यीशु मसीह के द्वितीय आगमन के बारे में बाइबल के 58 सर्वोत्तम पद
अब आपदाएँ अक्सर हो रही हैं। प्रभु के लौटने के संकेत प्रकट हुए हैं। बहुत से लोगो ने एहसास किया हैं कि प्रभु को वापस लौट आना चाहिए, लेकिन वे नहीं जानते कि उसका स्वागत कैसे किया जाए। इसलिए हमने इन भविष्यवाणियों को इस प्रकार छांटा हैं: यीशु के दूसरे आने के संकेत, कब और कैसे यीशु लौटते हैं, मसीह अपनी वापसी पर क्या करेगा, इत्यादि। यह आपको मसीह की वापसी की भविष्यवाणियों को बेहतर ढंग से समझने और नई रोशनी हासिल करने में मदद कर सकते हैं ताकि आप जल्द ही यीशु मसीह की वापसी का स्वागत कर सकें।
- त्वरित नेविगेशन मेन्यू
- 1.यीशु का दूसरे आगमन के चिन्ह
- 2.यीशु मसीह कैसे वापस आएंगे?
- 3.यीशु मसीह का दूसरा आगमन कब होगा?
- 4.अपनी वापसी पर यीशु कौन सा कार्य करेंगे
- 5.मसीह के द्वितीय आगमन की प्रतीक्षा करना
1.यीशु का दूसरे आगमन के चिन्ह
A.आध्यात्मिक सूखा
"'मैंने तुम्हारे सब नगरों में दाँत की सफाई करा दी, और तुम्हारे सब स्थानों में रोटी की घटी की है, तो भी तुम मेरी ओर फिरकर न आए,' यहोवा की यही वाणी है। 'और जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैंने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैंने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिसमें न बरसा; वह सूख गया। इसलिए दो तीन नगरों के लोग पानी पीने को मारे-मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए, परन्तु तृप्त न हुए; तो भी तुम मेरी ओर न फिरे,' यहोवा की यही वाणी है" (आमोस 4:6-8)।
B.भूकम्प, सूखा, युद्ध का होना
"तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इनका होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह-जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी" (मत्ती 24:6-8)।
C.इस्राएल का पुनर्स्थापन
"उसने उनसे एक दृष्टान्त भी कहा, 'अंजीर के पेड़ और सब पेड़ों को देखो। 30 ज्यों ही उनकी कोंपलें निकलती हैं, तो तुम देखकर आप ही जान लेते हो, कि ग्रीष्मकाल निकट है। 31 इसी रीति से जब तुम ये बातें होते देखो, तब जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट है। 32 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा'" (लूका 21:29-32)।
D.तारों में प्रकट हुए दर्शन
"जब उसने छठवीं मुहर खोली, तो मैंने देखा कि एक बड़ा भूकम्प हुआ; और सूर्य कम्बल के समान काला, और पूरा चन्द्रमा लहू के समान हो गया" (प्रकाशितवाक्य 6:12)।
E.सुसमाचार पृथ्वी के कोने तक फैलता है
"और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा" (मत्ती 24:14)।
F.झूठे मसीहाओं और मसीह विरोधियों का दिखना
"यीशु ने उनको उत्तर दिया, 'सावधान रहो! कोई तुम्हें न बहकाने पाए। क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, "मैं मसीह हूँ", और बहुतों को बहका देंगे'" (मत्ती 24:4-5)।
"उस समय यदि कोई तुम से कहे, कि देखो, मसीह यहाँ हैं! या वहाँ है! तो विश्वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएँगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी बहका दें। देखो, मैंने पहले से तुम से यह सब कुछ कह दिया है" (मत्ती 24:23-25)।
"परन्तु यदि वह दुष्ट दास सोचने लगे, कि मेरे स्वामी के आने में देर है। और अपने साथी दासों को पीटने लगे, और पियक्कड़ों के साथ खाए-पीए" (मत्ती 24:48-49)।
"क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते, कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह का विरोधी यही है" (2 यूहन्ना 1:7)।
"और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं है; यही मसीह के विरोधी की आत्मा है; जिसकी चर्चा तुम सुन चुके हो, कि वह आनेवाला है और अब भी जगत में है" (1 यूहन्ना 4:3)।
2.यीशु मसीह कैसे वापस आएंगे?
"तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उस घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)।
"उस दिन या उस समय के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता। देखो, जागते और प्रार्थना करते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा" (मरकुस 13:32-33)।
"इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस समय को" (मत्ती 25:13)।
"आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उससे भेंट करने के लिये चलो" (मत्ती 25:6)।
3.यीशु मसीह का दूसरा आगमन कब होगा?
"इसलिए स्मरण कर, कि तूने किस रीति से शिक्षा प्राप्त की और सुनी थी, और उसमें बना रह, और मन फिरा: और यदि तू जागृत न रहेगा तो मैं चोर के समान आ जाऊँगा और तू कदापि न जान सकेगा, कि मैं किस घड़ी तुझ पर आ पड़ूँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:3)।
"देख, मैं चोर के समान आता हूँ; धन्य वह है, जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र कि सावधानी करता है कि नंगा न फिरे, और लोग उसका नंगापन न देखें" (प्रकाशितवाक्य 16:15)।
"क्योंकि जैसे बिजली आकाश की एक छोर से कौंधकर आकाश की दूसरी छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है, कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)।
"तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे" (मत्ती 24:30)।
"यीशु ने उससे कहा, 'तूने आप ही कह दिया; वरन् मैं तुम से यह भी कहता हूँ, कि अब से तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों पर आते देखोगे'" (मत्ती 26:64)।
"तब लोग मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और महिमा के साथ बादलों में आते देखेंगे" (मरकुस 13:26)।
"देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है; और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था, वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हाँ। आमीन" (प्रकाशितवाक्य 1:7)।
4.अपनी वापसी पर यीशु कौन सा कार्य करेंगे
"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है, कि पहले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)।
"जब ठीक समय आएगा तब मैं आप ही ठीक-ठीक न्याय करूँगा" (भजन संहिता 75:2)।
"पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन्ना 5:22)।
"वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिए कि वह मनुष्य का पुत्र है" (यूहन्ना 5:27)।
"राज्य-राज्य के लोग आनन्द करें, और जयजयकार करें, क्योंकि तू देश-देश के लोंगों का न्याय धर्म से करेगा, और पृथ्वी के राज्य-राज्य के लोगों की अगुआई करेगा" (भजन संहिता 67:4)।
"रात के समय मैं जी से तेरी लालसा करता हूँ, मेरा सम्पूर्ण मन यत्न के साथ तुझे ढूँढ़ता है। क्योंकि जब तेरे न्याय के काम पृथ्वी पर प्रगट होते हैं, तब जगत के रहनेवाले धर्म को सीखते हैं" (यशायाह 26:9)।
"और उसने बड़े शब्द से कहा, 'परमेश्वर से डरो, और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है; और उसकी आराधना करो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए'" (प्रकाशितवाक्य 14:7)।
"फिर मैंने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गईं, अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया।" (प्रकाशितवाक्य 20:12)।
"अन्यजातियों ने क्रोध किया, और तेरा प्रकोप आ पड़ा और वह समय आ पहुँचा है कि मरे हुओं का न्याय किया जाए, और तेरे दास भविष्यद्वक्ताओं और पवित्र लोगों को और उन छोटे-बड़ों को जो तेरे नाम से डरते हैं, बदला दिया जाए, और पृथ्वी के बिगाड़नेवाले नाश किए जाएँ" (प्रकाशितवाक्य 11:18)।
"अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे। और बहुत देशों के लोग आएँगे, और आपस में कहेंगे: 'आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएँ; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।' क्योंकि यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा। वह जाति-जाति का न्याय करेगा, और देश-देश के लोगों के झगड़ों को मिटाएगा; और वे अपनी तलवारें पीट कर हल के फाल और अपने भालों को हँसिया बनाएँगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे। अहंकार नष्ट किया जाएगा" (यशायाह 2:2-4)।
"मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)।
"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।
5.मसीह के द्वितीय आगमन की प्रतीक्षा करना
"आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उससे भेंट करने के लिये चलो" (मत्ती 25:6)।
"इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस समय को" (मत्ती 25:13)।
"मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)।
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"जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:29)।
"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)।