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हमारे साथ परमेश्वर के बारे में बाइबिल के पद: परमेश्वर की उपस्थिति कैसे प्राप्त करें

जब हमारा विश्वास मुश्किलों में कमजोर हो जाता है, तो हमें परमेश्वर की उपस्थिति की आवश्यकता होती है; जब हम बार-बार आने वाली आपदाओं से डरते हैं, तो हमें परमेश्वर की उपस्थिति की अधिक आवश्यकता होती है। निम्नलिखित बाइबिल के छंद और संबंधित सामग्री आपको परमेश्वर को अपने साथ होने का तरीका खोजने में मदद करेगी।

हमारे साथ परमेश्वर के बारे में बाइबिल के पद: परमेश्वर की उपस्थिति कैसे प्राप्त करें

हमारे साथ परमेश्वर के बारे में बाइबिल के पद

"तू हियाव बाँध और दृढ़ हो, उनसे न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्‍वर यहोवा है; वह तुझको धोखा न देगा और न छोड़ेगा" (व्यवस्थाविवरण 31:6)

"चाहे मैं घोर अंधकार से भरी हुई तराई में होकर चलूँ, तो भी हानि से न डरूँगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है" (भजन संहिता 23:4)

"और मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे" (यूहन्ना 14:16)

"मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ, इधर-उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्‍वर हूँ; मैं तुझे दृढ़ करूँगा और तेरी सहायता करूँगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्भाले रहूँगा" (यशायाह 41:10)

यदि हम कठिन समय में परमेश्वर की उपस्थिति को महसूस नहीं करते है तो हमे क्या करना चाहिए? परमेश्वर की उपस्थिति प्राप्त करने का मार्ग खोजने के लिए हमसे संपर्क करें। (WhatsApp पर हमसे संपर्क करें: https://shurl.me/hiWhatsappZQ )

परमेश्वर की उपस्थिति कैसे प्राप्त करें

हाल के वर्षों में लगातार तमाम तरह की आपदाएं आई हैं। प्रभु की वापसी की भविष्यवाणियां सच हो गई हैं। क्या आपने पाया है कि आप अक्सर प्रार्थना करते समय प्रभु की उपस्थिति को महसूस नहीं कर सकते हैं और बाइबल पढ़ते समय नई रोशनी प्राप्त नहीं कर सकते हैं? तो फिर आप परमेश्वर को अपने साथ कैसे रख सकते हैं और परमेश्वर का ज्ञान और प्रकाश कैसे प्राप्त कर सकते हैं? निम्नलिखित बाइबिल के छंद और परमेश्वर के शब्द आपकी मदद करेंगे।

"आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उससे भेंट करने के लिये चलो" (मत्ती 25:6)

"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)

"मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

कई सहस्राब्दियों से मनुष्य ने उद्धारकर्ता के आगमन को देख पाने की लालसा की है। मनुष्य उद्धारकर्ता यीशु को एक सफेद बादल पर सवार होकर व्यक्तिगत रूप से उन लोगों के बीच उतरते देखने के लिए तरसा है, जिन्होंने हज़ारों सालों से उसकी अभिलाषा की है और उसके लिए लालायित रहे हैं। मनुष्य ने उद्धारकर्ता के वापस लौटने और लोगों के साथ फिर से जुड़ने की लालसा भी की है; अर्थात् उन्होंने लोगों से हज़ारों सालों से अलग हुए उद्धारकर्ता यीशु के वापस आने और एक बार फिर से छुटकारे के उस कार्य को करने की, जो उसने यहूदियों के बीच किया था, मनुष्य के प्रति करुणामय और प्रेममय होने की, मनुष्य के पाप क्षमा करने और उन्हें अपने ऊपर लेने की, यहाँ तक कि मनुष्य के सभी अपराध ग्रहण करने और उसे पापमुक्त करने की लालसा की है। मनुष्य उद्धारकर्ता यीशु से पहले के समान होने की लालसा करता है—ऐसा उद्धारकर्ता जो प्यारा, दयालु और आदरणीय है, जो मनुष्य के प्रति कभी कोप से भरा नहीं रहता, और जो कभी मनुष्य को धिक्कारता नहीं, बल्कि जो मनुष्य के सारे पाप क्षमा करता है और उन्हें अपने ऊपर ले लेता है, यहाँ तक कि जो एक बार फिर से मनुष्य के लिए सलीब पर अपनी जान दे देगा। जब से यीशु गया है, वे चेले जो उसका अनुसरण करते थे, और वे सभी संत जिन्हें उसके नाम पर बचाया गया था, बेसब्री से उसकी अभिलाषा और प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे सभी, जो अनुग्रह के युग के दौरान यीशु मसीह के अनुग्रह द्वारा बचाए गए थे, अंत के दिनों के दौरान उस उल्लासभरे दिन की लालसा कर रहे हैं, जब उद्धारकर्ता यीशु सफेद बादल पर सवार होकर सभी लोगों के बीच उतरेगा। निस्संदेह, यह उन सभी लोगों की सामूहिक इच्छा भी है, जो आज उद्धारकर्ता यीशु के नाम को स्वीकार करते हैं। विश्व भर में वे सभी, जो उद्धारकर्ता यीशु के उद्धार को जानते हैं, यीशु मसीह के अचानक आकर, पृथ्वी पर कहे अपने ये वचन पूरे करने की लालसा कर रहे हैं : "मैं जैसे गया था वैसे ही मैं वापस आऊँगा।" मनुष्य मानता है कि सलीब पर चढ़ने और पुनरुत्थान के बाद यीशु सर्वोच्च परमेश्वर की दाईं ओर अपना स्थान ग्रहण करने के लिए सफेद बादल पर सवार होकर स्वर्ग वापस चला गया था। इसी प्रकार यीशु फिर से सफेद बादल पर सवार होकर (यह बादल उस बादल को संदर्भित करता है, जिस पर यीशु तब सवार हुआ था, जब वह स्वर्ग वापस गया था), उन लोगों के बीच वापस आएगा, जिन्होंने हज़ारों सालों से उसके लिए बेतहाशा लालसा की है, और वह यहूदियों का स्वरूप और उनके कपड़े धारण करेगा। मनुष्यों के सामने प्रकट होने के बाद वह उन्हें भोजन प्रदान करेगा, उनके लिए जीवन के जल की बौछार करवाएगा और मनुष्यों के बीच में रहेगा, अनुग्रह और प्रेम से भरा हुआ, जीवंत और वास्तविक। ये सभी वे धारणाएँ हैं, जिन्हें लोग मानते हैं। किंतु उद्धारकर्ता यीशु ने ऐसा नहीं किया; उसने मनुष्य की कल्पना के विपरीत किया। वह उन लोगों के बीच में नहीं आया, जिन्होंने उसकी वापसी की लालसा की थी, और वह सफेद बादल पर सवार होकर सभी मनुष्यों के सामने प्रकट नहीं हुआ। वह पहले ही आ चुका है, किंतु मनुष्य नहीं जानता, वह अनभिज्ञ बना रहता है। मनुष्य केवल निरुद्देश्य होकर उसका इंतज़ार कर रहा है, इस बात से अनभिज्ञ कि वह तो पहले ही "सफेद बादल" पर सवार होकर आ चुका है (वह बादल, जो उसका आत्मा, उसके वचन, उसका संपूर्ण स्वभाव और उसका स्वरूप है), और वह अब उन विजेताओं के समूह के बीच है, जिसे वह अंत के दिनों के दौरान बनाएगा। मनुष्य इसे नहीं जानता : मनुष्य के प्रति संपूर्ण स्नेह और प्रेम रखने के बावजूद पवित्र उद्धारकर्ता यीशु अशुद्ध और अपवित्र आत्माओं से भरे "मंदिरों" में कैसे कार्य कर सकता है? यद्यपि मनुष्य उसके आगमन का इंतज़ार करता रहा है, फिर भी वह उनके सामने कैसे प्रकट हो सकता है जो अधार्मिक का मांस खाते हैं, अधार्मिक का रक्त पीते हैं और अधार्मिकों के वस्त्र पहनते हैं, जो उस पर विश्वास तो करते हैं परंतु उसे जानते नहीं, और लगातार उससे जबरदस्ती माँगते रहते हैं? मनुष्य केवल यही जानता है कि उद्धारकर्ता यीशु प्रेम और करुणा से परिपूर्ण है, और वह एक पाप-बलि है जो छुटकारे से भरपूर है। परंतु मनुष्य को नहीं पता कि वह स्वयं परमेश्वर है, जो धार्मिकता, प्रताप, कोप और न्याय से लबालब भरा है, और अधिकार और गौरव से संपन्न है। इसलिए, भले ही मनुष्य छुटकारा दिलाने वाले की वापसी के लिए लालायित रहता है और उसके लिए तरसता है, यहाँ तक कि उसकी प्रार्थनाएँ "स्वर्ग" को भी द्रवित कर देती हैं, किंतु उद्धारकर्ता यीशु उन लोगों के सामने प्रकट नहीं होता, जो उस पर विश्वास तो करते हैं किंतु उसे जानते नहीं।

