अंत के दिनों में देहधारण किया परमेश्वर ने ख़ास तौर से बोलने के लिये,
क्या है इंसानी ज़िंदगी की ज़रूरत,
कहाँ प्रवेश करना चाहिये उसे, ये दिखाने के लिये,
परमेश्वर के कर्म और सर्वशक्तिमत्ता दिखाने के लिये,
परमेश्वर की चमत्कारिता और बुद्धि दिखाने के लिये,
परमेश्वर की चमत्कारिता और बुद्धि दिखाने के लिये।
जिन बहुत से तरीकों से परमेश्वर बोलता है,
इंसान परमेश्वर की सर्वोच्चता, विशालता को देखता है,
इंसान परमेश्वर की दीनता, छिपाव को देखता,
मनुष्य देखता है कि परमेश्वर सर्वोच्च है,
परन्तु वह विनम्र और गंभीर भी है।
उसके कुछ वचन प्रत्यक्षतः आत्मा के दृष्टिकोण से कहे गए हैं,
कुछ वचन प्रत्यक्षतः मनुष्य के दृष्टिकोण से,
और कुछ वचन तीसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण से कहे गए हैं।
परमेश्वर के वचनों के ज़रिये देखता है इंसान,
अलग-अलग तरीकों से काम करता है परमेश्वर।
इंसान की ज़िंदगी के लिये वचन मुहैया
कराना है इस युग का मुख्य काम।
काम है इसका उजागर करना इंसान की प्रकृति को, भ्रष्टता को,
मिटाना इंसान के ज्ञान को, संस्कृति को,
पुरानी सामंती सोच को, धार्मिक धारणाओं को।
ये सब उजागर और साफ़ होने चाहिये परमेश्वर के वचनों के ज़रिये।
इंसान को पूर्ण करने के लिये अंत के दिनों में परमेश्वर,
संकेतों, चमत्कारों का नहीं, वचनों का प्रयोग करता है।
वचन उजागर करते हैं, न्याय करते हैं, ताड़ना देते हैं,
और हर तरह से इंसान को पूर्ण करते हैं।
वचन उजागर करते हैं, न्याय करते हैं, ताड़ना देते हैं,
और हर तरह से इंसान को पूर्ण करते हैं।
परमेश्वर के वचनों में देखता है इंसान, सुंदरता और बुद्धि परमेश्वर की,
समझता है इंसान स्वभाव परमेश्वर का।
परमेश्वर के वचनों के ज़रिये इंसान, उसके कर्मों को देखता है।
मूल इरादा है अंत के दिनों में परमेश्वर का अपने काम के एक चरण को पूरा करना,
वचन देह में प्रकट होता है जिसमें।
और एक भाग है ये परमेश्वर के प्रबंधन का।