जिन्हें फ़िक्र है सिर्फ़ अपनी देह और सुखों की,
आस्था जिनकी अस्थिर है,
जादू-टोना और तंत्र-मंत्र करते हैं जो,
लम्पट, फटेहाल और क्लांत हैं जो,
परमेश्वर को दी गई बलि को,
संपत्ति को चुराते हैं जो,
रिश्वत पसंद है जिन्हें,
बैठे-ठाले स्वर्ग का ख़्वाब देखते हैं जो,
अभिमानी-दंभी,
शोहरत और दौलत के पीछे भागते हैं जो,
अपवित्र बातें फैलाते हैं जो,
पाप में फँसे लोग जिन्हें पश्चाताप नहीं होता,
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
पाप में फँसे लोग जिन्हें पश्चाताप नहीं होता,
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
ईश-निंदा करते हैं,
परमेश्वर को बदनाम करते हैं जो,
उसकी आलोचना करते हैं जो,
अपना गिरोह बनाने की ख़ातिर आपस में मिल जाते जो,
ख़ुद को परमेश्वर से ऊपर उठाते हैं जो,
ओछे तरुण स्त्री और पुरुष,
अधेड़ और बुज़ुर्ग भी, स्वच्छंद विषय-भोग में फँसे हैं जो,
दूसरों के बीच दौलत और रुतबे का लक्ष्य रखते हैं जो,
पाप में फँसे लोग जिन्हें पश्चाताप नहीं होता,
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
पाप में फँसे लोग जिन्हें पश्चाताप नहीं होता,
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
पाप में फँसे लोग जिन्हें पश्चाताप नहीं होता,
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
पाप में फँसे लोग जिन्हें पश्चाताप नहीं होता,
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
पाप में फँसे लोग जिन्हें पश्चाताप नहीं होता,
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
पाप में फँसे लोग जिन्हें पश्चाताप नहीं होता,
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?
क्या उद्धार से परे नहीं हैं वो?