— "वचन देह में प्रकट होता है" में "उद्धारकर्ता पहले ही एक 'सफेद बादल' पर सवार होकर वापस आ चुका है" से उद्धृत

चूँकि हम परमेश्वर के पदचिह्नों की खोज कर रहे हैं, इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम परमेश्वर की इच्छा, उसके वचन और कथनों की खोज करें—क्योंकि जहाँ कहीं भी परमेश्वर द्वारा बोले गए नए वचन हैं, वहाँ परमेश्वर की वाणी है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर के पदचिह्न हैं, वहाँ परमेश्वर के कर्म हैं। जहाँ कहीं भी परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वहाँ परमेश्वर प्रकट होता है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य, मार्ग और जीवन विद्यमान होता है। परमेश्वर के पदचिह्नों की तलाश में तुम लोगों ने इन वचनों की उपेक्षा कर दी है कि "परमेश्वर सत्य, मार्ग और जीवन है।" और इसलिए, बहुत-से लोग सत्य को प्राप्त करके भी यह नहीं मानते कि उन्हें परमेश्वर के पदचिह्न मिल गए हैं, और वे परमेश्वर के प्रकटन को तो बिलकुल भी स्वीकार नहीं करते। कितनी गंभीर ग़लती है! परमेश्वर के प्रकटन का समाधान मनुष्य की धारणाओं से नहीं किया जा सकता, और परमेश्वर मनुष्य के आदेश पर तो बिलकुल भी प्रकट नहीं हो सकता। परमेश्वर जब अपना कार्य करता है, तो वह अपनी पसंद और अपनी योजनाएँ बनाता है; इसके अलावा, उसके अपने उद्देश्य और अपने तरीके हैं। वह जो भी कार्य करता है, उसके बारे में उसे मनुष्य से चर्चा करने या उसकी सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है, और अपने कार्य के बारे में हर-एक व्यक्ति को सूचित करने की आवश्यकता तो उसे बिलकुल भी नहीं है। यह परमेश्वर का स्वभाव है, जिसे हर व्यक्ति को पहचानना चाहिए। यदि तुम लोग परमेश्वर के प्रकटन को देखने और उसके पदचिह्नों का अनुसरण करने की इच्छा रखते हो, तो तुम लोगों को पहले अपनी धारणाओं को त्याग देना चाहिए। तुम लोगों को यह माँग नहीं करनी चाहिए कि परमेश्वर ऐसा करे या वैसा करे, तुम्हें उसे अपनी सीमाओं और अपनी धारणाओं तक सीमित तो बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, तुम लोगों को खुद से यह पूछना चाहिए कि तुम्हें परमेश्वर के पदचिह्नों की तलाश कैसे करनी चाहिए, तुम्हें परमेश्वर के प्रकटन को कैसे स्वीकार करना चाहिवो सभी धन्य हैं जो पवित्र आत्मा के वर्तमान कथनों का पालन करने में सक्षम हैं। इस बात से कोई फ़र्कनहीं पड़ता कि वो कैसे हुआ करते थे या उनके भीतर पवित्र आत्मा कैसे कार्य कियाकरती थी—जिन्होंने परमेश्वर का नवीनतम कार्य प्राप्त किया है, वो सबसे अधिक धन्य हैं और जो लोग आज नवीनतम कार्य का अनुसरण नहीं कर पाते, हटा दिए जाते हैं। परमेश्वर उन्हें चाहता है जो नई रोशनी स्वीकार करने में सक्षम हैं और वह उन्हें चाहता है जो उसके नवीनतम कार्य को स्वीकार करते और जान लेते हैं। ऐसा क्यों कहा गया है कि तुम लोगों को पवित्र कुँवारी होना चाहिए? एक पवित्र कुँवारी पवित्र आत्मा के कार्य की तलाश करने में और नई चीज़ों को समझने में सक्षम होती है, और इसके अलावा, पुरानी धारणाओं को भुलाकर परमेश्वर के आज के कार्य का अनुसरण करने में सक्षम होती है। इस समूह के लोग, जो आज के नवीनतम कार्य को स्वीकार करते हैं, परमेश्वर द्वारा युगों पहले ही पूर्वनिर्धारित किए जा चुके थे और वो सभी लोगों में सबसे अधिक धन्य हैं। तुम लोग सीधे परमेश्वर की आवाज़ सुनते हो और परमेश्वर की उपस्थिति का दर्शन करते हो और इस तरह समस्त स्वर्ग और पृथ्वी परऔर सारे युगों में, कोई भी तुम लोगों, लोगों के इस समूह से अधिक धन्य नहीं रहा है।ए, और तुम्हें परमेश्वर के नए कार्य के प्रति कैसे समर्पण करना चाहिए। मनुष्य को ऐसा ही करना चाहिए। चूँकि मनुष्य सत्य नहीं है, और उसके पास भी सत्य नहीं है, इसलिए उसे खोजना, स्वीकार करना और आज्ञापालन करना चाहिए।

— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है' से उद्धृत

वो सभी धन्य हैं जो पवित्र आत्मा के वर्तमान कथनों का पालन करने में सक्षम हैं। इस बात से कोई फ़र्कनहीं पड़ता कि वो कैसे हुआ करते थे या उनके भीतर पवित्र आत्मा कैसे कार्य कियाकरती थी—जिन्होंने परमेश्वर का नवीनतम कार्य प्राप्त किया है, वो सबसे अधिक धन्य हैं और जो लोग आज नवीनतम कार्य का अनुसरण नहीं कर पाते, हटा दिए जाते हैं। परमेश्वर उन्हें चाहता है जो नई रोशनी स्वीकार करने में सक्षम हैं और वह उन्हें चाहता है जो उसके नवीनतम कार्य को स्वीकार करते और जान लेते हैं। ऐसा क्यों कहा गया है कि तुम लोगों को पवित्र कुँवारी होना चाहिए? एक पवित्र कुँवारी पवित्र आत्मा के कार्य की तलाश करने में और नई चीज़ों को समझने में सक्षम होती है, और इसके अलावा, पुरानी धारणाओं को भुलाकर परमेश्वर के आज के कार्य का अनुसरण करने में सक्षम होती है। इस समूह के लोग, जो आज के नवीनतम कार्य को स्वीकार करते हैं, परमेश्वर द्वारा युगों पहले ही पूर्वनिर्धारित किए जा चुके थे और वो सभी लोगों में सबसे अधिक धन्य हैं। तुम लोग सीधे परमेश्वर की आवाज़ सुनते हो और परमेश्वर की उपस्थिति का दर्शन करते हो और इस तरह समस्त स्वर्ग और पृथ्वी परऔर सारे युगों में, कोई भी तुम लोगों, लोगों के इस समूह से अधिक धन्य नहीं रहा है।

— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और उसके पदचिह्नों का अनुसरण करो' से उद्धृत

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