्वर के संपूर्ण स्वभाव की अभिव्यक्ति है, और उसके संपूर्ण स्वभाव की यह अभिव्यक्ति वर्तमान देहधारण में परमेश्वर के कार्य की अभिव्यक्ति भी है। ताड़ना और न्याय की बौछारों में मनुष्य का पुत्र कथनों के माध्यम से अपने अंर्तनिहित स्वभाव को अभिव्यक्त करता है, और उन सबको जो उसकी ताड़ना और न्याय स्वीकार करते हैं, मनुष्य के पुत्र के वास्तविक चेहरे को निहारने की अनुमति देता है, जो यूहन्ना द्वारा देखे गए मनुष्य के पुत्र के चेहरे का ईमानदार चित्रण है। (निस्संदेह, यह सब उनके लिए अदृश्य होगा, जो राज्य के युग में परमेश्वर के कार्यों को स्वीकार नहीं करते।)
— "वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना' से उद्धृत
मैं तुम लोगों बता दूँ, कि जो परमेश्वर में संकेतों की वजह से विश्वास करते हैं, वे निश्चित रूप से उस श्रेणी के होंगे जो विनाश को झेलेगी। वे जो देह में लौटे यीशु के वचनों को स्वीकार करने में अक्षम हैं, वे निश्चित रूप से नरक के वंशज, महान फ़रिश्ते के वंशज हैं, उस श्रेणी के हैं जो अनंत विनाश के अधीन की जाएगी। कई लोग मैं क्या कहता हूँ इसकी परवाह नहीं करते हैं, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को बताना चाहता हूँ जो यीशु का अनुसरण करते हैं, कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते हुए अपनी आँखों से देखो, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते हुए देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दण्ड दिए जाने के लिए नीचे नरक में चले जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और यह तब होगा जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दण्ड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के संकेतों को देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब वहाँ सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति ही होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं तथा संकेतों की खोज नहीं करते हैं और इस प्रकार शुद्ध कर दिए जाते हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे ही जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि "ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता है एक झूठा मसीह है" अनंत दण्ड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेतों को प्रदर्शित करता है, परन्तु उस यीशु को स्वीकार नहीं करते हैं जो गंभीर न्याय की घोषणा करता है और जीवन में सच्चे मार्ग को बताता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटें तो वह उसके साथ व्यवहार करें। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं? यीशु का लौटना उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, परन्तु उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह निंदा का एक संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के विरोध में तिरस्कार नहीं करना चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन करता हो और सत्य की खोज करने के लिए लालायित हो; सिर्फ़ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, तब तक परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा' से उद्धृत
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