कोई न जाने परमेश्वर के आगमन को,
कोई नहीं करता स्वागत परमेश्वर के आगमन का।
यहाँ तक कि, कोई नहीं जानता वह सब जो करेगा परमेश्वर।
कोई नहीं जानता वह सब जो करेगा परमेश्वर।
मानव का जीवन रहता है अपरिवर्तित;
वैसा ही हृदय, जो धड़कता है हर आम दिन।
परमेश्वर रहता है हमारे बीच जैसे हो कोई साधारण मानव,
जैसे हो अनुयायियों का एक सबसे महत्वहीन सदस्य,
जैसे कोई एक साधारण विश्वासी।
उसका है अपना स्वंय का काम, और उसके अपने लक्ष्य।
और उसके पास है दिव्यता जो किसी मनुष्य के पास नहीं, पास नहीं।
किसी ने उसकी दिव्यता के अस्तित्व पर या उसके और मनुष्य के तत्व,
बीच के अंतर पर ध्यान नहीं दिया है, ध्यान नहीं दिया है।
हम रहते हैं साथ उसके, बिना किसी बंधन और भय के,
क्योंकि हम देखते हैं उसे जैसे वो एक महत्वहीन विश्वासी से अधिक कुछ ना हो।
वह देखता है हमारी हर गति को,
और हमारे सभी विचार और अवधारणाएँ हैं सामने उसके बिना किसी पर्दे के।
नहीं है किसी को कोई रूचि परमेश्वर के अस्तित्व में,
किसी की नहीं है कोई कल्पना उसके कार्य में,
और यहाँ तक कि, वह कौन है इस बारे में किसी को कोई संदेह भी नहीं है।
हम जुटे रहते हैं अपने कामों में,
जैसे परमेश्वर का हमसे कुछ लेना-देना ही नहीं है।
परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर आ गया है! क्या आप इसमें प्रवेश करना चाहते हैं?
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