ऑनलाइन बैठक

मेन्‍यू

7 खुशी पर आयत - खुशी पाने का मार्ग खोजने में आपकी मदद करना

इस भौतिकवादी समाज में, हम में से प्रत्येक अपने-अपने तरीके से सुख की तलाश कर रहा है। बहुत से लोग सोचते हैं कि खुशी धन और शक्ति होने में है, और दूसरों के द्वारा देखा जाना है। इस प्रकार वे अपने तथाकथित सुख को पाने के लिए पागलों की तरह इधर-उधर भाग रहे हैं। यहां तक ​​कि उन्होंने अपनी सत्यनिष्ठा और प्रतिष्ठा भी खो दी है और उनका विवेक भी लुप्त हो गया है। लेकिन बदले में उन्हें जो मिला वह आध्यात्मिक शून्यता और बेचैनी थी। इसे देखकर, हम यह सोचने से खुद को रोक नहीं पाते हैं: वास्तव में खुशी क्या है? हमें वास्तविक सुखी जीवन कैसे जीना चाहिए? पता लगाने के लिए निम्नलिखित बाइबल आयतों को पढ़ें।

खुशी पर अनमोल वचन - 7 खुशी पर आयत

संदर्भ के लिए बाइबल आयत:

“यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा” (भजन संहिता 37:4)

“यदि तुम धार्मिकता के कारण दुःख भी उठाओ, तो धन्य हो” (1 पतरस 3:14)

“पर जैसे-जैसे मसीह के दुःखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिससे उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्दित और मगन हो” (1 पतरस 4:13)

“हे यहोवा, क्या ही धन्य है वह पुरुष जिसको तू ताड़ना देता है, और अपनी व्यवस्था सिखाता है” (भजन संहिता 94:12)

“जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है” (नीतिवचन 16:20)

“धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शान्ति पाएँगे। धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएँगे। धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी। धन्य हैं वे, जिनके मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्‍वर को देखेंगे। धन्य हैं वे, जो मेल करवानेवाले हैं, क्योंकि वे परमेश्‍वर के पुत्र कहलाएँगे। धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है” (मत्ती 5:3-10)

“धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के पेड़ के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे” (प्रकाशितवाक्य 22:14)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :

धन्य हैं वे, जिन्होंने मेरे वचन पढ़े हैं और जो यह विश्वास करते हैं कि वे पूरे होंगे। मैं तुम्हारे साथ बिलकुल भी दुर्व्यवहार नहीं करूंगा; जो तुम विश्वास करते हो, उसे तुम्हारे भीतर पूरा करूँगा। ये तुम पर आता हुआ मेरा आशीष है। मेरे वचन हर व्यक्ति के भीतर छिपे रहस्यों पर सटीकता से वार करते हैं; सभी में प्राणघातक घाव हैं, और मैं वह अच्छा चिकित्सक हूँ, जो उन्हें चंगा करता है : बस मेरी उपस्थिति में आ जाओ। मैंने क्यों कहा कि भविष्य में कोई दुःख नहीं होगा और न ही कोई अश्रु होंगे? उसका कारण यही है। मुझमें सभी चीज़ें संपन्न होती हैं, परंतु मनुष्य में सभी बातें दूषित, खोखली और मनुष्यों को धोखा देने वाली हैं। मेरी उपस्थिति में तुम निश्चित रूप से सभी चीज़ें पाओगे, और निश्चित रूप से उन सभी आशीषों को देखोगे और उनका आनंद भी उठाओगे, जिनकी तुम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते। जो मेरे समक्ष नहीं आते, वे निश्चित रूप से विद्रोही हैं और पूरी तरह से मेरा विरोध करने वाले हैं। मैं निश्चित रूप से उन्हें हलके में नहीं छोडूंगा; मैं ऐसे लोगों को कठोरता से ताड़ित करूंगा। इसे स्मरण रखो! लोग जितना अधिक मेरे सामने आएँगे, उतना ही अधिक वे प्राप्त करेंगे—हालाँकि वह सिर्फ़ अनुग्रह होगा। बाद में वे और बड़े आशीष प्राप्त करेंगे।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 74

वो सभी धन्य हैं जो पवित्र आत्मा के वर्तमान कथनों का पालन करने में सक्षम हैं। इस बात से कोई फ़र्कनहीं पड़ता कि वो कैसे हुआ करते थे या उनके भीतर पवित्र आत्मा कैसे कार्य कियाकरती थी—जिन्होंने परमेश्वर का नवीनतम कार्य प्राप्त किया है, वो सबसे अधिक धन्य हैं और जो लोग आज नवीनतम कार्य का अनुसरण नहीं कर पाते, हटा दिए जाते हैं। परमेश्वर उन्हें चाहता है जो नई रोशनी स्वीकार करने में सक्षम हैं और वह उन्हें चाहता है जो उसके नवीनतम कार्य को स्वीकार करते और जान लेते हैं। ऐसा क्यों कहा गया है कि तुम लोगों को पवित्र कुँवारी होना चाहिए? एक पवित्र कुँवारी पवित्र आत्मा के कार्य की तलाश करने में और नई चीज़ों को समझने में सक्षम होती है, और इसके अलावा, पुरानी धारणाओं को भुलाकर परमेश्वर के आज के कार्य का अनुसरण करने में सक्षम होती है। इस समूह के लोग, जो आज के नवीनतम कार्य को स्वीकार करते हैं, परमेश्वर द्वारा युगों पहले ही पूर्वनिर्धारित किए जा चुके थे और वो सभी लोगों में सबसे अधिक धन्य हैं। तुम लोग सीधे परमेश्वर की आवाज़ सुनते हो और परमेश्वर की उपस्थिति का दर्शन करते हो और इस तरह समस्त स्वर्ग और पृथ्वी परऔर सारे युगों में, कोई भी तुम लोगों, लोगों के इस समूह से अधिक धन्य नहीं रहा है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और उसके पदचिह्नों का अनुसरण करो

मेरे वचन ज्यों-ज्यों पूर्णता तक पहुँचते हैं, पृथ्वी पर धीरे-धीरे राज्य बनता जाता है और मनुष्य धीरे-धीरे सामान्यता की ओर लौटता है, और इस प्रकार पृथ्वी पर वह राज्य स्थापित हो जाता है जो मेरे हृदय में है। राज्य में, परमेश्वर के सभी लोग सामान्य मनुष्य का जीवन पुनः प्राप्त कर लेते हैं। पाले वाली शीत ऋतु विदा हुई, उसका स्थान वासंती नगरों के संसार ने ले लिया है, जहाँ पूरे साल बहार रहती है। मनुष्य का उदास और अभागा संसार अब लोगों के सामने नहीं रह गया है, और न ही वे मनुष्य के संसार की ठण्डी सिहरन सहते हैं। लोग एक दूसरे से लड़ते नहीं हैं, देश एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध में नहीं उतरते हैं, नरसंहार अब और नहीं हैं और न वह लहू जो नरसंहार से बहता है; सारे भूभागों में प्रसन्नता छाई है, और हर जगह मनुष्यों की आपसी गर्माहट से भरी है। मैं पूरे संसार में घूमता हूँ, मैं ऊपर अपने सिंहासन से आनंदित होता हूँ, और मैं तारों के बीच रहता हूँ। और स्वर्गदूत मेरे लिए नए-नए गीत और नए-नए नृत्य प्रस्तुत करते हैं। उनके चेहरों से उनकी क्षणभंगुरता के कारण अब और आँसू नहीं ढलकते हैं। अब मुझे स्वर्गदूतों के रोने की आवाज़ नहीं सुनाई देती, और अब कोई मुझसे कठिनाइयों की शिकायत नहीं करता। आज, तुम सब लोग मेरे सामने रहते हो; कल तुम सब लोग मेरे राज्य में रहोगे। क्या यह सबसे बड़ा आशीष नहीं है जो मैं मनुष्य को देता हूँ?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 20

उत्तर यहाँ दें